मंगलवार को दिन में शिव सेना के सांसद संजय राउत ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पहुंचे और आंदोलन को समर्थन दिया। राउत किसान नेता राकेश टिकैत से मिले और कहा कि महाराष्ट्र सरकार किसानों के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे किसानों के समर्थन में हैं। इसके अलावा समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, इंडियन नेशनल लोकदल, शिरोमणि अकाली दली के नेता भी ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पहुंचकर आंदोलन को समर्थन दे चुके हैं। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि इस बात में कोई परेशानी नहीं है कि विपक्षी दलों के नेता यहां आकर आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं लेकिन इसका राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ट्रैफ़िक को किसानों ने नहीं बल्कि पुलिस ने बैरिकेडिंग करके रोका हुआ है।
पवार ने भी दिया था समर्थन
इससे पहले महा विकास अघाडी सरकार में शामिल एनसीपी के मुखिया शरद पवार भी मुंबई के आज़ाद मैदान में हुई किसानों की रैली में पहुंचे थे। पवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया था कि वह किसानों के आंदोलन के प्रति पूरी तरह असंवेदनशील हैं। पवार ने कहा था कि किसान ठंड में धरना दे रहे हैं लेकिन प्रधानमंत्री इसे लेकर चिंतित नहीं दिखे। उन्होंने सवाल पूछा था कि क्या वे हमारे किसान नहीं हैं, क्या पंजाब के किसान पाकिस्तान से संबंध रखते हैं। आज़ाद मैदान में हुई रैली में महाराष्ट्र के 21 जिलों से किसान और आदिवासी पहुंचे थे। इनका नेतृत्व ऑल इंडिया किसान सभा ने किया था। एनसीपी के अलावा कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने भी किसानों की रैली में पहुंचकर समर्थन व्यक्त किया था।
पश्चिमी यूपी में महापंचायतों का दौर
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली-यूपी के ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर बैठे किसानों को हटाने की कोशिश के बाद किसान नेता राकेश टिकैत के भावुक भाषण ने माहौल बदल दिया है। राकेश टिकैत जिस दिन भावुक हुए थे, उस दिन रात से ही पूरा पश्चिमी उत्तर प्रदेश उबलने लगा था। कई गांवों से ट्रैक्टर-ट्रालियों में लोग ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पहुंचने लगे थे। उसके अगले दिन मुज़फ्फरनगर में पहली किसान महापंचायत हुई थी। मुज़फ्फरनगर के बाद मथुरा, बाग़पत और बिजनौर में महापंचायत हो चुकी है।
6 फ़रवरी को जाम करेंगे सड़कें
दो महीने से ज़्यादा वक़्त से दिल्ली के बॉर्डर्स पर धरना दे रहे किसान नेताओं ने आंदोलन को धार देने का एलान किया है। सोमवार शाम को संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेन्स में कहा कि वे 6 फ़रवरी को देश भर में सड़कों को जाम करेंगे। यह जाम दिन में 12 से 3 बजे तक लगाया जाएगा। किसान नेताओं ने 1 फ़रवरी को संसद मार्च का भी आह्वान किया था लेकिन 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा के बाद इसे स्थगित करना पड़ा था।