रायपुर, 4 मई 2020
40 दिन के लॉकडाउन के बाद 4 मई को राजधानी में जब शराब की दुकानें खुली तो मदिरा प्रेमियों ने पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में धारा 144 की धज्जियां उड़ा दीं। शासन ने शराब दुकान खोलने का समय सुबह 8 बजे से शाम 7 बजे तक निर्धारित किया है। लेकिन नशे की सनक ऐसी कि शराबप्रेमी 4 मई की सुबह 3 बजे से ही शराब दुकानों के बाहर लाइन लगाकर खड़े हो गए।
8 बजे जैसे ही शराब दुकान की शटर उठी। वैसे ही सुराप्रेमियों का हुजूम भीड़ की शक्ल में शराब दुकान पर उमड़ पड़ा। रायपुर जिले के अलग-अलग इलाकों में खुली शराब दुकानों से सोशल डिस्टेंसिंग का मखौल उड़ने की ऐसी कई तस्वीरें सामने आ रही हैं। जहां न धारा 144 का पालन होता नजर आया औऱ न ही 1 मीटर की दूरी बनाकर रखी जाने वाली सोशल डिस्टेंसिंग का ही पालन होता दिखाई दिया।
शासन की ओर से शराब दुकानों के बाहर सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए रखने के लिए 1-1 मीटर की दूरी पर चूने से गोले बनाए गए थे। कुछ लोग इन गोलों में खड़े होकर समझदारी का परिचय भी देते दिखे, लेकिन हद तो तब हो गई जब रायपुर में स्थित एक शराब दुकान के बाहर 2 किलोमीटर लंबी लाइन लग गई।
तस्वीरों को देखने के बाद हर कोई यही कह रहा है कि शराब को पाने की ये कैसी सनक है ? शराब दुकानों पर उमड़ी भीड़ का नजारा बता रहा है कि लोगों को अन्न से ज्यादा शराब प्यारी है। जो शराब उनकी सेहत के लिए हानिकारक है। उनकी जेब को खाली करा देती है, उस शराब के सुरूर के लिए इस तरह की तड़प और उतावलापन। समाज के लिए चिंतनीय है।
प्रदेश की कांग्रेस सरकार महात्मा गांधी के बताये आदर्श और सिद्धांतों पर चलने का ढ़िंढोरा पीटती है। सत्ता में आने पर पूर्ण शराबबंदी करने की शपथ लेती है। लेकिन 4 मई को राजधानी रायपुर के साथ-साथ प्रदेश के दूसरे जिलों में से शराब दुकानों के बाहर की जैसी तस्वीरें सामने आई हैं, उन्होंने सरकार की कथनी और करनी में साफ फर्क दिखा दिया है।
गांधीजी शराब को सामाजिक बुराई मानते थे। शराब पीने वाले व्यक्ति को गांधीजी समाजकंटक कहते थे, लेकिन देखिये कि गांधी के आदर्शों को अपनाने वाली कांग्रेस शराब को लेकर कहे गए गांधी की बातों को भूल गई और तन्मयता के साथ शराब बिकवाने में जुटी है।