रायपुर
सुशासन तिहार ने प्रशासन और जनता के बीच भरोसे की एक नई इमारत खड़ी की है, जो आने वाले समय में छत्तीसगढ़ को बेहतर, संवेदनशील और उत्तरदायी शासन की दिशा में आगे ले जाएगी। छत्तीसगढ़ में सुशासन तिहार अब महज़ एक प्रशासनिक पहल नहीं, बल्कि जनविश्वास और सहभागिता का उत्सव बन चुका है। ग्राम पंचायतों से लेकर नगर निकायों और जिला मुख्यालयों तक, आमजन पूरे उत्साह के साथ इसमें भाग ले रहे हैं। जनता को विश्वास है कि उनकी समस्याओं का समाधान पारदर्शिता और समयबद्धता के साथ किया जाएगा। विष्णुदेव साय के मार्गदर्शन में आयोजित इस अभियान के प्रथम चरण में 8 अप्रैल से 11 अप्रैल तक पूरे प्रदेश के 33 जिलों में आवेदन लिए जा रहे हैं। आज 11 अप्रैल को आवेदन देने की अंतिम तिथि है।
बलरामपुर जिले में दो दिनों में कुल 14,806 आवेदन प्राप्त हुए हैं , पहले दिन 4,912 और दूसरे दिन 9,894। यह आंकड़ा न केवल आम लोगों की सक्रिय भागीदारी को दर्शाता है, बल्कि इस बात का प्रमाण भी है कि जनता को अब शासन पर भरोसा है। जिला कलेक्टर कटारा ने मुनादी जैसे पारंपरिक तरीकों से जनजागरूकता बढ़ाने के निर्देश दिए हैं, जिससे ग्रामीण अंचलों में भी अधिक से अधिक लोग इस अभियान से जुड़ रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि पहले छोटी-छोटी समस्याओं के लिए उन्हें कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते थे, लेकिन अब वे अपनी समस्या को ग्राम पंचायत में स्थापित समाधान पेटी में डालकर सीधे प्रशासन तक पहुँचा पा रहे हैं। जनता ने मुख्यमंत्री साय की सुशासन नीतियों की मुक्त कंठ से सराहना की और कहा कि यह तिहार शासन की जवाबदेही और संवेदनशीलता का परिचायक है। राज्य के संवेदनशील और दूरस्थ इलाकों में भी सुशासन तिहार ने विश्वास की नई रोशनी जगाई है। जहाँ पहले प्रशासन से दूरी बनी हुई थी, अब वहीं के लोग आगे आकर आवेदन दे रहे हैं और अपनी समस्याएं साझा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि शासन अब सचमुच “जनता के द्वार” पहुँचा है।