रायपुर, 19 जुलाई 2020
गांव, गरीब की सरकार बनाने का दावा करके पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई कांग्रेस सरकार ने नरवा, गरुवा, घुरवा और बाड़ी के बाद ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए एक और फ्लैगशिप योजना लॉंच करने की तैयारी की है। गोधन न्याय योजना नाम के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की इस महत्वकांक्षी योजना का शुभारंभ 20 जुलाई को हरेली पर्व के दिन किया जाएगा। गोधन न्याय योजना की लॉचिंग की सभी तैयारियां पूरी की जा चुकी हैं। 20 जुलाई को राज्य के सभी जिलों में स्थित शासकीय गौठानों में गोधन न्याय योजना के शुभारंभ कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे। इन गौठानों पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, मंत्रीगण, संसदीय सचिव, विधायकगण एवं स्थानीय जनप्रतिनिधि उपस्थित रहेंगे।
भूपेश बघेल 20 जुलाई को प्रातः 10 बजे मुख्यमंत्री निवास में हरेली पूजा के साथ गोधन न्याय योजना का शुभारंभ करेंगे। मुख्यमंत्री इसके बाद 11 बजे रायपुर जिले के आरंग विकासखण्ड के आदर्श गौठान बैहार में तथा इसके बाद दुर्ग जिले के पाटन में आयोजित कार्यक्रमों में भाग लेकर गोधन न्याय योजना का शुभारंभ करेंगे। राज्य के सभी जिलों में गोधन न्याय योजना का शुभारंभ कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जहां मंत्रीगण, संसदीय सचिव, विधायकगण एवं अन्य जनप्रतिनिधि भाग लेंगे।
गोधन न्याय योजना ग्रामीणों, किसानों एवं पशुपालकों को लाभ पहुंचाने की एक अभिनव योजना है। योजना के तहत किसानों एवं पशुपालकों से दो रूपए किलो की दर से सरकार गोबर की खरीदी करेगी। इस गोबर से सरकार वर्मी कम्पोस्ट तैयार करेगी। जिसे वापस 8 रुपये प्रति किलो की दर से किसानों को बेचा जाएगा। इससे गांव में लोगों को रोजगार एवं आर्थिक लाभ प्राप्त होगा। राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा। गोधन न्याय योजना के तहत प्रदेश में प्रथम चरण में ग्रामीण क्षेत्रों के 2408 और शहरी क्षेत्रों के 377 गौठानों में गोबर की खरीदी प्रारंभ की जाएगी। चरणबद्व रूप से सभी 11 हजार 630 ग्राम पंचायतों में गौठान का निर्माण पूरा होने इस योजना के तहत वहां भी गोबर खरीदी की जाएगी।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए इससे पहले भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नरवा, गरुवा, घुरवा और बाड़ी योजना शुरु की थी। उसके बाद रोका-छेका योजना, राजीव गांधी किसान न्याय योजना, सुराजी गांव योजना की शुरुआत की गई। सरकार बनाने के दस दिनों के भीतर किसानों का कर्जा माफ और बिजली बिल हाफ का वादा भी कांग्रेस ने किया था।
राज्य में पांच हजार से अधिक गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी जा चुकी है। गौठानों में किसानों एवं पशुपालकों पशुधन के रखरखाव एवं उनके चारे-पानी का बेहतर प्रबंध किए जाने के साथ ही महिला स्वसहायता समूह के माध्यम से विभिन्न आयमूलक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। घुरवा कार्यक्रम के तहत गांव में नाडेप एवं वर्मी कम्पोस्ट के उत्पादन की ओर ग्रामीणों एवं किसानों का रूझान बढ़ा है। राज्य में निर्मित गौठानों में बड़े पैमाने पर वर्मी कम्पोस्ट खाद का उत्पादन भी किया जा रहा है। बाड़ी विकास कार्यक्रम से गांव में सब्जी-भाजी के उत्पादन को बढ़ावा मिला है। महिला समूह अब सामूहिक रूप से सब्जी उत्पादन के कार्य से जुड़े हैं। इन योजनाओं के माध्यम से छत्तीसगढ़ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। राज्य में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज्य का सपना मूर्त रूप लेने लगा है।