जिले के सभी पत्रकार दिखे एकजुट, काफी हंगामे के बाद समझौते से निकला हल
मुंगेली। पूरे क्षेत्र में गांव गांव कोरोनो महामारी की तरह चल रहे अवैध सट्टा, जुआं के खिलाफ पत्रकारों ने कलम चलाई,प्रसारण किया तो पुलिस प्रशासन द्वारा नोटिस जारी कर स्पस्टीकरण मांगा गया जिससे आक्रोशित पत्रकार कोतवाली के समीप जमीन पर बैठ काली पट्टी लगा विरोध जताया गया।
बता दें मीडिया में खबर प्रसारण के बाद पुलिस विभाग ने पत्रकारों को नोटिस देकर सुनवाई के लिए वैध दस्तावेजों के साथ थाने में तलब किया है। इससे स्थानीय पत्रकारों में रोष व्याप्त है। इसी बात को लेकर आक्रोशित पत्रकारों का दल कोतवाली थाने के सामने ही धरने पर बैठ गया। इसके अलावा सभी पत्रकारो ने पुलिस अधीक्षक को एक ज्ञापन भी सौंपा है।
धरने पर बैठे पत्रकारों ने एक स्वर में इसका विरोध किया साथ ही किसी भी खबर के प्रसारण में नोटिस पत्रकारों को ना देकर पीआरबी एक्ट के तहत संपादक को दिए जाने का विधिसम्मत प्रावधान है बावजूद स्थानीय पुलिस द्वारा दो पत्रकारों को डराने के लिहाज से गैर वाजिब नोटिस भेज दिया गया। हालांकि इस खबर के लिए विषम परिस्थितियों या आपत्तिजनक प्रसारण अथवा प्रकाशन में स्थानीय संवाददाताओं को ऐसा नोटिस तामील नहीं होता बल्कि संपादक ही जिम्मेदार होते है।
घटना पर पत्रकार दिखे एकजुट,प्रेस के विभिन्न संगठनों ने जताई नाराजगी
इस घटना को लेकर प्रेस क्लब, सक्रिय पत्रकार संघ व अन्य संगठनों ने भी गहरी नाराजगी जताई है। प्रशासन का ऐसा करना पत्रकारिता के उसूलों के खिलाफ है। पत्रकारों का काम ही है प्रश्न पूछना और प्रमाणिकता के साथ खबरों का प्रकाशन करना। ऐसे में अगर उनको आए दिन शासन-प्रशासन गैरवाजिब हस्तक्षेप कर प्रभावित करेगा तो चौथा स्तंभ आमजनमानस के समक्ष असल जानकारी कैसे पहुंचा पायेगा?