नई दिल्ली, 26 मई 2020

वैश्विक महामारी कोविड-19 के इलाज के लिए दुनियाभर में वैक्सीन और दवाई खोजने का काम जारी है। इस बीच कोरोना वायरस को  कंट्रोल करने में जिस हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवाई को कारगर माना जा रहा है, उसके इस्तेमाल को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने खतरनाक माना है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मलेरिया की दवा जिसे आम भाषा में कुनैन कहते हैं, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों पर परीक्षण करने पर रोक लगा दी है।बीते दिनों मेडिकल जर्नल द लैंसेट में एक शोध प्रकाशित हुआ था, जिसमें हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन लेने वालों को ह्दय रोग बढ़ने का खतरा जताया गया था।इसी के बाद हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का कोरोना मरीजों पर परीक्षण किये जाने पर  अस्थायी रोक लगाई गई है।

इस फैसले के बाद कोरोना वायरस की दवा ढूंढने के लिए दुनियाभर के कोरोना मरीजों पर डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी एकजुटता परीक्षण में से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को निकाल दिया गया. बता दें कि अमेरिका में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल को 1950 के दशक से ही लाइसेंस मिला है और डब्ल्यूएचओ की सूची में आवश्यक दवाओं में शामिल है.

कोरोना वायरस के खिलाफ दो दवाओं को लेकर कई परीक्षण जारी हैं लेकिन कोई भी इलाज में कारगर साबित नहीं हुआ है. यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ भी यह स्थापित करने के लिए एक क्लिनिकल ट्रायल कर रहा है कि क्या एंटीबायोटिक एजिथ्रोमाइसिन के साथ लेने पर दवा कोविड-19 मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने और उनकी मौत को रोक सकती है.

कोरोना वायरस के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और क्लोरोक्वीन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने वाले एक विवादित फ्रांसीसी डॉक्टर ने सोमवार को कहा कि उनका मानना है कि ये दवाएं मरीजों में सुधार लाने में सहायक होंगी. उन्होंने सैंकड़ों अस्पतालों में 96 हजार मरीजों वाले के रिकॉर्ड वाले लैंसेट के अध्ययन को भी खारिज कर दिया.

बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए इस दवा का समर्थन किया था. राष्ट्रपति ट्रंप ने यहां तक कहा था कि वह मलेरिया रोधी इस दवा को एहतियात के तौर पर स्वयं भी ले रहे हैं.

हालांकि अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के दुष्प्रभावों के बारे में चेतावनी जारी करते हुए कहा था कि इसके दुष्प्रभावों में हृदयगति से जुड़ी गंभीर एवं जानलेवा समस्या हो सकती है.

एफडीए ने कहा था कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और क्लोरोक्वीन जैसी दवाओं का इस्तेमाल केवल अस्पतालों या क्लिनिकल परीक्षणों में किया जाना चाहिए क्योंकि इनके गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं.

ट्रंप के तरह ही ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोलसानारो ने भी कोरोना वायरस के इलाज के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल की वकालत की थी. क्लिनिकल ट्रायल में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल पर डब्ल्यूएचओ द्वारा रोक लगाए जाने के बाद ब्राजील ने कहा है कि वह कोविड-19 के इलाज के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल पर रोक नहीं लगाएगा.

वहीं, भारत ने भी हाल ही में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल का दायरा बढ़ा दिया है. बीते शुक्रवार को भारत ने कोविड-19 अस्पतालों में काम कर रहे बिना लक्षण वाले स्वास्थ्य सेवाकर्मियों, निरुद्ध क्षेत्रों (कंटेनमेंट जोन) में निगरानी ड्यूटी पर तैनात कर्मियों और कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने संबंधी गतिविधियों में शामिल अर्द्धसैन्य बलों/पुलिसकर्मियों को रोग निरोधक दवा के तौर पर हाइडॉक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल करने की सिफारिश की है.

इससे पहले जारी परामर्श में किए उल्लेख के अनुसार, कोविड-19 को फैलने से रोकने एवं इसका इलाज करने में शामिल बिना लक्षण वाले सभी स्वास्थ्य सेवाकर्मियों और संक्रमित लोगों के घरों में संपर्क में आए लोगों में संक्रमण के खिलाफ इस दवा का इस्तेमाल करने की भी सिफारिश की गई है.

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