रायपुर, 11 जून 2020

महज डेढ़ साल पहले बनी कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार पूर्ववर्ती भाजपा सरकार और उसके मंत्री मुख्यमंत्रियों पर पलटवार करने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है। पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कल ही राज्य की माली हालत और कांग्रेस सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन को लेकर सवाल खड़े किये थे। जिसके जवाब में आज कांग्रेस की ओर से जवाबी पलटवार किया गया है।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने एक बयान जारी कर कहा है कि रमन सिंह बताएं कि कौन सा वित्तीय कुप्रबंधन हुआ है। शुक्ला ने रमन सिंह के 15 साल के कार्यकाल पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि 15 साल के राज में राज्य को गर्त में धकेल देेने वाली सरकार के मुखिया हमें वित्तीय प्रबंधन न सिखाएं। सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि रमन सिंह किसानों के कर्ज माफी को वित्तीय कुप्रबन्धन मानते है ?या फिर धान की कीमत 2500 रु देने को फिजूल खर्ची की श्रेणी में रखते है या तेंदूपत्ता संग्रहन का मानदेय 2500 रु से बढ़ा कर 4000 रु किये जाने को को वे राज्य के खजाने पर अनावश्यक बोझ मानते हैं ?या फिर 400 यूनिट तक के बिजली बिल की राशि को आधा करने के निर्णय को वे गलत निर्णय समझते हैं ?

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस की सरकार बनने के तुरंत बाद से ही रमन सिंह राज्य की वित्तीय हालत खराब होने का आरोप लगा रहे हैं । आरोप लगाने की ऊहापोह में रमन सिंह भूल रहे हैं कि राज्य बनने के बाद डेढ़ दशक तक वे ही सरकार के मुखिया थे जब राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी वे नई सरकार को विरासत में लगभग 55 हजार करोड़ के कर्जे के साथ शिक्षा कर्मियों के संविलियन के खर्च की विरासत छोड़ कर गए थे । रमन सिंह को इसी बात की पीड़ा है कि इस बदहाल आर्थिक हालात के बावजूद भूपेश बघेल लगातार जनता को राहत कैसे दे पा रहे हैं।

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि वही राज्य है वही संसाधन है फिर भूपेश बघेल कैसे लोगो को राहत दे पा रहे रमन सिंह अपने चुनावी वायदे भी नही पूरा कर पाते थे ?यह नीयत का सवाल है रमन सिंह की प्राथमिकता में अट्टालिकाएं और पांच सितारा सरकारी भवन बनाने थे नई सरकार कीप्राथमिकता में लोगो को सीधे फायदा पहुँचा कर उनको आर्थिक रूप से शशक्त बनाने का है ।यही कारण है कि किसान ,तेंदूपत्ता संग्राहक के लिए योजना बनाई गई।बिजली उपभोक्ताओं को राहत दी गई ।सरकार ने भूमि की गाइड लाइन की दरों में 30 फीसदी कटौती कर लोगो को राहत दिया । वित्तीय कुप्रबन्धन या फिजूल खर्ची तो स्काई वाक ,गोल्फकोर्स जैसे प्रजेक्ट थे ।राज्योत्सव के नाम पर मेला ग्राउंड के एक मंजिला भवन में मंच से हाल तक जाने तीन तीन लिफ्ट लगाना जैसे सैकड़ो उदाहरण है जहाँ सरकारी खजाने को बेरहमी पूर्वक लुटाया गया ।

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा केंद्र से वित्तीय सहायता मांगना या रिजर्व बैंक से ऋण सम्बन्धी रियाययत मांगना वित्तीय प्रबंधन के हिस्से के साथ साथ संघीय ढांचे में राज्य का संवैधानिक अधिकार है ।इस मांग के आधार पर राज्य के वित्तीय हालात पर सवाल खड़ा कर रमन सिंह विशुद्ध रूप से राजनैतिक बयान बाजी कर रहे हैं।
यूपीए सरकार के समय दस वर्षों तक रमन सरकार के द्वारा विधानसभा में प्रस्तुत किया जाने वाला वार्षिक बजट केंद्रीय योजनाओ का रूपांतरण मात्र रहता था।रमन सिंह को यह स्वीकारने का साहस दिखाना चाहिए कि जैसी मदद कांग्रेस की केंद्र सरकार राज्य को करती थी वैसी मदद मोदी सरकार नही कर रही ।रमन को ऐसा लगता है कि राज्य के वित्तीय प्रबंधन को और सुदृढ़ करने की जरूरत है तो क्यो नही वे राज्य सरकार के मांग के अनुरूप मोदी सरकार को राज्य को 30000 हजार करोड़ की मदद की सिफारिश करते।
प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने पूछा कि मोदी सरकार ने रिजर्व बैंक के रिजर्व खाते का 174 लाख करोड़ रु निकाल खर्च कर लिया ,विभिन्न सार्वजनिक उपक्रमो की निजीकरण का प्रयास किया तो क्या रमन सिंह यह मानेगे की मोदी सरकार ने देश की वित्तीय व्यवस्था को तबाह कर दिया है।

0Shares
loading...

You missed