मुंबई, 28 सितंबर 2022

1 अक्टूबर से बैंकिंग सेक्टर से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव ( 1 October Banking rule Change) होने जा रहा है. आरबीआई ने इसके लिए आदेश भी जारी कर दिया है.   क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड इस्तेमाल करने वालों के लिए आरबीआई 1 अक्टूबर से कार्ड-ऑन-फाइल टोकनाइजेशन (CoF Card Tokenisation) नियम ला रहा है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का कहना है कि टोकनाइजेशन सिस्टम में बदलाव आने के बाद कार्ड होल्डर्स को ज्यादा सुविधाएं और सुरक्षा मिलेगी.

आरबीआई ने दी जानकारी 

आरबीआई कि तरफ बताया गया है कि, इन नियमों को इसलिए लागू किया जा रहा है क्‍योंकि क्रेडिट और डेबिट कार्ड के जरिये पेमेंट को पहले से ज्‍यादा सुरक्षित बनाया जा सके. दरअसल, पिछले कुछ दिनों से क्रेडिट-डेबिट कार्ड के साथ हो रहे धोखाधड़ी की कई खबरें सामने आ रही थी. नए नियम के लागू होने के बाद कस्‍टमर डेबिट या क्रेडिट कार्ड से ऑनलाइन, पॉइंट ऑफ सेल (POS) या ऐप पर ट्रांजैक्शन करेंगे, तो सभी डिटेल इनक्रिप्टेड कोड में सेव होगी.

ये टोकनाइजेशन सिस्टम क्‍या है?

टोकन सिस्‍टम से डेबिट और क्रेडिट कार्ड का पूरा डेटा ‘टोकन’ में बदल जाता है. जिससे आपके कार्ड की जानकारी डिवाइस में छिपाकर रखी जाती है. आरबीआई के कहा है कि कोई भी शख्‍स टोकन बैंक पर रिक्वेस्ट कर कार्ड को टोकन में बदल सकता है. कार्ड को टोकन करने के लिए कार्ड होल्डर को कोई पेमेंट नहीं करना होगा। अगर आप अपने कार्ड को टोकन में बदल देंगे तो किसी भी शॉपिंग वेबसाइट या ई-कॉमर्स वेबसाइट पर आपके कार्ड की जानकारी को टोकन में सेव किया जा सकेगा.

फ्रॉड होगा कम!

रिजर्व बैंक के मुताबिक, नए नियम के लागू हो जाने के बाद नए पेमेंट सिस्‍टम से फ्रॉड के मामले कम होंगे. दरअसल, अभी ग्राहकों के क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड की जानकारियां लीक हो जाने से उनके साथ फ्रॉड होने का रिस्क होता है. रिजर्व बैंक ने कहा है कि अभी ई-कॉमर्स वेबसाइट, मर्चेंट स्टोर और ऐप आदि ग्राहकों के डेबिट कार्ड व क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करने के बाद कार्ड के डिटेल्स स्टोर कर लेते हैं. कई मामलों में मर्चेंट्स ग्राहकों के सामने कार्ड डिटेल्स स्टोर करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं छोड़ते हैं. ये डिटेल्स लीक हो जाने से ग्राहकों को नुकसान होने की आशंका बनी रहती है. लेकिन जब नए नियम  लागू होंगे तब इस तरह की घटनाओं पर रोक जाएगी.

RBI ने किया ग्राहकों के फायदे का काम 

RBI के नए नियमों में सबसे खास बात यह है कि कार्ड के जरिए होने वाले ट्रांजेक्शन से जुड़ी जानकारी ‘को ब्रांडिंग पार्टनर’ को नहीं दिया जाएगा. यह प्रावधान को-ब्रांडेड कार्ड सेग्मेंट में ऑपरेट कर रही कंपनियों के बिजनेस मॉडल को प्रभावित कर सकती हैं, क्योंकि ये कंपनियां इन ट्रांजेक्शन के आधार पर कस्टमर को विभिन्न तरीके के ऑफर देकर लुभाती हैं. ऐसे में अब ग्राहकों को किसी तरह के झांसे में आने का डर नहीं होगा. साथ ही कार्ड को लेकर आर्थिक नुकसान का कोई खतरा भी नहीं होगा.

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