नई दिल्ली, 13 अगस्त 2021
सामान्यतया, किसी भी वित्तीय वर्ष में आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई होती है (जब तक कि सरकार द्वारा इसे बढ़ाया न जाए). लेकिन इस साल कोरोना वायरस की दूसरी लहर के चलते केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख 30 सितंबर तक बढ़ा दी है. आईटीआर दाखिल करने से पहले, किसी को अपनी पात्रता, उपलब्ध टैक्स स्लैब और लगाए गए कटौतियों के बारे में पता होना चाहिए
किसे आईटीआर फाइल करना है आवश्यक?
2.5 लाख रुपये या उससे अधिक की वार्षिक आय वाले व्यक्तियों के लिए आईटीआर दाखिल करना अनिवार्य है. वरिष्ठ नागरिकों (60 वर्ष और 80 वर्ष की आयु के बीच के व्यक्ति) के लिए, सीमा 3 लाख रुपये है, जबकि बहुत वरिष्ठ नागरिकों (80 वर्ष से अधिक आयु) के लिए, सीमा 5 लाख रुपये है.
वर्तमान में, कर प्रणाली में दो कर व्यवस्थाएं उपलब्ध हैं. वर्ष 2020 के बजट में एक नई कर व्यवस्था की घोषणा की गई थी, जिसमें करदाताओं को वित्तीय वर्ष 2020-21 से नए कर स्लैब के अनुसार करों का भुगतान करने का विकल्प दिया गया था. इस नई कर प्रणाली को वैकल्पिक बना दिया गया है और यह पुरानी कर प्रणाली के साथ ही अस्तित्व में है.
पुरानी कर प्रणाली क्या थी?
इसके मुताबिक अगर किसी व्यक्ति की कुल आय 2.5 लाख रुपये से ज्यादा नहीं है तो उसे कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है. अगर आय 2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये के दायरे में आती है, तो उस पर 5 प्रतिशत आयकर देना पड़ता है. हालांकि, 5 लाख रुपये तक की कमाई करने वाले 12,500 रुपये की कटौती का दावा कर सकते हैं. 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये के बीच आय वाले व्यक्तियों को 20 फीसदी तक आयकर देना होगा. यदि किसी व्यक्ति की कुल आय 10 लाख रुपये से अधिक है तो 20 प्रतिशत आयकर देना होगा.