पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले गहन मतदाता पुनरीक्षण को लेकर विपक्ष लगातार हंगामा मचा रहा है। एक तरफ विपक्ष आरोप लगा रहा है कि एनडीए सरकार के इशारे पर चुनाव आयोग उन्हें फायदा पहुंचाने के लिए गरीब, पिछड़े, अति पिछड़े और दलित मतदाताओं के नाम सूची से हटाना चाहता है तो दूसरी तरफ विपक्ष के नेता यह भी कहते हैं कि उन्हें मतदाता पुनरीक्षण से नहीं बल्कि कम समय से दिक्कत है। ऐसे में अधिकतर मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जा सकते हैं। बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव समेत अन्य विपक्षी दल यह भी आरोप लगा रहे हैं कि चुनाव आयोग ने जान बुझ कर इतने कम समय में गहन मतदाता पुनरीक्षण करवा रहा है।
विपक्ष के इन बयानों पर चुनाव आयोग और NDA के नेता बार बार 2003 में कराए गए मतदाता पुनरीक्षण की भी याद दिला रहे हैं। 2003 में कराए गए मतदाता पुनरीक्षण कार्य को लेकर अब जो जानकारी सामने आ रही है वह विपक्ष के लिए एक बड़े झटके से कम नहीं है। बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान जब विपक्ष के नेताओं ने महज 30 दिन में गहन मतदाता पुनरीक्षण कार्य करने पर सवाल उठाया तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी मंत्री विजय चौधरी ने जो जानकारी दी वह विपक्ष की बोलती बंद करने के लिए काफी है।
विजय चौधरी ने कहा कि जब राबड़ी देवी मुख्यमंत्री थी तब 2003 में भी गहन मतदाता पुनरीक्षण कार्य मात्र 30 दिनों में ही कराया गया था। उन्होंने सदन में बताया कि वर्ष 2003 में गहन मतदाता पुनरीक्षण कार्य 15 जुलाई से 14 अगस्त तक ही कराई गई थी। उस वक्त अभी के मुकाबले जनसंख्या कम थी लेकिन अभी की तरह कंप्यूटर, BLO के द्वारा फॉर्म अपलोड करने जैसी सुविधाएं भी नहीं थी। इसके साथ ही विजय चौधरी ने तेजस्वी यादव के सरकार में रहते हुए जातीय जनगणना कराए जाने की भी याद दिलाई और कहा कि वर्ष 2023 में 7 जनवरी से 21 जनवरी के बीच महज 15 दिनों में ही घर घर जा कर जातीय गणना की गई थी।
बता दें कि चुनाव आयोग ने इस बार भी गहन मतदाता पुनरीक्षण के लिए एक महीने का समय रखा है साथ ही मतदाताओं को एक महीने का अतिरिक्त समय किसी भी तरह के दावे, नाम जोड़ने और हटाने का भी समय दे रहा है। इतना ही नहीं चुनाव आयोग के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार करीब 3 पहले तक में 98 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं का सत्यापन किया जा चुका है।