“हमें अफसोस है घर टूटने का, उसे हिस्सा दिखाई दे रहा है।” मुख्य अतिथि वरिष्ठ आईएएस अधिकारी नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के चेयरमैन संतोष यादव भी पूरे समय कार्यक्रम में रहे मौजूद। लगातार तीन घंटे शायरी का आनंद लिया श्रोताओं ने। जानकी सभागार कविनगर में हुआ “दिव्य कवि सम्मेलन व मुशायरा।”

गाजियाबाद

साहित्य प्रोत्साहन समिति की तरफ से कवि नगर रामलीला मैदान के जानकी सभागार में आयोजित दिव्य कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का गाजियाबाद और आसपास के काव्य प्रेमियों ने तीन घंटे तक आनंद लिया। मुख्य अतिथि वरिष्ठ आईएएस अधिकारी नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के चेयरमैन संतोष यादव भी पूरे समय मौजूद रहे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्व प्रसिद्ध शायर विजेंद्र सिंह परवाज़ ने की जबकि संचालन शायर राज कौशिक ने किया। गाजियाबाद में पहली बार पधारे फ़ख़री मेरठी और सचिन अग्रवाल शालिनी (बरेली) खूब जमे। अंदाज़ देहलवी का अंदाज़ तो गज़ब ही रहा। कार्यक्रम की शुरुआत शानू बब्बन की सरस्वती वंदना से हुई।

पहली शायरा गार्गी कौशिक के ये शेर खूब पसंद किए गए-

चुप न रहती तो और क्या करती,

हक नहीं था के फ़ैसला करती।

मेरा मुझमें न कुछ बचा बाक़ी

और कितनी बता वफ़ा करती।

बरेली से पधारे सचिन अग्रवाल शालिनी की इस ग़ज़ल के प्रत्येक शेर पर श्रोताओं ने खूब तालियां बजाई-

अजब सा शोर गूंगे कर रहे हैं

जो बहरों को सुनाई दे रहा है

हमें अफसोस है घर टूटने का

उसे हिस्सा दिखाई दे रहा है।

मासूम ग़ाज़ियाबादी को भी खूब दाद मिली-

हमारे गांव में जब भी कभी दो लोग लडते हैं

तो कोई तीसरा आकर उन्हें समझा-बुझाता है

तुम्हारे शहर का लेकिन मियां दस्तूर उलटा है

यहां तो तीसरा बस फोन से फिल्में बनाता है।

राज कौशिक के ये अशआर बेहद पसंद किए गए-

अगर नाचूँ नहीं तो पांव मेरे रूठ जाते हैं

अगर नाचूँ ज़रा खुल कर तो घुंघरू टूट जाते हैं

हम इतने झूठ के आदी हुए अपने ही बारे में

ज़रा सा सच कोई कह दे, उसी से रूठ जाते हैं।

अंदाज़ देहलवी के एक एक शेर पर लोगों ने झूम झूम कर दाद दी –

तेरी मेरी यही एक पहचान है

मैं तेरी जान हूं, तू मेरी जान है

क्या मेरी झोंपड़ी क्या ये तेरा महल

मैं भी मेहमान हूं, तू भी मेहमान है।

विजेंद्र सिंह परवाज़ हर बार की तरह इस बार भी खूब जमे-

ये जिंदगी भी कैसे बहाने में कट गई

जैसा नहीं हूं वैसा दिखाने में कट गई

बरदाश्त किस से होती हैं खुद्दारियां यहां

मेरी पतंग ऊंचा उड़ाने में कट गई।

पहली बार गाजियाबाद पधारे फ़ख़री मेरठी को श्रोताओं ने खूब पसंद किया-

हर मोड़ पे हाथों की लकीरों से लड़ा हूं

हिम्मत पे भरोसा है तो खामोश खड़ा हूं।

आंखों को कभी ख्वाबों की फुर्सत नहीं मिलती

मैं अपने बहन भाइयों में सबसे बड़ा हूं।

मुरादाबाद से आईं डॉ अन्जू सिंह को इन पंक्तियों पर खूब वाहवाही मिली-

हरेक मुश्किल से जूझी हूं, हर एक विपदा पे भारी हूं

समर्पण त्याग बलिदानों के हाथों ने सवारी हूं।

तुम्हारी वासना से भी रचा जीवन नया मैंने

मैं अवतारों की जननी हूं, रचयिता हूं मैं नारी हूं।

कार्यक्रम में पृथ्वी सिंह कसाना, ललित जायसवाल और बिंदेश दीक्षित बॉबी ने अतिथियों और कवियों का स्वागत किया। श्रोताओं में पूर्व मंत्री बालेश्वर त्यागी, पूर्व विधायक कृष्णवीर सिंह सिरोही, पूर्व मेयर आशु वर्मा, पिलखुवा नगर पालिका के अध्यक्ष विभु बंसल, दर्जा प्राप्त पूर्व राज्य मंत्री बलदेव राज शर्मा, राजनगर आर डब्ल्यू ए के अध्यक्ष दिनेश गोयल, पूर्व अध्यक्ष दीपक कांत गुप्ता, महासचिव विशंबर त्यागी, कोषाध्यक्ष प्रभाकर त्यागी, लायंस क्लब के पूर्व गवर्नर सुनील निगम, सुनीता छाबड़ा और राकेश छारिया, पत्रकार अशोक कौशिक, अधिवक्ता अंबरीष त्यागी, अधिवक्ता दीपक कुमार त्यागी, अधिवक्ता राहुल त्यागी आदि उपस्थित रहे।

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By Editor

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