नई दिल्ली, 1 मार्च 2021

फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर गैर कानूनी या आपत्तिजनक कंटेंट पर कंट्रोल करने के लिए सरकार ने नए आईटी रूल्स को नोटिफाई कर दिया है. नए नियम के अनुसार सरकार के आदेश के बाद जितनी जल्दी हो अपने प्लेटफॉर्म्स से कंटेंट हटाना होगा. 25 फरवरी को पास नए इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी नियमों के मुताबिक, सरकार के आदेश के ज्यादा से ज्यादा 36 घंटों के भीतर सोशल प्लेटफॉर्म को वह कंटेंट हटाना होगा जिसपर सरकार को आपत्ति होगी. पहले यह समयसीमा 72 घंटों की थी.

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से कोर्ट के आदेश या सरकारी अथॉरिटी द्वारा पूछे जाने पर उसे उस शरारती ट्वीट या मैसेज के पहले ऑरिजनेटर को बताना होगा. उन्होंने कहा कि यह केवल भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य, सार्वजनिक व्यवस्था, विदेश के साथ संबंध या रेप, सेक्शुअल कंटेंट आदि के संबंध में होना चाहिए.

रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अगर यूजर्स की गरिमा, खासकर महिलाओं के खिलाफ शिकायतें होती हैं, व्यक्ति के निजी भागों को दिखाया जाए या न्यूडिटी, सेक्शुअल एक्ट आदि की स्थिति में शिकायत होने के 24 घंटों के भीतर कंटेंट को हटाना होगा. यह महिलाओं की गरिमा के सम्मान के लिए किया गया है.

नए नियम के मुताबिक इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (गाइडेंस फॉर इंटरमीडियरीज एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) रूल्स, 2021, के तहत सोशल मीडिया कंपनियों को अथॉरिटी के आदेश पर 72 घंटों के भीतर जांच शुरू करनी होगी.

आईटी के नियमों में बदलाव

इसके साथ ही कंपनियों को इस मामले हर जरूरी मदद मुहैया करानी होगी. नए रूल्स के मुताबिक, शिकायत मिलने के 24 घंटों के भीतर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को सेक्सुअल एक्ट या कंडक्ट वाले कॉन्टेंट को हटाना होगा. नए रूल्स के मुताबिक, इस नए नियम के साथ भारत का शुमार उन देशों में हो जाएगा जो फेसबुक, ट्विटर जैसी बड़ी टेक कंपनियों का रेगुलेशन कर रही हैं. सरकार ने सोशल मीडिया पर गैर कानूनी या आपत्तिजनक पोस्ट को कंट्रोल करने के लिए आईटी के नियमों में बदलाव किया है. इस नियम के तहत ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हॉट्सऐप और गूगल जैसे इंटरमीडियारिज़ का संचालन होता है.

कई देशों में लागू हैं ऐसे नियम

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कई देशों में 36 घंटे के अंदर गैर-कानूनी कॉन्टेन्ट को हटाने का प्रावधान शामिल है. कई पश्चिमी देशों में ऐसे नियम पहले से ही लागू हैं. आईटी एक्ट के सेक्शन के 79 के तहत इंटरमीडियरीज गाइडलाइंस को एक ऐसे समय संशोधित किया जा रहा है, जब सरकार के अंदर ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर गैर-कानूनी कॉन्टेन्ट बढ़ाने को लेकर चिंता है. इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी इंटरमीडियरिज गाइडलाइंस रूल्स, 2011, के तहत सरकार चाहती है कि सोशल मीडिया कंपनियां गैर-कानूनी कॉन्टेन्ट को अपने प्लेटफॉर्म से हटाने के लिए अधिक उत्तरदायी बनें.

ट्विटर से हुआ था विवाद

असल में ट्विटर के साथ हुए विवाद से नाराज भारत सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों को नियंत्रण में रखने के लिए नए नियम लाने का प्लान बनाया था. भारत में भी तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के दौरान कुछ ट्वीट को अशांति का कारण मानते हुए सरकार ने ट्विटर को इन्हें हटाने और ऐसे ट्विटर हैंडल प्रतिबंधित करने का निर्देश दिया था. ट्विटर ने विभिन्न नियमों का हवाला देते हुए सरकार के आदेश को मानने से इनकार कर दिया था.

शक्तिशाली टेक कंपनियों को नियंत्रित करने की कोशिश दुनियाभर में विभिन्न देशों की तरफ से की जा रही है. फेसबुक को ही पिछले सप्ताह ऑस्ट्रेलिया में सरकार के साथ राजस्व साझीदारी के मुद्दे पर टकराव का सामना करना पड़ा था. फेसबुक के ऑस्ट्रेलिया में समाचारों को अपने प्लेटफार्म पर प्रतिबंधित करने पर उसे पूरी दुनिया में आलोचना झेलनी पड़ी थी.

वेब सीरीज कंटेंट पर भी कंट्रोल

सरकार ने ‘इंटरमीडिएटरी गाइडलाइंस एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड’ तैयार किया है. इन नियमों में फेसबुक-ट्विटर जैसी सोशल मीडिया कंपनियों के साथ ही नेटफ्लिक्स और अमेजन प्राइम जैसे वेब एंटरटेनमेंट प्लेटफार्मों की मनमानी पर भी अंकुश लगाया जा सकेगा. नए नियमों में वेब सीरीज कंटेंट के साथ आयु संबंधी रेटिंग और सलाह देना अनिवार्य किया गया है.

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