रायपुर, 12 मई 2021
राज्य में ब्लैक फंगस के इतने मरीज
रायपुर के एम्स में ब्लैक फंगस के 15 मरीज भर्ती कराये गये हैं। इनमें से 8 मरीजों की आंखों में फंगस इंफेक्शन है, जबकि बाकी मरीजों के शरीर के बाकी हिस्सों में इन्फेक्शन देखने को मिला है। सभी मरीजों को गहन निगरानी में रखकर इलाज किया जा रहा है। पूरे प्रदेश में ब्लैक फंगस के करीब 50 मरीज मिलने की जानकारी सामने आई है। इसकी रोकथाम हेतु पोसाकोनाजोल एवं एम्फोटेरसिन-बी औषधियों की आवश्यकता होती है, जिसकी नियमित एवं विधिवत् आपूर्ति किया जाना अतिआवश्यक है। मुख्यमंत्री के निर्देशों के परिपालन में छत्तीसगढ़ के खाद्य एवं औषधि प्रशासन नियंत्रक ने सभी जिलों में पदस्थ औषधि निरीक्षकों को अपने जिलों में औषधि पोसाकोनाजोल एवं एम्फोटेरेसिन-बी (समस्त डोसेज फाॅर्म, टेबलेट, सीरप, इंजेक्शन एवं लाइपोसोमल इंजेक्शन) की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किये हैं।
कितना खतरनाक है ब्लैक फंगस ?
डॉक्टरों का मानना है की यह फंगस पिछली कोरोना लहर में भी दिखा था लेकिन इस बार यह ज्यादा खतरनाक है. अगर यह फंगस मरीज के दिमाग तक पहुंच गया तो मरीज का बचना काफी मुश्किल होता है. इसके लक्षण है आंखों में जलन, सर दर्द, आधे चेहरे पर सूजन आना, नाक बंद होना, साइनस की तकलीफ, आंखों से चेहरे से ही यह फंगस दिमाग तक पहुंचता है.
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कैसे होता है ये इंफेक्शन
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी के पॉल ने कहा है कि म्यूकोरमाइकोसिस रोग म्यूकर नाम के फंगस की वजह से होता है जो नम सतहों पर पाया जाता है. उन्होंने यह भी कहा था कि जब कोविड-19 मरीज को ऑक्सीजन प्रणाली पर रखा जाता है तो उसमें वायु को नम रखनेवाला जलयुक्त उपकरण लगा होता है, ऐसी स्थिति में मरीज के कवक संक्रमण की चपेट में आने का जोखिम बढ़ जाता है.
म्यूकोरमाइसिस के और भी हैं साइड इफेक्ट
सर गंगाराम अस्पताल के वरिष्ठ नाक कान गला (ईएनटी) सर्जन डॉक्टर मनीष मुंजाल ने कहा, ‘हम कोविड-19 से होने वाले इस खतरनाक फंगल संक्रमण के मामलों में फिर से वृद्धि देख रहे हैं. बीते कुछ दिनों में हमने म्यूकोरमाइसिस से पीड़ित छह रोगियों को भर्ती किया है. बीते साल इस घातक संक्रमण में मृत्यु दर काफी अधिक रही थी और इससे पीड़ित कई लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी तथा नाक और जबड़े तक की हड्डी गल गई थी.’
कम संसाधनों के बावजूद सिम्स ने पूरे किए दो लाख टेस्ट, बीते चार माह में ही एक लाख टेस्ट।
कोविड-19 संबंधी जटिलताओं के कारण बढ़े रहे केस
चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान निदेशालय (डीएमईआर) के प्रमुख, डॉक्टर तात्याराव लहाने ने कहा कि कवक संक्रमण की बीमारी के बारे में पहले से ही पता है, लेकिन इसके मामले कोविड-19 संबंधी जटिलताओं की वजह से बढ़ रहे हैं जिसमें स्टेरॉइड दवाओं का इस्तेमाल कई बार रक्त में शर्करा (ब्लड सुगर) का स्तर बढ़ा देता है और कुछ दवाओं का परिणाम रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर होने के रूप में निकलता है.