रायपुर, 26 अप्रैल 2021

कोरोना वायरस (corona virus) की दूसरी लहर (second wave) वायरस के म्यूटेशन (mutation)  के कारण ज्यादा खतरनाक हो रही है.  म्यूटेंट वायरस का हमला होने पर कोरोना के नए-नए लक्षण दिख रहे हैं, ऐसे में मरीज खुद को सामान्य मानते हुए जांच में देर कर देता है. यहां तक कि कोरोना की जांच के प्रचलित तरीके एंटीजन और RT-PCR से भी कोरोना पकड़ में नहीं आ पा रहा.

ऐसे में जब छाती का सीटी-स्कैन (CT-Scan) किया जा रहा है. इसके स्कोर के आधार पर संक्रमण और उसकी स्टेज समझी जा रही है.

जांच के प्रचलित तरीके हुए बेअसर 
विशेषज्ञों के मुताबिक संक्रमण की मौजूदा लहर में ज्यादातर मरीजों का संक्रमण कोविड के पुराने प्रचलित तरीकों से पता नहीं चल पा रहा. ऐसे में नुकसान ये हो रहा है कि खुद को निगेटिव मानते हुए वे आइसोलेट नहीं होते और संक्रमण बढ़ता चला जाता है. पॉजिटिव होने के बाद भी जांच में निगेटिव आने वाले ये मरीज नई चुनौती बन चुके हैं.

लेकिन क्या वजह है कि पुरानी जांच मैथड नए मरीजों पर काम नहीं कर रहीं और सीने के सीटी स्कैन में ये किस तरह समझ में आ पाता है. इसे समझने की जरूरत है.

इस बारे में लाला लाजपत राय मैमोरियल मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर डॉ एके तिवारी (Dr AK Tiwari) बताते हैं कि नए मरीजों में एंटीजन और RTPCR के संक्रमण (Infection) के बाद भी निगेटिव आने की दो वजहें हो सकती हैं.

दो कारण होते हैं 
एक कारण तो ये हो सकता है कि म्यूटेंट वायरस, प्रवेश के बाद नाक या मुंह में ज्यादा देर न ठहरते हुए सीधे लंग्स तक पहुंच जाते हों. इसकी वजह से जब नाक या मुंह से सैंपल लेते हैं तो वहां गैरमौजूद मिलते हैं, वहीं सीटी स्कैन में ये पकड़ाई में आ जाते हैं. जांच में न आने की एक और वजह ये भी हो सकती है कि नाक या मुंह से जो सैंपल लिया जा रहा हो, वो सही जगह से न लिया जा रहा हो.

सीटी स्कैन से पूरी जानकारी 
यही कारण है कि संक्रमित लोगों के ये दोनों टेस्ट निगेटिव आने के बाद भी उनमें कोरोना के लक्षण दिखें, तो डॉक्टर सीटी स्कैन करते हैं. इससे न केवल ये पता चल जाता है कि मरीज वाकई में कोरोना संक्रमण का शिकार है, बल्कि संक्रमण का स्तर पर पता लगता है. यानी मरीज माइल्ड लक्षण वाला है या फिर बीमारी ने लंग्स पर असर डालना शुरू कर दिया

आमतौर पर चेस्ट के सीटी स्कैन सीवियारिटी स्कोर को डिजिट्स में देखा जाता है. इसे समझने के लिए थोड़ा-सा लंग्स को समझते चलते हैं. ये पांच लोब्स में बंटा होता है और सबको स्कोर मिला होता है.

  • इसमें 1 स्कोर का मतलब है फेफड़े सामान्य ढंग से काम कर रहे हैं. ये 5% लंग इनवॉल्वमेंट को दिखाता है.
  • स्कोर 5–25% के बीच होने को भी लगभग सामान्य माना जाता है. इसमें लोब्स का इन्वॉल्वमेंट 5–25% तक तक होता है.
  • स्कोर 25% से ज्यादा होना खतरे को बताता है. ये मॉडरेट से लेकर गंभीर खतरे तक चला जाता है, जिसका स्कोर 25 से लेकर 75% तक जा सकता है.
  • थोरैक्स सीटी स्कैन कब कराना चाहिए
  • 25% से ज्यादा स्कोर होने पर फेफड़े के सीटी स्कैन में दिख जाता है और डॉक्टर उसी के अनुसार इलाज करते हैं. वैसे कोरोना के संक्रमण वाले मरीजों के लिए सुझाया जा रहा है कि वे होम आइसोलेशन में रहते हुए ही जांच की रिपोर्ट का इंतजार करें. अगर शुरुआती जांच निगेटिव आने पर भी लक्षण महसूस हो रहे हों तो इसे गंभीरता से लें और HRCT कराएं यानी थोरैक्स सीटी स्कैन. इससे संक्रमण है या नहीं, से लेकर उसकी गंभीरता भी पता चल जाएगी.
  • कीमत पर लगा कैप 
  • सीटी स्कैन से मरीजों की कोविड जांच बढ़ने पर कई जगहों पर लैब इसकी मनमानी कीमत वसूलने लगे थे लेकिन अब केंद्र ने एपिडेमिक डिजीज एक्ट (Epidemic Diseases Act, 1897) के तहत इसकी अधितकम कीमत तय कर दी है. कई राज्य भी अपनी ओर से इसमें राहत देने की कोशिश कर रहे हैं.
0Shares
loading...

You missed