रायपुर, 19 मई 2020
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने SECL यानि साउथ ईस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड द्वारा अधिग्रहित की गई जमीन को वापस किसानों और ग्रामीणों को दिये जाने की मांग की है। इसके लिए माकपा नेताओं ने राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल से मुलाकात कर इस संबंध में ज्ञापन सौंपने की तैयारी भी की है।
सीपीएम नेताओं को कहना है कि दंतेवाड़ा में एनएमडीसी ने जिन किसानों, ग्रामीणों की जमीन अधिग्रहित की थी, उन परिवारों को भूमि का पट्टा दिये जाने का निर्देश राज्य सरकार की ओर प्रशासन को दिया गया है। लेकिन कोरबा सहित दूसरे जिलों में जहां एसईसीएल ने जमीन अधिग्रहित की है, वहां इस तरह का कोई आदेश राज्य सरकार की तरफ से नहीं आया है। सीपीएम नेताओं ने दंतेवाड़ा की तरह कोरबा और अन्य जिलों में एसईसीएल द्वारा अधिग्रहित जमीन पर काबिज लोगों को स्थायी पट्टा दिये जाने की मांग की है। इसे लेकर राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल को ज्ञापन दिया जाएगा।
माकपा के कोरबा जिला सचिव प्रशांत झा ने कहा कि करीब 50 वर्ष पूर्व एसईसीएल ने कोरबा जिले में कोयला खनन के उद्देश्य से हजारों किसानों की भूमि का अधिग्रहण किया था। लेकिन जमीन देने वालों को आज तक न मुआवजा मिला और न ही नौकरी मिली। उन्होंने आरोप लगाया कि इस काल में एसईसीएल प्रबंधन की धोखाधड़ी इस हद तक बढी है कि भूमि अधिग्रहण के बदले नौकरी देने के प्रावधान को ही एसईसीएल हटाने जा रही है। अगर ऐसा होता है तो कोल खदानों को बेचने की घोषणा के बाद इसका सीधा फायदा कॉर्पोरेट कंपनियों को मिलेगा, जो पर्यावरण बर्बाद करना तो जानती है, लेकिन लोगों को आबाद करना नहीं जानती हैं। प्रशांत झा ने कहा कि अधिग्रहण के 50 साल बाद भी ऐसी सैकड़ों एकड़ जमीन है जिसका उपयोग एसईसीएल ने नहीं किया है और आज भी वहां किसान का ही कब्जा है और वे उस पर खेती कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे साफ दिखाई देता है कि अधिग्रहण पूरी तरह से फर्जी था। उनका आरोप है कि बीच-बीच में एसईसीएल प्रबंधन किसानों को कबिज जमीन से हटान के लिए डराने-धमकाने का अभियान चलाता रहता है। ऐसा मामला ग्राम घुड़देवा में सामने आया था। जिस पर माकपा नेताओं और किसान सभा के लोगों के हस्तक्षेप के बाद किसानों का वहा से पलायन रुका था।
सीपीएम नेताओं ने कहा कि सिर्फ कोरबा ही नहीं बल्कि प्रदेश के कई जिलों में एसईसीएल ने इस तरह से जमीन का अधिग्रहण करके रखा है। लेकिन जो जमीन उपयोग में नहीं आ रही है उसे उसके मूल स्वामी को लौटा दिया जाना चाहिये। माकपा नेताओँ ने इस मामले को लेकर पहले सरकार से बातचीत करने और सुनवाई नहीं होने पर लंबे संघर्ष करने की घोषणा की है।
गौरतलब है कि साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड भारत सरकार की एक मिनीरत्न कंपनी है। एसईसीएल देश में सर्वाधिक कोयला उत्पादन करने वाली कम्पनी है। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड का कोयला दो राज्यों, छत्तीसगढ एवं मध्य प्रदेश राज्य में फैला हुआ है तथा कम्पनी में 89-खदानें संचालित है। इनमें से 35-खदानें मध्य प्रदेश में और 54-खदानें छत्तीसगढ मे स्थित हैं।
कोल इंडिया लिमिटेड से लीज आधार पर एसईसीएल पश्चिम बंगाल में दानकुनी में स्थित कोल कार्बोनाईजेशन प्लांट दानकुनी कोल काम्पलैक्स (डीसीसी) का भी संचालन करती है।
प्रभावी प्रशासनिक नियंत्रण एवं संचालन के लिए खानों को तीन समूहों, यथा- सेन्ट्रल इंडिया कोलफील्ड्स (सीआईसी), कोरबा कोलफील्ड्स एवं माण्ड-रायगढ कोलफील्ड्स के रूप में वर्गीकृत किया गया है जिसमें 13-संचालनीय क्षेत्र हैं।
सेंट्रल इंडिया कोलफील्ड्स में निम्न क्षेत्र शामिल हैं।
- चिरिमिरी क्षेत्र
- बैकुंठपुर क्षेत्र
- बिश्रामपुर क्षेत्र
- हसदेव क्षेत्र
- भटगांव क्षेत्र
- जमुना कोतमा क्षेत्र
- सोहागपुर क्षेत्र
- जोहिला क्षेत्र
कोरबा कोलफील्ड क्षेत्र में निम्न क्षेत्र शामिल हैं।
- कोरबा क्षेत्र
- कुसमुंडा क्षेत्र
- दीपका क्षेत्र
- गेवरा क्षेत्र
माण्ड-रायगढ़ कोलफील्ड्स क्षेत्र में निम्न क्षेत्र शामिल हैं।
- रायगढ़ क्षेत्र
कोल कार्बोनाईजेशन प्लांट में निम्न क्षेत्र शामिल हैं।
- दानकुनी कोल कॉम्पलैक्स, दानकुनी, पश्चिम बंगाल