माधो सिंह, 20 जुलाई 2020

गांधी के ग्राम स्वराज को साकार करने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शुरु की गई गोधन न्याय योजना मील का पत्थर साबित होगी। छत्तीसगढ़ के महत्वपूर्ण पर्व हरेली तिहार के दिन गोधन न्याय योजना की शुरुआत करके मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सच्चे गांधीवादी होने का अनूठा उदाहरण पेश किया है। भूपेश बघेल का ये कदम गांधी के ग्राम स्वराज के सपनों को साकार करने की दिशा में उठाया गया बड़ा ही महत्वपूर्ण कदम है। गोबर खरीदकर किसानों और ग्रामीणों की माली हालत को सुधारने की पहल करने वाला छत्तीसगढ़ देश का पहला और एकमात्र राज्य बन गया है। इस योजना से छत्तीसगढ़ की ख्याति न सिर्फ वैश्विक पटल पर होगी बल्कि आने वाले दिनों में गोबर से आमदनी मिलने पर इस योजना को किसी विदेशी विश्वविद्यालय के मैनेजमेंट कोर्स में पढ़ाया जाने लगे तो हैरन मत होइयेगा। क्योंकि बिना खर्च बढ़ाये भारतीय रेलवे को प्रॉफिट में ला देने का तत्कालीन रेलमंत्री लालू यादव का करिश्माई उदाहरण हम सबने अपनी आंखों से देखा है।

गोधन न्याय योजना के तहत छत्तीसगढ़ सरकार 2 रुपये प्रति किलो की दर से ग्रामीणों से गोबर खरीदेगी। खरीदे गए गोबर से जैविक खाद बनाया जाएगा और इसे वर्मी कम्पोस्ट में बदलकर  वापस किसानों को 8 रुपये प्रति किलो की दर से मुहैया कराया जाएगा। वर्मी कम्पोस्ट के इस्तेमाल से खेती की जमीन उपजाऊ बनेगी और फसल की पैदावार का रकब बढ़ेगा। लोगों को जानलेवा कैंसर और दूसरी बीमारियां देने वाले खतरनाक कैमिकल और यूरिया का इस्तेमाल समाप्त हो जाएगा। 2 रुपये प्रति किलो की दर से गोबर बेचने से किसानों को हर महीने अच्छी-खासी आमदनी हो जाएगी। इस पैसे को किसान अपनी अन्य जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ खेती-किसानी के काम में भी इस्तेमाल करेगा। गांव में रोजगार पाने के लिए ग्रामीणों के पास अभी तक सिर्फ महात्मा गाांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) ही है। जिसमें किसानों और ग्रामीणों को वर्षभर काम नहीं मिल पाता है। सिर्फ गर्मी के चुनिंदा दिनों में ही काम मिल पाता है। उसमें भी प्रतिदिन होने वाली कमाई निर्धारित है।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का कहना था कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है और जब तक गांव और ग्रामीणों को स्वावलंबी नहीं बनाया जाएगा तब तक ग्राम स्वराज हासिल नहीं किया जा सकता है। सच्चाई भी है 130 करोड़ की आबादी वाले भारत की 80 फीसदी आबादी गांवों में ही रहती है। ये गांव ही है, जो इस देश की 130 करोड़ की जनता की भूख मिटाते हैं, उनके लिए संसाधन जुटाते हैं। खुद मैले-कुचैले, फटे पुराने चीथड़े पहनते हैं लेकिन शहरवासियों को चमकदार कपड़े पहनवाते हैं। कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी के दौरान देश में हुई तालाबंदी के दिनों में भी इन गांवों ने सब्जी, भाजी, अनाज, दूध, दही की कमी नहीं होने दी।

महात्मा गांधी का मानना था कि अगर गांव नष्ट हो गए, तो हिन्दुस्तान भी नष्ट हो जायेगा। हमारे गांवों की सेवा करने से ही सच्चे स्वराज्य की स्थापना होगी। बाकी सभी कोशिशें निरर्थक सिद्ध होगी। गोधन न्याय योजना के तहत गोबर खरीदी होने से न सिर्फ पर्यावरण में सुधार रोगा बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में आमूूलचूल परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं। दूध नहीं देने वाले मवेशियों को बेकार समझकर सड़कों पर आवारा छोड़े जाने वाले पशु अब आपको खूंटे से बंधे दिखाई देंगे। सड़कों से आवारा मवेशियों के हटने से सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी। गौ माता के प्रति लोगों में श्रद्धा का भाव और अधिक विकसित होगा। पशुओं की खुले में होने वाली चराई और उससे खड़ी फसल को होने वाले नुकसान में भी कमी आएगी।

गोधन न्याय योजना सिर्फ किसानों को आमदनी दिलाने भर का नहीं बल्कि एक साथ कई फायदे पहुंचाने वाली योजना है। इसके दूरगामी परिणाम आने वाले दिनों में प्रदेश में दिखाई भी देने लगेंगे। कुछ लोग इस योजना का अलग-अलग तरह से मजाक भले ही उड़ा रहे हों, लेकिन जिस दिन इस योजना से किसानों और ग्रामीणों की तकदीर बदलनी शुरु होगी, उसके बाद इन विरोध करने वालों के मुंह सिल जाएंगे।

गांधी के सिद्धांतों पर चलकर  खुद को सच्चा कांग्रेसमैन साबित करने की कोशिशोंं में जुटे भूपेश बघेेशल ने गोधन न्याय योजना की शुरुआत करके देश भर के कांग्रेसी नेताओं से इस मामले में बाजी मार ली है। गांव और ग्रामीणों की कायापलट करने के लिए भूपेश बघेल सुराजी गांव योजना पहले ही शुरु कर चुके हैं। जिसके तहत राज्य नरवा-गरवा-घुरवा और बाड़ी कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। राज्य में 5 हजार से ज्यादा गौठान बनाए जा रहे हैं। प्रदेश में 2,785 गोठान बनकर तैयार हो चुके हैं, शेष का निर्माण जारी है। गोधन न्याय योजना  इन्हीं गोठानों के माध्यम से संचालित होगी। गौठानों को पशुओं के डे केयर सेंटर के रूप में विकसित किया जा रहा है। महिला स्व सहायता समूह द्वारा यहां वर्मी कंपोस्ट के निर्माण के साथ अन्य आय मूलक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं । राज्य सरकार चरणबद्ध रूप से गौठानों का विस्तार करते हुए प्रदेश की सभी 11630 ग्राम पंचायतों और सभी 20 हजार गांवों में गौठान निर्माण का लक्ष्य रखा है। निर्माण पूरा होने के बाद वहां भी गोबर की खरीदी की जाएगी।

भूपेश बघेल की गोधन न्याय योजना कांग्रेस के उन दूसरे नेताओं के मुंह पर तमाचा भी कही जा सकती है। जो खुद को जन्मजात कांग्रेसी तो कहते हैं, लेकिन गांधी के ग्राम स्वराज की अवधारणा को यथार्थ से दूर की कौड़ी मानकर चलते हैं। संयुक्त राष्ट्र में अधिकारी रह चुके कांग्रेस नेता शशि थरूर ने पुणे के एक कार्यक्रम में कहा था कि यह विचार कि गांव अपने खाद्यान्न उत्पादित करेंगे और वे आत्मनिर्भर बनेंगे, हमारे जीवनकाल में संभव नहीं है। थरूर ने ग्राम स्वराज के विचार को वैश्वीकरण के युग में असंभव बताया था। लेकिन गोधन न्याय योजना का गांधी के ग्राम स्वराज के सपने को साकार करने की दिशा में पहला और बड़ा कदम साबित होगी।

गोधन न्याय योजना में गौ शब्द का जुड़ना इस योजना को अपने आप में और खास बना देता है। सनातन धर्म में गाय को पवित्र माना गया है। गाय के हर अंग में देवताओं का वास है। गाय का दूध अमृत माना गया है। गौमूत्र आज दिव्य पेय बनकर हजारों मरीजों की सेहत सुधार रहा है। गौमूत्र से बना फिनाइल आपके घरों को महका रहा है। गाय के गोबर से आंगन, चूल्हा-चौके को सदियों से लीपा जा रहा है। दीवाली के दूसरे दिन गोबरधन पूजा का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है। श्री कृष्ण को सबसे प्रिय गायें थीं जो उनकी बांसुरी की मधुर धुन को सुनने के लिए एक जगह जमा हो जाया करती थी। गाय हर प्रकार से जब इतनी महत्वपूर्ण है तो तब उसके गोबर की गोधन न्याय योजना की सफलता पर रत्तीभर भी संदेह नहीं रह जाता है।

 

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