नई दिल्ली, 13 मई 2023

अडानी समूह पर हिंडनबर्ग रिसर्च के द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) (SEBI) को 3 महीने का समय दिया है। जबकि सेबी (SEBI) ने जांच के लिए शीर्ष कोर्ट से 6 महीने का वक्त मांगा था।  

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने सेबी द्वारा अपनी जांच पूरी करने के लिए छह महीने का समय देने की अर्जी पर सुनवाई करते हुए यह बात कही.

पीठ ने कहा, ‘हम अब 6 महीने का समय नहीं दे सकते. काम में थोड़ी तत्परता बरतने की जरूरत है. एक साथ एक टीम रखो. हम अगस्त के मध्य में मामले को सूचीबद्ध कर सकते हैं और तब तक रिपोर्ट तैयार करें. न्यूनतम समय के रूप में 6 महीने नहीं दिए जा सकते हैं. सेबी अनिश्चितकाल की अवधि नहीं ले सकता है और हम उसे तीन महीने का समय देंगे.’

इसके बाद पीठ ने कहा कि वह सोमवार (15 मई) को समय विस्तार के लिए सेबी के आवेदन पर अपना आदेश सुनाएगा.

पीठ ने यह भी कहा कि उसे न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति द्वारा प्रस्तुत जांच रिपोर्ट प्राप्त हुई है, जिसकी अध्यक्षता शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस मनोहर सप्रे ने की थी.

समिति में पूर्व बैंकर केवी कामत तथा ओपी भट्ट, इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणी, प्रतिभूति वकील सोमशेखर सुंदरसन और हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जेपी देवधर भी शामिल हैं.

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पीठ ने कहा, ‘जस्टिस सप्रे की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट रजिस्ट्री में प्राप्त हो गई है और हम सप्ताहांत में रिपोर्ट देख सकते हैं. इसे सोमवार को सूचीबद्ध करें. हम समय मांगने के आपके आवेदन पर सोमवार को आदेश सुनाएंगे.’

सेबी की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए.

बीते 2 मार्च को पारित एक आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को अपनी जांच जारी रखने की अनुमति दी थी. दो मई तक जांच पूरी करनी थी.

यह जांच जस्टिस सप्रे की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति के शीर्ष अदालत द्वारा आदेशित जांच के अतिरिक्त थी.

अदालत ने सेबी और विशेषज्ञ समिति दोनों को दो महीने के भीतर अपनी जांच पूरी करने को कहा था. 29 अप्रैल को सेबी ने कोर्ट से अपनी जांच पूरी करने के लिए छह महीने का समय मांगा था.

सेबी ने यह भी कहा था कि उसने विशेषज्ञ समिति को उसके द्वारा किए गए परीक्षण और जांच के संबंध में स्थिति, उठाए गए कदमों और अंतरिम निष्कर्षों से अवगत कराया है.

अपने आवेदन में बाजार नियामक सेबी ने प्रस्तुत किया था कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट में उद्धृत 12 संदिग्ध लेनदेन को कम से कम 15 महीने की कठोर जांच की आवश्यकता होगी क्योंकि वे लेनदेन जटिल हैं और कई उप-लेनदेन भी शामिल हैं.

इसके अलावा जांच के लिए कई घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बैंकों से बैंक स्टेटमेंट प्राप्त करने की भी आवश्यकता होगी और बैंक स्टेटमेंट 10 साल से अधिक समय पहले किए गए लेनदेन के लिए भी होंगे, इसमें समय लगेगा और यह चुनौतीपूर्ण होगा.

सुप्रीम कोर्ट ने अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट से संबंधित चार याचिकाओं पर विचार किया है, जिसमें शेयर की कीमतों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर अडानी समूह पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है.

इस रिपोर्ट के कारण अडानी समूह की विभिन्न कंपनियों के शेयर मूल्य में गिरावट आई थी और समूह को कथित तौर पर 100 बिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान हुआ था।

शीर्ष अदालत के समक्ष अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा की याचिका में हिंडनबर्ग रिसर्च के संस्थापक नाथन एंडरसन और भारत में उनके सहयोगियों के खिलाफ जांच करने और एफआईआर दर्ज करने के लिए सेबी और केंद्रीय गृह मंत्रालय को निर्देश देने की मांग की गई है.

इस संबंध में दूसरी याचिका अधिवक्ता विशाल तिवारी द्वारा दायर की गई थी, जिसमें शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली एक समिति द्वारा हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जांच की मांग की गई थी.

कांग्रेस नेता डॉ. जया ठाकुर की याचिका में अडानी समूह की कंपनियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग के अलावा भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) द्वारा कथित रूप से बढ़ी हुईं कीमतों पर कंपनी के शेयरों में निवेश करने के फैसले पर सवाल उठाया गया है.

 

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