रायपुर, 12 दिसंबर 2020

दुष्कर्म के ज्यादातर मामलों में पीड़ित महिला की सहमति होती है। लेकिन जब बात बिगड़ जाती है तो इसे बलात्कार का केस बना दिया जाता है। ये बयान देकर छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है। महिला होकर महिलाओं के लिए ऐसा कहना अब किरणमयी नायक को भारी पड़  रहा है। भाजपा की महिला नेत्रियों ने डॉ.नायक के बयान को उनका मानसिक दिवालियापन बता दिया है।

राज्य महिला आयोग में आने वाले बलात्कार के मामलों की जानकारी देने के दौरान नाबालिग बच्चियों को सलाह दे रही हैं ये महिला छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ड़ॉ. किरणमयी नायक हैं। पेशे से वकील हैं, रायपुर की पूर्व मेयर हैं। कांग्रेस की कद्दावर नेत्रियों में इनकी गिनती होती है। चंद महीने पहले राज्य महिला आयोग के अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठी हैं। बलात्कार पीड़ित महिलाओं और नाबालिग लड़कियों की सुनवाई करते करते इस निष्कर्ष पर जा पहुंची हैं कि ज्यादातर मामलों में पीड़ित की सहमति होती है। आयोग में खुद के साथ हुई ज्यादती और दुष्कर्म की शिकायतें लेकर पहुंचने वाली लड़कियों का आंकड़ा बताते बताते, डॉ नायक लड़कियों को नाबालिग उम्र में ही मैच्योर बनने की सलाह दे डालती हैँ। कहती हैं कि फिल्मी कहानी और असल जिंदगी में फर्क होता है। लड़कियां इसे अगर समझ लें तो प्यार, इश्क और मोहब्बत के चक्कर में होने वाले वाले ज्यादातर मामले सामने ही नहीं आएं।

किरणमयी नायक कहना तो चाहती थीं कि राज्य की जेलों में पॉस्को एक्ट के तहत बंद विचाराधीन कैदियों की आई बाढ़ के पीछे लड़कियों का नादानी में किया गया इश्क जिम्मेदार है। लेकिन सरकार का बचाव करते- करते डॉ. नायक रौ में बह गईं और मोरल पुलिसिंग का झंडा उठा बैठीं। अब विपक्ष की नेत्रियां उन पर हमलावर हैं।

कहावत है नादान की दोस्ती, जी का जंजाल। लेकिन ये भी सच है कि कच्ची उम्र के प्यार पर जब-जब पहरा बैठा है। प्यार उतना ही गहरा हुआ है। बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद और उत्तर प्रदेश के योगीराज में बने एंटी रोमियो स्क्वैड्स मोरल पुलिसिंग सालों से करते आ रहे हैं। लेकिन पकड़े जाने पर नाबालिग लड़कियां ही मेरी मर्जी का हवाला देकर अदालत की चौखट तक भी पहुंची है। अपनी जवान बेटियों को लेकर चिंतित रहने वाले माता-पिताओं के लिए किरणमयी का ये बयान नसीहत हो सकता है, लेकिन क्या खुद को मॉर्डन और मीटू कैंपने चलाकर देश दुनिया में डंका चलाने वाली लड़कियां, इससे इत्तेफाक रख पाएंगी। ऐसा लगता नहीं है।

 

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