कोरबा, 14 जुलाई 2020
एसईसीएल बलगी के कोयला खदान में डि-पिल्लरिंग के कारण सुराकछार बस्ती में हुए भू-धसान से प्रभावित ग्रामीणों और किसानों को उचित मुआवजा देने की मांग मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने की है। पार्टी ने यह भी मांग की है कि प्रभावित किसानों की भूमि का एसईसीएल अधिग्रहण करें तथा इसके एवज में प्रभावितों को नौकरी और मुआवजा दें।
माकपा जिला सचिव प्रशांत झा ने बताया कि बलगी कोयला खदान की डि-पिल्लरिंग के कारण सुराकछार बस्ती के 100 से अधिक किसानों की सैकड़ों हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि भू-धसान के कारण पूरी तरह बर्बाद हो गई है। भूमि में दरारें इतनी गहरी है कि वह पूरी तरह तालाब, झील और खाई में तब्दील हो चुकी है। अब इस जमीन में किसान कोई भी कृषि कार्य नहीं कर पा रहे हैं। ग्रामीणों से मिली शिकायत के बाद माकपा नेताओं ने प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया। प्रतिनिधिमंडल में माकपा की दोनों महिला पार्षद सुरती कुलदीप और राजकुमारी कंवर भी शामिल थीं। मीडिया के लिए भू-धसान से खेतों की बर्बादी के वीडियो और तस्वीरें जारी करते हुए उन्होंने बताया कि खेतों से निकलकर अब ये दरारें गांव तक पहुंच चुकी है और घरों की दीवारों पर दरारें पड़ रही हैं, जिसके कारण गांव में कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है। इस आशंका से गांववासियों में भय का माहौल व्याप्त हैं।
माकपा नेता झा ने बताया कि इसके पूर्व भी इस मुद्दे पर माकपा ने आंदोलन किया था, जिसके बाद कोरबा जिला प्रशासन के हस्तक्षेप से एसईसीएल प्रबंधन को प्रभावित किसानों को हर साल मुआवजे का भुगतान भी करना पड़ा है। लेकिन अफसोस की बात है कि पिछले तीन सालों से प्रबंधन ने प्रभावित किसानों को मुआवजा देने पर रोक लगा दिया है, जो कि सीधे-सीधे त्रिपक्षीय समझौते का उल्लंघन है।
उन्होंने बताया कि पिछली बार प्रबंधन, प्रशासन और प्रभावित ग्रामीणों के बीच त्रिपक्षीय बैठक में समझौता हुआ था कि भू-धसान को रोकने के लिए और प्रभावित किसानों की भूमि को कृषि योग्य बनाने के लिए भूमि समतलीकरण किया जावेगा। लेकिन एसईसीएल प्रबंधन ने इस निर्णय पर आज तक अमल नहीं किया है। परिणामस्वरूप भू-धसान की समस्या और ज्यादा गंभीर हो गई है और खेतों की बर्बादी के बाद घरों के ढहने का खतरा मंडरा रहा है।
माकपा ने आज प्रभावित किसानों को ब्याज सहित लंबित मुआवजा राशि का तत्काल भुगतान करने, भू-धसान को रोकने के लिए और प्रभावित किसानों की भूमि को कृषि योग्य बनाने के लिए भूमि का समतलीकरण करने और प्रभावितों की जमीन कृषि योग्य नहीं बनने की स्थिति में पुनर्वास नीति के तहत किसानो की भूमि अधिग्रहण कर उन्हें नौकरी और मुआवजा देने की मांग करते हुए जिलाधीश, एसईसीएल के मुख्य महाप्रबंधक एवं उप क्षेत्रीय प्रबंधक को ज्ञापन सौंपा है।
गौरतलब है कि माकपा ने इस मुद्दे पर राजस्व एवं पुनर्वास मंत्री जयसिंह अग्रवाल का भी ध्यान आकर्षण करते हुए उनसे ग्रामीणों के पक्ष में उचित हस्तक्षेप करने की भी अपील की है।
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