बेंगलुरु, 26 अगस्त 2023

India का Mission Moon यानि चंद्रयान-3  को सफल बनाने के लिए इसरो के वैज्ञानिकों की पूरी दुनिया में तारीफ हो रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मिशन चंद्रयान-3 की सफलता के पीछे इसरो में कार्यरत 100 से ज्यादा महिलाओं की भी सशक्त भूमिका रही है।  भले ही विक्रम लैंडर के चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद केवल एसोसिएट परियोजना की निदेशक के. कल्पना ही सामने आईं हैं लेकिन, मिशन को सफल बनाने में 100 से भी अधिक महिला वैज्ञानिकों ने अहम भूमिका निभाई है।

चंद्रयान-2 की परियोजना निदेशक एम. वनिता और मिशन निदेशक रितु करिधाल ने भी चंद्रयान-3 टीम के साथ सहयोग किया। मिशन की समीक्षा करने वाली टीम में रितु शामिल रहीं और उनके अनुभवों का पूरा लाभ चंद्रयान-3 टीम को मिला।

इसरो अध्यक्ष एस. सोमनाथ के अनुसार, हर अंतरिक्ष कार्यक्रम एक राष्ट्रीय मिशन होता है। इन मिशनों में कुछ चुनिंदा वैज्ञानिक सीधे तौर पर शामिल होते हैं, जो महत्त्वपूर्ण पदाधिकारी होते हैं। लेकिन, हजारों वैज्ञानिक एवं इंजीनियर अप्रत्यक्ष या रिमोटली योगदान देते हैं। चंद्रयान-3 मिशन में भी कई शिक्षाविदों, उद्योगों और सार्वजनिक उपक्रमों की सक्रिय भूमिका रही है। हर किसी का योगदान अमूल्य है।

संकल्पना से सिद्धि तक साथ रही नारीशक्ति
चंद्रयान-3 में 100 से अधिक महिला वैज्ञानिक व इंजीनियर योगदान दे रही हैं। चंद्रयान-3 की संकल्पना और डिजाइन तैयार करने से लेकर प्रणालियों एवं उप प्रणालियों के विभिन्न परीक्षण और मिशन के कार्यान्वयन तक उनकी अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। महिला वैज्ञानिक अब भी मिशन में जुटी हुई हैं और अपना योगदान दे रही हैं।

सेंसर का विकास महिलाओं के बिना संभव नहीं
इसरो ने कहा कि चंद्रयान-3 की संरचना तैयार करने और प्रबंधन में भी महिलाएं आगे रहीं। अंतरिक्ष यान की एसेंबलिंग, इंटीग्रेशन, परीक्षण और मिशन के संचालन के लिए जमीनी केंद्रों की स्थापना में उनका योगदान सराहनीय रहा है। लैंडर के ऑटोमेटिक सुरक्षित सॉफ्ट लैंडिंग के लिए नेविगेशन, नियंत्रण और सिमुलेशन का दायित्व भी महिलाओं ने निभाया। कुछ बेहद महत्त्वपूर्ण सेंसर जैसे लेजर डॉप्लर वेलोसिटी मीटर, लेजर अल्टीमीटर और लेजर हॉरिजन्टल वेलोसिटी कैमरा के विकास और आपूर्ति में भी उनका योगदान रहा। लैंडर विक्रम को चांद की सतह पर सॉफ्ट और सुरक्षित लैंडिंग कराने में ये सेंसर काफी कारगर साबित हुए हैं।

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चंद्रयान-3 के प्रमुख चेहरे
चंद्रयान-3 टीम का नेतृत्व इसरो अध्यक्ष सोमनाथ ने किया जबकि विभिन्न केंद्रों के निदेशकों ने मिशन में साथ दिया। कोर टीम में परियोजना निदेशक पी. वीरामुत्तूवेळु, एसोसिएट परियोजन, कल्पना काळहस्ती, मिशन निदेशक मोटमरी श्रीकांत के अलावा 27 डिप्टी परियोजना निदेशक भी शामिल थे।

टीम बड़ी, लीडर नहीं

अंतरिक्ष एजेंसी का कहना है कि एक समर्पित, संगठित और सामूहिक प्रयास के साथ काम करने वाली टीम ने चंद्रयान-3 की सफलता सुनिश्चित की। यही इसरो की संस्कृति भी है। यहां सभी खुले मन से तकनीकी समीक्षा को स्वीकार करते हैं। संगठन या पद को महत्त्व दिए बिना जिस तकनीक या प्रस्ताव पर विस्तृत चर्चा की आवश्यकता होती है उसे पूरा किए बिना आगे नहीं बढ़ते। टीम का कोई भी सदस्य (चाहे उस टीम का लीडर ही क्यों ना हो) टीम से बड़ा नहीं हो सकता। टीम लीडर को सभी विषयों का ज्ञाता होने की जरूरत नहीं है लेकिन, वह टीम के हर सदस्य से सर्वश्रेष्ठ योगदान सुनिश्चित करता है। अगर कोई भी सदस्य किसी विसंगति को ढूंढता है तो उसकी सराहना की जाती है। चर्चा और उस विसंगति को दूर करने के लिए कोई औपचारिक बैठक की जरूरत नहीं होती है। वे कभी भी, कहीं भी चाय की मेज पर या दोपहर के खाने के समय इसपर चर्चा कर सकते हैं।

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