नई दिल्ली, 02 जून 2021
सक्रिय मामले हुए कम
हालांकि, देश में कोविड रिकवरी रेट का फिर से बढ़ता होना राहत देने वाला है.
डब्ल्यूएचओ ने जताई चिंता
कोविड से मौतों और शवों के अंतिम संस्कार से जुड़ी ऐसी खबरों के बीच डब्ल्यूएचओ ने भारत में हो रही मौतों पर चिंता जताई है. संगठन की चीफ साइंटिस्ट डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि सरकार को कोविड-19 के असल आंकड़े बताना चाहिए.
नदियों में बहती मिल रहीं हैं लाशें
देश में कहर बरपा रही कोरोना की दूसरी लहर के चलते हालात बहुत खराब हैं. एक ओर अस्पतालों में जगह नहीं है. वहीं ऑक्सीजन और कोविड वैक्सीन का संकट भी है. दिन-रात चिताएं जल रही हैं. यहां तक कि अब तो नदियों में दर्जनों लाशें बहती दिख रही हैं. यूपी और बिहार में ऐसे मामले सामने आए हैं.
बड़े पैमाने पर हो सर्वे
CSIR के इस सर्वे पर सीनियर फीजिशियन डॉ. एसके कालरा कहते हैं, ‘ये केवल सर्वेक्षण का एक नमूना है. साइंटिफिक रिसर्च पेपर नहीं है जिसका रिव्यू हुआ है. लिहाजा वैज्ञानिक समझ के बिना विभिन्न ब्लड ग्रुप के लोगों में संक्रमण की दर कैसे तय की जा सकती है. O ब्लड ग्रुप के लोगों में संक्रमण से लड़ने के लिए बेहतर इम्यूनिटी होती है, ये कहना फिलहाल जल्दबाजी होगी. लिहाजा इसके लिए बड़े पैमाने पर सर्वे होना चाहिए.’
संक्रमितों में AB ब्लड ग्रुप वाले सबसे ज्यादा
सर्वे में सामने आया है कि कोरोना संक्रमित होने वालों में सबसे ज्यादा लोग AB ब्लड ग्रुप वाले हैं. इसके बाद कोरोना संक्रमित होने वालों में दूसरा नंबर B ब्लड ग्रुप का है.
इंफेक्शन को रोकती है वेजिटेरियन डाइट
हाई फाइबर वाली डाइट एंटी-इन्फ्लेमेटरी होती है, यह इंफेक्शन को शरीर पर हमला करने से रोकती है. यदि इंफेक्शन हो भी जाए तो मरीज की हालत गंभीर होने से बचा सकती है.
नॉनवेजिटेरियन को खतरा ज्यादा
देशभर में हुए सीरोपॉजिटिव सर्वे पर आधारित CSIR की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि शाकाहारी लोगों की तुलना में मांस खाने वाले लोगों (Non-Vegetarians) में कोविड-19 का जोखिम ज्यादा है. यह रिसर्च देशभर के करीब 10 हजार लोगों के सैंपल पर आधारित है. 140 डॉक्टर्स की एक टीम ने इनका विश्लेषण करने पर पाया कि वेजिटेरियन डाइट में हाई फाइबर होने के कारण शाकाहारियों में संक्रमण कम हुआ है.
O ब्लड ग्रुप वालों पर महामारी का असर कम
सीएसआईआर ने अपनी रिसर्च में उस ब्लड ग्रुप के बारे में भी बताया है, जिस पर कोरोना का असर सबसे कम हुआ है. रिसर्च के मुताबिक O ब्लड ग्रुप के ज्यादातर मरीज या तो एसिम्प्टोमैटिक पाए गए हैं या फिर उनमें बेहद हल्के लक्षण देखे गए हैं.