भरतपुर:- गुर्जर आरक्षण की मांग को लेकर जिद पर अड़े गुर्जर समुदाय के आंदोलनकारियों का राजस्थान में भरतपुर के पीलूपुरा में मंगलवार को तीसरे दिन भी दिल्ली-मुंबई रेलमार्ग पर कब्जा बरकरार रहा। इस बीच राज्य सरकार की तरफ से गुर्जरों के इस आंदोलन को मंगलवार को भी कोई तबज्जोह नही दी गई। आंदोलन के लम्बा खिंचने की आशंका को देखते आंदोलनकारियों ने आसपास के गांवों से रेलबे ट्रेक पर ही रजाई कम्बल ब गद्दों का इंतजाम कर लिया है। रात्रि को सर्दी से बचने के लिए गुर्जर ट्रैक पर ही अलाव जला रहे हैं। आंदोलनकारियों के लिए ग्रामीणों की ओर से भोजन-नाश्ते की व्यवस्था भी जारी है।
गुर्जर समाज में लगभग सर्वमान्य नेता बन चुके कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के नेतृत्व को लेकर अब चुनौती मिलना भी शुरू होता नजर आ रहा है। हाल ही नहरा क्षेत्र के 80 पंच-पटेलों ने मीटिंग करके गुर्जर नेता हिम्मत सिंह के नेतृत्व में प्रतिनिधि मंडल बनाकर सरकार से जयपुर में वार्ता करके समझौता कर लेने को गुर्जर समाज मे इसी दृष्टि से देखा जा रहा है। वैसे भी कर्नल बैंसला आंदोलन का नेतृत्व अब लगभग अपने बेटे विजय बैंसला को सौंप चुके है।
गुर्जरो के तीसरे दिन भी लगातार पटरियों पर कब्जा जमाए रखने से इसका सीधा असर पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर पड़ रहा है। मंगलवार दोपहर तक NWR की 10 रेलों के संचालन पर इसका असर पड़ा है। सुबह से लेकर दोपहर तक 10 ट्रेनों का रूट बदला गया जिससे यात्रियों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. NWR की रेलों को मिलाकर अगर देश के दूसरे रेलवे ज़ोन को भी शामिल किया जाए तो 60 से ज्यादा रेलों के संचालन पर इसका असर पड़ा है। रेलबे सूत्रों ने यहां बताया कि दूसरे ज़ोन की ट्रेनों को या तो रद्द कर दिया गया है या फिर रूट बदल दिया गया है. लेकिन NWR ने तीसरे दिन भी अपनी एक भी रेल रद्द नहीं की है बल्कि रूट बदल कर रेलों को संचालित कर रहा है।मंगलवार को भी 10 रेलों का रूट बदल दिया गया है। बहरहाल इस बार आंदोलन ब आंदोलनकारियों में किसी खास जोश के नजर नही आने की चर्चाएं भी गुर्जर समुदाय में जोरो पर है।
By:-भूपेंद्र शर्मा, संपादक, राजस्थान