नई दिल्ली, 8 जुलाई 2021

मोदी 2.0 सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार के बीच एक अहम खबर लोगों की नजरों से बच गई या यू कहें कि मंत्रियों के नामों को लेकर चली खींचतान में ये अहम खबर मीडिया में दब गई। दरअसल बुधवार को जब एक तरफ मोदी मंत्रिमंडल में फेरबदल किया जा रहा था। उसी वक्त मोदी सरकार विनिवेश (Disinvestment) को लेकर एक बड़ा फैसला भी ले रही थी।

देश में  विनिवेश (Disinvestment) की राह को आसान बनाने के लिए मोदी सरकार ने 36 से ज्यादा कंपनियों को उद्योग मंत्रीलय से वित्त मंत्रालय (Finance ministry) में ट्रांसफर कर दिया है. अब ये 36 से ज्यादा कंपनियां वित्त मंत्रालय में होंगी पहले ये कंपनियां भारी उद्योग मंत्रालय (Ministry of Commerce and Industry) में थीं.

ये कंपनियां हैं लिस्ट में..
इस ट्रांसफर लिस्ट में BHEL, HMT, Scooters India और Andrew Yule का नाम शामिल है. सरकार के ऐसा करने से कंपनियों का स्ट्रैटेजिक विनिवेश आसान होगा. बता दें कि सरकार ने पहले से ही रणनीतिक बिक्री के लिए लगभग 35- सीपीएसई की पहचान की है. इनमें एयर इंडिया, पवन हंस, बीईएमएल, स्कूटर्स इंडिया, भारत पंप कंप्रेशर्स और प्रमुख इस्पात कंपनी- सेल की भद्रावती, सलेम और दुर्गापुर इकाइयां शामिल हैं.

जिन अन्य सीपीएसई की एकमुश्त बिक्री के लिए मंजूरी दी गई है, उसमें हिंदुस्तान फ्लोरोकार्बन, हिंदुस्तान न्यूजप्रिंट, एचएलएल लाइफ केयर, सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स, ब्रिज एंड रूफ इंडिया, एनएमडीसी का नागरनार इस्पात संयंत्र और सीमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और आईटीडीसी की इकाइयां शामिल हैं.

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क्या होगा असर ?

जिन 36 से ज्यादा सरकारी कंपनियों को उद्योग मंत्रालय से वित्त मंत्रालय में शिफ्ट किया गया है। उन कंपनियों में अब विनिवेश की राह आसान हो जाएगी। दूसरे शब्दों में कहें तो निजी क्षेत्र के लोगों की इन कंपनियों में भागीदारी बढ़ जाएगी। निजी कंपनियां इन सरकारी कंपनियोंं अगर 50 फीसदी से ज्यादा की शेयर होल्डिंग रखती हैं तो सरकार का नियंत्रण इन कंपनियों पर कमजोर हो जाएगा। एक तरह से बड़ी सरकारी कंपनियों को निजी हाथों में आसानी से देने की तैयारी कर ली गई है।

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