रायपुर, 28 जून 2021
प्रियंका गांधी ने लिखा है कि ” 2013 में जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का दाम 101 डॉलर प्रति बैरल था, तब आपको पेट्रोल 66 रू/ लीटर और डीजल और डीजल 51 रू/ लीटर में मिल रहा था। उस समय केंद्र सरकार पेट्रोल पर 9 रू/लीटर और डीजल पर मात्र 3 रू/लीटर टैक्स लेती थी।
⭐2021 में भाजपा सरकार आपसे हर एक लीटर पेट्रोल खरीद पर 33 रू और डीजल पर 32 रू का टैक्स वसूल रही है। भाजपा सरकार पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी को 12 बार बढ़ा चुकी है।
⭐2014 में भाजपा सरकार ने पेट्रोल डीजल पर टैक्स लगाकर जितने रुपए वसूले थे 2020-21 में उससे 300% से ज्यादा लगभग 4 लाख करोड़ वसूले।
⭐अप्रैल 2020 में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 19 डॉलर/ बैरल पहुंचने के बावजूद भी केंद्र सरकार ने इसका फायदा देशवासियों तक नहीं पहुंचने दिया बल्कि कंपनियों की और अपनी जेबें भरना जारी रखा।
⭐आज भी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें 2013 के मुकाबले बहुत कम हैं। लेकिन इस साल सरकार 50 से ज्यादा बार पेट्रोल- डीजल की कीमतें बढ़ा चुकी है। देश के 135 जिलों में पेट्रोल की कीमतें शतक लगा चुकी हैं।
⭐2014 से भाजपा सरकार पेट्रोलियम पदार्थों पर टैक्स से लगभग 21.5 लाख करोड़ रु वसूल चुकी है और महामारी वाले साल में, जब आपकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी सरकार ने पेट्रोल- डीजल पर टैक्स के जरिए आपसे लगभग 4 लाख करोड़ रु वसूले हैं?
सवाल ये है कि:
👉जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें कम होने पर भी देशवासियों को इसका फायदा क्यों नहीं दिया गया?
👉क्या 2014 से अब तक टैक्स वसूली में 300% से ज्यादा की बढ़त जायज है?
👉केंद्र सरकार ने 7 सालों में पेट्रोलियम पदार्थों पर टैक्स से 21.5 लाख करोड़ वसूले हैं, लेकिन मध्य वर्ग, गरीब तबके, व्यापारी वर्ग को मिला क्या?
👉संकट काल में देशवासियों से पेट्रोल-डीजल पर टैक्स से लगभग 4 लाख करोड़ वसूले गए, बुरी आर्थिक स्थिति में देशवासियों को राहत देने के लिए इसमें से कितने खर्च हुए?
👉सरकार पेट्रोल-डीजल पर टैक्स और पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों को देशवासियों को लूटने का जरिया क्यों बना रही है?