जगदलपुर: वैसे तो किसी बॉर्डर पर थाने का संचालन होना कोई नई बात नहीं है, लेकिन ओडिसा और छत्तीसगढ़ के अतिसंवेदनशील बॉर्डर क्षेत्र नगरनार बाजार में अंग्रेजो के ज़माने में सन 1910 में बने इस थाने की महत्वता आज भी बेहद महत्वपूर्ण है।

आपको बतादें की सन 1910 में नगरनार थाने का निर्माण उड़ीसा बॉर्डर पर होने वाले अपराधों को रोकने के लिए किया गया था। 2 राज्यों की सीमा पर अतिसंवेदनशील क्षेत्र होने के कारन लोग पुलिस तक नहीं पहुंच पाते थे। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए अंग्रेजों के लाड साहब ने कमिश्नरी से बात करके नगरनार थाने का निर्माण कराया और इसकी सीमा तय की गई।

नगरनार थाना क्षेत्र में रह चुके रिटायर्ड पुलिस अधिकारी जी.एन. सिंह की माने तो नगरनार थाने के पुराने अवशेष और बिल्डिंग आज भी नगरनार बाजार में मौजूद हैं। जिसके माध्यम से बाजार के दिन लोगों से सीधा संपर्क किया जाता था और लगभग 80 किलोमीटर का तिरिया से लेकर जैतगिरि तक का क्षेत्र इस थाने के अंतर्गत आता था।

अंग्रेजों के समय में भी पुरे बस्तर सहित इस थाना क्षेत्र का मुख्यालय भी जगदलपुर ही हुआ करता था। उस समय पर पुरे बस्तर क्षेत्र में जगदलपुर के बाद दूसरा बड़ा थाना नगरनार में प्रारंभ किया गया था। दो राज्यों के बीच का थाना होने के कारण बड़ी मात्रा में लगातार गांजा तस्करों को पकड़ने में सफलता मिलती रही है। यहाँ तक की आज भी क्षेत्र में तस्करी जैसी वारदातों को अंजाम देने अपराधियों पर बड़ी कार्यवाही नगरनार थाने के माध्यम से ही की जा रही है।

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By Admin

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