नई दिल्ली, 14 अगस्त 2020
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को ईमानदार टैक्सपेयर्स के सम्मान में “’ट्रांसपैरेंट टैक्सेशन, ऑनरिंग द ऑनेस्ट’ प्लैटफॉर्म को लॉन्च किया. इस प्लेटफॉर्म में फेसलेस असेसमेंट, फेसलेस अपील और टैक्सपेयर्स चार्टर जैसे बड़े रिफॉर्म शामिल हैं. सरकार ने Faceless Assessment और Taxpayers Charter आज से लागू कर दिया. जबकि Faceless appeal की सुविधा 25 सितंबर यानी दीन दयाल उपाध्याय जी के जन्मदिन से पूरे देशभर में नागरिकों के लिए उपलब्ध हो जाएगी. इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि अब टैक्स सिस्टम भले ही फेसलेस हो रहा है, लेकिन टैक्सपेयर को ये फेयरनेस और फीयरलेसनेस का विश्वास देने वाला है.
नए रिफॉर्म से कम होगा सरकार का दखल
पीएम मोदी ने इस मौके पर कहा कि देश का ईमानदार टैक्सपेयर राष्ट्रनिर्माण में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है. जब देश के ईमानदार टैक्सपेयर का जीवन आसान बनता है, वो आगे बढ़ता है, तो देश का भी विकास होता है, देश भी आगे बढ़ता है. आज से शुरू हो रहीं नई व्यवस्थाएं, नई सुविधाएं, मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को और मजबूत करती हैं. ये देशवासियों के जीवन से सरकार को, सरकार के दखल को कम करने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है. ये नए भारत के नए गवर्नेंस मॉडल का प्रयोग है और इसके अच्छे नतीजे देश देखने में आ रहे हैं.
SC में 2 करोड़ तक के केस सुने जाएंगे
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत के टैक्स सिस्टम में फंडामेंटल और स्ट्रक्चरल रिफॉर्म्स की ज़रूरत इसलिए थी क्योंकि हमारा आज का ये सिस्टम गुलामी के कालखंड में बना और फिर धीरे धीरे विकसित हुआ. आजादी के बाद इसमें यहां वहां थोड़े बहुत परिवर्तन किए गए, लेकिन ज्यादातर सिस्टम का चार्टर वही रहा.
अब हाईकोर्ट में 1 करोड़ रुपये तक के और सुप्रीम कोर्ट में 2 करोड़ रुपये तक के केस की सीमा तय की गई है. ‘विवाद से विश्वास’ जैसी योजना से कोशिश ये है कि ज्यादातर मामले कोर्ट से बाहर ही सुलझ जाएं. टैक्स प्रणाली को सीमलेस, पेनलेस, फेसलेस बनाने की कोशिश है. सीमलेस यानी टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन, हर टैक्सपेयर को उलझाने के बजाय समस्या को सुलझाने के लिए काम करे. पेनलेस यानी टेक्नॉलॉजी से लेकर नियमों तक सब कुछ सरल हो.
टैक्सपेयर्स चार्टर बड़ा कदम: पीएम
पीएम मोदी ने कहा कि टैक्सपेयर्स चार्टर भी देश की विकास यात्रा में बहुत बड़ा कदम है. अब टैक्सपेयर को उचित, विनम्र और तर्कसंगत व्यवहार का भरोसा दिया गया है. यानी आयकर विभाग को अब टैक्सपेयर की गरिमा का संवेदनशीलता के साथ ध्यान रखना होगा. अब टैक्सपेयर की बात पर विश्वास करना होगा, डिपार्टमेंट उसको बिना किसी आधार के ही शक की नजर से नहीं देख सकता है.
टैक्स देने में सक्षम लोग आगे आएं: मोदी
वर्ष 2012-13 में जितने टैक्स रिटर्न्स होते थे, उसमें से 0.94 परसेंट की स्क्रूटनी होती थी. वर्ष 2018-19 में ये आंकड़ा घटकर 0.26 परसेंट पर आ गया है. यानी केस की स्क्रूटनी, करीब-करीब 4 गुना कम हुई है. स्क्रूटनी का 4 गुना कम होना, अपने आप में बता रहा है कि बदलाव कितना व्यापक है.
पीएम ने कहा कि इन सारे प्रयासों के बीच बीते 6-7 साल में इनकम टैक्स रिटर्न भरने वालों की संख्या में करीब ढाई करोड़ की वृद्धि हुई है. लेकिन ये भी सही है कि 130 करोड़ के देश में ये अभी भी बहुत कम है. इतने बड़े देश में सिर्फ डेढ़ करोड़ लोग ही इनकम टैक्स जमा करते हैं.
कि जो टैक्स देने में सक्षम हैं, लेकिन अभी वो टैक्स नेट में नहीं है, वो स्वप्रेरणा से आगे आएं, ये मेरा आग्रह है और उम्मीद भी.
टैक्स कानून को सरल बनाने पर फोकस
इससे पहले, बुधवार को वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि टैक्स रिफॉर्म टैक्स रेट में कमी करने और डायरेक्ट टैक्स कानूनों के सरलीकरण पर फोकस रहा है. आयकर विभाग के कामकाज में दक्षता और पारदर्शिता लाने के लिए सीबीडीटी की ओर से कई कदम उठाए गए हैं. हाल ही में शुरू की गई ‘दस्तावेज पहचान संख्या (DIN)’ के जरिए आधिकारिक कम्युनिकेशन में अधिक पारदर्शिता लाना भी इन उपायों में शामिल है. जिसके तहत विभाग के हर कम्युनिकेशन या पत्र-व्यवहार पर कंप्यूटर जेनरेटेड एक यूनिक डिन होता है.
इसी तरह, करदाताओं के लिए कम्प्लायंस को ज्यादा आसान करने के लिए आयकर विभाग अब ‘पहले से ही भरे हुए आयकर रिटर्न फॉर्म’ उपलब्ध करा रहा है, ताकि पर्सनल टैक्सपेयर्स के लिए कम्प्लायंस को और भी अधिक सुविधाजनक बनाया जा सके. इसी तरह स्टार्टअप्स के लिए भी कंप्लायंस मानकों को सरल बना दिया गया है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा था कि सीबीडीटी ‘टैक्सपेयर चार्टर’ लेकर आएगा. जिससे कर प्रशासन और करदाता के बीच भरोसा बढ़ेगा और विभाग की दक्षता बढ़ेगी. सीबीडीटी डायरेक्ट टैक्स के मामले पर निर्णय लेने वाली शीर्ष संस्था है.