नई दिल्ली, 12 फरवरी 2021

देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें रोजाना बढ़ रही हैं, अब तो कीमतें इतनी ज्यादा बढ़ चुकी हैं कि पिछले सारे रिकॉर्ड पीछे छूट गए हैं. ऐसे में देश के सबसे बड़े ऑडिटर Comptroller and Auditor General of India यानी CAG की तेल कंपनियों पर बड़े सवाल खड़े करती है. CAG ने पेट्रोल और डीजल की डेली प्राइसिंग सिस्टम में कई खामियां पाईं हैं. CAG की  रिपोर्ट में कहा गया है कि तेल कंपनियां ग्राहकों से ओवरचार्ज कर रहीं हैं. ये ऑडिट रिपोर्ट साल 2014-15 to 2017-18 की अवधि के दौरान तैयार की गई है, जिसे 9 फरवरी को संसद के पटल पर रखा गया.

तेल कंपनियां ओवरचार्जिंग कर रहीं: CAG 

188 आउटलेट (IOC – 40, HP -35, BP-16) में से 91 में 3463 बार ऐसी घटना हुई है कि जब डीलर्स ने तेल की कीमतें रोजाना 6 बजे बदलने में मुस्तैदी नहीं दिखाई. CAG की रिपोर्ट में बताया गया है कि डेली प्राइस में बदलाव मैनुअली सुबह 6 बजे से पहले 587 मिनट की रेंज में किया गया, जबकि 1078 मिनट की रेंज में सुबह 6 बजे के बाद किया गया. CAG का कहना है कि ऐसी घटनाओं की वजह से कस्टमर के साथ ओवरचार्जिंग को खारिज नहीं किया जा सकता. 188 आउटलेट्स का चुनाव तीन सरकार कंपनियों के 55013 रीटेल आउटलेट्स में से किया गया है, जिसमें से 61 ऑटोमेटेड हैं और 127 नॉन ऑटोमेटेड.

तेल कंपनियों की तैयारी अधूरी: CAG

ऐसा भी देखने को मिला कि प्राइस पुश एप्लीकेशन और सतत कनेक्टिविटी के साथ रीटेल आउटलेट के ऑटोमेशन से मानवीय दखल को खत्म कर तुरंत और सही प्राइस चेंज किया जाता है, CAG की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि तेल मार्केटिंग कंपनियों ने जून 2017 में जब पॉलिसी लागू की गई थी, सिर्फ 43 परसेंट रीटेल आउटलेट्स को ही ऑटोमैटिक किया है, ये दर्शाता है कि उनकी तैयारी अधूरी थी.

सिर्फ 80 परसेंट आउटलेट की ऑटोमैटिक हो पाए: CAG

CAG की रिपोर्ट में कहा गया है कि नवंबर 2017 में जारी किए गए पेट्रोलियम और नैचुरल गैस मंत्रालय (MoPNG) के निर्देशों के मुताबिक रीटेल आउटलेट्स का ऑटोमेशन दिसंबर 2018 तक पूरा कर लिया जाना चाहिए था, जबकि इस तारीख तक 1487 करोड़ रुपये के कैपिटल एक्सपींडचर के साथ
सिर्फ 80 परसेंट आउटलेट्स ही ऑटोमैटिक हो पाए.

कीमतें बदलने में मुस्तैदी नहीं: CAG

HPCL और BPCL के केस में, कुछ रीटेल आउटलेट्स जो Daily Price Push कंप्लायंट थे, कनेक्टिविटी इश्यू के चलते ऐसा नहीं कर सके. HPCL के 16 जून 2017 से लेकर 30 जून 2018 तक के डाटा को रीव्यू किया गया, तो पता चला कि उनका ‘Daily failure rate’ 9 परसेंट से 88 परसेंट के बीच था. जबकि इस दौरान BPCL का ‘Daily failure rate’ 59 से 93 परसेंट के बीच था.

रिपोर्ट में ये भी मिला कि ‘डीलर्स की ओर से भी कीमतों को बदलने में मुस्तैदी नहीं दिखाई गई. ऐसी 95 घटनाएं दर्ज की गईं जब डीलर्स की ओर से तेल की कीमतें किसी दिन के लिए बढ़ा दी गईं और ग्राहक से ओवरचार्ज किया गया जो कि Marketing Discipline Guidelines (MDG) के हिसाब से बड़ी अनियमितता है.’

तेल कंपनियों ने गिनाईं दिक्कतें 

तेल कंपनियों से जब इसके बारे में जवाब मांगा गया तो IOCL ने फरवरी 2019 को और HPCL ने अप्रैल 2019 को बताया कि, कीमतें बदलने के लिए बड़ी संख्या में डिस्पेंसिंग यूनिट का इस्तेमाल होता है, कनेक्टिविटी की दिक्कतें भी आतीं हैं, रीटेल आउटलेट्स में शिफ्ट्स में काम  होता है, प्रिंटर की रिपेयरिंग और आउटलेट का ऑटोमेशन जैसी प्रैक्टिकल दिक्कतें पेश आती हैं.

IOC ने गलत कीमत वसूलने की बात भी मानी

रिपोर्ट में कहा गया है कि तेल मार्केटिंग कंपनियों ने ऑडिट रिपोर्ट में बताई गई गलत कीमतें वसूलने (incorrect charging of prices) की बात को स्वीकार किया है. CAG की रिपोर्ट में ऐप्स और SMS सुविधा में गड़बड़ियां बताईं गईं हैं और कहा गया है कि इस ओर ध्यान देने की जरूरत है ताकि ग्राहकों का भरोसा बढ़ाया जा सके कि उनसे जो कीमत वसूली जा रही है वो सही है.

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