रायपुर, 12 जुलाई 2021

छत्तीसगढ़ में सरकार के विज्ञापन और पोस्टरों में गलत शब्दावलियां और गलत शब्दों का इस्तेमाल किये जाने का सिलसिला थम नहीं रहा है। पहले जहां स्वास्थ्य विभाग के टीकाकरण फॉर्म में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव को मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़ शासन दिखा दिया गया था, उसके बाद होर्डिंग्स में स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम को भी मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़ शासन लिख दिया गया। इन दोनों ही मामलों से अधिकारियों ने कोई सबक नहीं सीखा, बल्कि अब तीसरा कारनामा भी कर दिया है।

छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से शहर में बड़े-बड़े होर्डिंग और बैनर लगाए गए हैं। लेकिन इन होर्डिंग्स में इस्तेमाल की गई भाषा पर किसी अधिकारियों की तो छोड़िये आम आदमी का ध्यान भी  शायद ही गया हो। छत्तीसगढ़ सरकार ने दो दिन पहले जारी किये गए विज्ञापन में वामपंथ प्रभावित क्षेत्र का इस्तेमाल किये जाने पर तीनों वामपंथी पार्टियां लाल-पीली हो गई हैं।

तीनों वामपंथी दलों के नेताओं ने संयुक्त रूप से एक चिट्ठी लिखकर मुख्यमंत्री से अपनी नाराजगी जताई है।  मुख्यमंत्री को लिखेे पत्र में वामपंथी नेताओं ने भविष्य में ऐसी शब्दावली का प्रयोग न करने के निर्देश सक्षम अधिकारियों को जारी किए जाने की मांग की है।

क्या है विज्ञापन में 

सरकार की ओर से जारी विज्ञापन में लिखा है  आगामी दो सालों में “वामपंथ प्रभावित” क्षेत्रों में सड़क संपर्क के लिए 1637 करोड़ रुपये खर्च करने का उल्लेख है। वामपंथी पार्टियों का कहना है कि यह शब्दावली गलत है और पूर्व भाजपा राज में वामपंथ को बदनाम करने के लिए ऐसी दक्षिणपंथी भाषा का उपयोग होता था, लेकिन आज कांग्रेस राज में भी इस शब्दावली का जारी रहना खेदजनक है।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव संजय पराते, भाकपा के सचिव आरडीसीपी राव तथा भाकपा (माले)-लिबरेशन के सचिव बृजेन्द्र तिवारी ने इस संबंध में एक संयुक्त पत्र प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लिखा है। अपने पत्र में तीनों वामपंथी नेताओं ने कहा है कि “वामपंथ प्रभावित” और “वामपंथ-उग्रवाद प्रभावित” शब्द समानार्थी नहीं है और उनके राजनीतिक निहितार्थ भिन्न-भिन्न होते हैं। इस देश की मुख्यधारा की वामपंथी पार्टियों को “वामपंथी उग्रवाद” के समकक्ष रखकर उसे बदनाम करने की कोशिश भाजपा करती रही है, जबकि हमारा वामपंथी-उग्रवाद से कोई लेना-देना नहीं रहा है। भाजपा की इसी समझदारी को इस विज्ञापन के जरिये आगे बढ़ाया गया है, जो खेदजनक है।

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अपने पत्र में उन्होंने कहा है कि वामपंथी ताकतों की देश की संसदीय राजनीति को रूपाकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका है और वह देश की संवैधानिक-लोकतांत्रिक-राजनैतिक प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा है। वर्ष 2005 में वामपंथ के बाहरी और सक्रिय समर्थन से ही संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन का केंद्र की सत्ता में आना सुनिश्चित हो सका था। आज भी आम जनता के हितों से जुड़े कई साझा मुद्दों पर कांग्रेस और वामपंथी ताकतों के सहयोग व समर्थन से संघर्ष विकसित हो रहा है।

तीनों वाम नेताओं ने कहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार का यह विज्ञापन आदिवासी क्षेत्रों के पिछड़ेपन के लिए “वामपंथी” ताकतों को जिम्मेदार ठहराता प्रतीत होता है। इसलिए इस विज्ञापन में प्रयुक्त दक्षिणपंथी शब्दावली को सुधारा जाए और भविष्य में इस प्रकार की शब्दावली का उपयोग न करने का निर्देश सक्षम अधिकारियों को जारी किया जाए।

तीनों पार्टियों ने ऐसा ही एक पत्र मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रुचिर गर्ग को भी अलग से लिखा है और इस संबंध में आवश्यक सकारात्मक पहलकदमी करने की अपेक्षा की है।

तीन वामपंथी पार्टियों का साझा पत्र

दिनांक : 12.07.2021

प्रति,
मुख्यमंत्री,
छत्तीसगढ़ शासन, रायपुर

विषय : छत्तीसगढ़ सरकार के विज्ञापनों में ‘वामपंथ’ के संबंध में प्रयुक्त दक्षिणपंथी शब्दावली के प्रयोग पर रोक लगाने के संबंध में।

प्रिय मुख्यमंत्री जी,

हम तीन वामपंथी पार्टियां — मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और भाकपा (मा-ले)-लिबरेशन — आपका ध्यान निम्न तथ्यों की ओर आकर्षित करना चाहते हैं :

1. हमारा ध्यान आपकी सरकार की ओर से 10 जुलाई, 2021 को विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित विज्ञापन की ओर गया है, जिसमें आपकी सरकार ने कहा है कि अगले दो सालों में “वामपंथ प्रभावित क्षेत्र में 1637 करोड़ रुपयों से सड़क संपर्क” बनाया जाएगा। विज्ञापन संलग्न है।

2. निश्चित ही यहां आपकी सरकार का इशारा “माओवाद-प्रभावित या नक्सल प्रभावित वामपंथी-उग्रवाद” से है। लेकिन विज्ञापन में उपयोग में लाया गया शब्द “वामपंथ प्रभावित” भ्रम पैदा करता है। “वामपंथ प्रभावित” और “वामपंथ-उग्रवाद प्रभावित” शब्द समानार्थी नहीं है और उनके राजनीतिक निहितार्थ भिन्न-भिन्न होते हैं।

3. आप जानते हैं कि वामपंथी ताकतों की देश की संसदीय राजनीति को रूपाकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका है और वह देश की संवैधानिक-लोकतांत्रिक-राजनैतिक प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा है। एक से अधिक राज्यों में वह सत्ता में है/ रही है या प्रमुख विपक्षी पार्टी है/ रही है। वर्ष 2005 में वामपंथ के बाहरी और सक्रिय समर्थन से ही संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन का केंद्र की सत्ता में आना सुनिश्चित हो सका था। आज भी आम जनता के हितों से जुड़े कई साझा मुद्दों पर कांग्रेस और वामपंथी ताकतों के सहयोग व समर्थन से संघर्ष विकसित हो रहा है।

4. इस देश की मुख्यधारा की वामपंथी पार्टियों को “वामपंथी उग्रवाद” के समकक्ष रखकर उसे बदनाम करने की कोशिश भाजपा करती रही है, जबकि हमारा वामपंथी-उग्रवाद से कोई लेना-देना नहीं रहा है। भाजपा की इसी समझदारी को इस विज्ञापन के जरिये आगे बढ़ाया गया है, जो खेदजनक है। एक बार फिर यह विज्ञापन आदिवासी क्षेत्रों के पिछड़ेपन के लिए “वामपंथी” ताकतों को जिम्मेदार ठहराता प्रतीत होता है।

5. हम तीनों वामपंथी पार्टियों का आग्रह है कि इस विज्ञापन में प्रयुक्त दक्षिणपंथी शब्दावली को सुधारा जाए और भविष्य में इस प्रकार की शब्दावली का उपयोग न करने का निर्देश सक्षम अधिकारियों को जारी किया जाए।

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