रायपुर, 24 अगस्त 2020
छत्तीसगढ़ का जिक्र हो और बस्तर की बात न हो तो ये ठीक वैसे ही है जैसे तमाम व्यंजनों से भरी थाली में नमक का न होना। जी हां, छत्तीसगढ़ का वास्तविक नैसर्गिक सौंदर्य बस्तर में ही देखने को मिलता है। बस्तर जितना अपने घने जंगलों और प्राकृतिक संसाधनों के लिए मशहूर है। उतना ही अपनी हस्तशिल्प और काष्ठकला के लिए भी दुनियाभर में प्रसिद्ध है।
बस्तर आर्ट हस्तशिल्प कला की एक नायाब कारीगरी है। बस्तर में हस्तशिल्प कलाकारों के बनाए गए तुम्बा लैंप की मांग बाजारों में बढ़ती ही जा रही है। बस्तर आर्ट के ये आकर्षक तुम्बा लैंप इतने खूबसूरत हैं कि आपके ड्रॉइंग हॉल की शोभा में चार चांद लगा देंगे। किसी भी इलेक्ट्रॉनिक और चाइनीज लाइट्स से ज्यादा खूबसूरती बिखरने वाले तुम्बा लैंप को बनाने के लिए आदिवासी शिल्पियों को छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड प्रशिक्षण दे रहा है।
सूखे हुए तुंबे पर शिल्पकारी करके शिल्पकार उस पर सुंदर आकृतियां उकेरते हैं। ग्रामोद्योग मंत्री गुरु रुद्रकुमार ने बताया कि तुंबा शिल्प को बढ़ावा देने के लिए संचालित प्रशिक्षण कार्यक्रम बहुत अच्छा कार्यक्रम है। उन्होंने कहा है कि राज्य शासन की मंशा के अनुरूप हस्तशिल्पकारों के संवर्धन और संरक्षण के लिए राज्य सरकार लगातार प्रयास कर रही है।
बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि बस्तर जिले के लोहंडीगुड़ा विकासखंड के ग्राम उसरीबेड़ा में परम्परागत वस्तुओं से आकर्षक सजावटी वस्तु बनाने का प्रशिक्षण 24 अगस्त से दिया जाएगा। इस प्रशिक्षण के दौरान अनुसूचित जनजाति वर्ग के 20 युवाओं को तीन माह तक गहन प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस दौरान उन्हें 1500 रूपए प्रतिमाह की छात्रवृत्ति भी दी जाएगी। प्रशिक्षण के दौरान तैयार की गई सजावटी सामग्री के लिए प्रदर्शनी-सह-मार्केटिंग की भी सुविधा बोर्ड द्वारा मुहैया करायी जाएगी।
गौरतलब है कि राज्य में पहली बार तुंबा शिल्प से वृहद पैमाने पर लैम्प निर्माण की शुरूआत की गई है। स्टडी टेबल लैम्प के रूप में तुंबा से बने लैम्प को काफी पसंद किया जा रहा है और इसकी हाथों-हाथ बिक्री हो रही है। छत्तीसगढ़ में आयोजित होने वाले हस्तशिल्प मेलों में तुंबा शिल्प लोगों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहा है। हस्तशिल्प विकास बोर्ड द्वारा प्रशिक्षण एवं विपणन सुविधाओं के माध्यम से तुंबा शिल्प का अन्य क्षेत्रों में भी विस्तार किया जा रहा है।