नई दिल्ली, 02 जून 2021

आईटी के नए नियमों को लेकर चल रही उठापटक के बीच गूगल एलएलसी ने दावा किया है कि डिजिटल मीडिया के लिए भारत सरकार के बनाए आईटी के नये नियम उसके सर्ज इंजन पर लागू नहीं होते हैं। गूगल ने दिल्ली हाईकोर्ट से आज अनुरोध किया कि वह एकल न्यायाधीश के उस आदेश को दरकिनार करें, जिसके तहत इंटरनेट से आपत्तिजनक सामग्री हटाने संबंधी मामले की सुनवाई के दौरान कंपनी पर भी इन नियमों को लागू किया गया था। 

कोर्ट ने जारी किए नोटिस

गूगल के इस दावे के बाद दिल्ली हाईकोर्ट की त्यौरियां चढ़ गई हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने गूगल के इस दावे के बाद केन्द्र सरकार को नोटिस भेज कर स्पष्टीकरण मांगा है। हाईकोर्ट के प्रधान न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने केंद्र, दिल्ली सरकार, इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, फेसबुक, अश्लील सामग्री दिखाने वाली (पॉर्नग्रैफिक) साइट और उस महिला को नोटिस जारी किए, जिसकी याचिका पर एकल न्यायाधीश ने आदेश जारी किया था. पीठ ने उनसे 25 जुलाई तक गूगल की याचिका पर अपना अपना जवाब देने को कहा है। अदालत ने यह भी कहा कि वह इस फेज में अभी कोई अंतरिम आदेश नहीं देगी।

एकल न्यायाधीश की पीठ ने उस मामले की सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया था, जिसमें एक महिला की तस्वीरें कुछ बदमाशों ने अश्लील (पॉनग्रैफिक) सामग्री दिखाने वाली एक वेबसाइट पर अपलोड कर दी थीं और उन्हें अदालत के आदेशों के बावजूद वर्ल्ड वाइड वेब से पूरी तरह हटाया नहीं जा सका था. इन तस्वीरों को अन्य साइट पर फिर से पोस्ट किया गया था.

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जबकि गूगल ने दावा किया है कि एकल न्यायाशीश ने 20 अप्रैल के अपने आदेश में नए नियम के अनुसार ‘सोशल मीडिया मध्यस्थ’ या ‘महत्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यस्थ’ के तौर पर उसके सर्च इंजन का ‘गलत चित्रण’ किया. उसने याचिका में कहा, ‘एकल न्यायाशीश ने याचिकाकर्ता सर्च इंजन पर नए नियम 2021 गलत तरीके से लागू किए और उनकी गलत व्याख्या की. इसके अलावा एकल न्यायाधीश ने आईटी अधिनियम की विभिन्न धाराओं और विभिन्न नियमों को समेकित किया है और ऐसे सभी आदेशों एवं प्रावधानों को मिलाकर आदेश पारित किए है, जो कानून में सही नहीं है.’

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