मुंबई, 14 अक्टूबर 2020
लंबी अवधि के निवेश के लिए जिन स्ट्रैटेजी का पालन किया जाता है, वे शॉर्ट टर्म निवेश के लिए बनाई जानी वाली स्ट्रैटेजी से अलग हैं. कुछ एसेट क्लास लंबे समय में बेहतर रिस्क एडजेस्टेड यानी जोखिम समायोजित रिटर्न देते हैं. लंबी अवधि के निवेश के दौरान निवेशकों को अधिक जोखिम लेने का मौका मिल जाता है, क्योंकि लांग टर्म इन्वेस्टमेंट निवेशकों को अपनी गलतियों और नुकसान से उबरने के लिए अधिक समय देता है. इसके विपरीत, शॉर्ट टर्म निवेश के दौरान पूंजी को सुरक्षित रखते हुए गारंटेड रिटर्न पर जोर दिया जाता है. फिलहाल लींबी अवधि के निवेश में रिटर्न की गारंटी बए़ जाती है. यहां एक निवेशक के तौर पर लंबी अवधि में सफल होने के कुछ खास टिप्स दिए जा रहे हैं.
1. वित्तीय लक्ष्य स्पष्ट होना जरूरी
आपके द्वारा किए जाने वाले हर दीर्घकालिक निवेश के साथ एक लाइफ गोल यानी लक्ष्य जुड़ा होना चाहिए. ऐसा करने से आप अपने वित्तीय लक्ष्यों के आकार और उन्हें प्राप्त करने के लिए आवश्यक समय का स्पष्ट अनुमान ला सकते हैं. एक तय समय में एक तय लक्ष्य प्राप्त करने का अनुमान मिलने के बाद आपके लिए कॉर्पस बनाने के लिए जरूरी मंथनी निवेश का आकलन करने में आसानी होती है. यह सब जानकारी जुटाने के बाद आप अपने प्राथमिकताओं के आधार पर अपने प्रत्येक शॉर्ट टर्म और लांग टर्म वित्तीय लक्ष्यों के लिए अपने फंड प्रवाह को आसानी से तय कर सकते हैं.
2. जल्दी शुरू करें निवेश
जितनी जल्दी आप निवेश शुरू करेंगे, आपको लंबी अवधि में कंपाउंडिंग का उतना ही फायदा मिलेगा. कंपाउंडिंग के पावर की वजह से आपकोसमय के साथ रिटर्न पर रिटर्न मिलता जाएगा, जिससे कम निवेश के जरिए भी लंबी अवधि में आपको बड़ा फंड बनाने में मदद मिलेगी. उदाहरण के लिए, 26 साल के व्यक्ति को रिटायरमेंट पर 2 करोड़ जुटाने के लिए हर महीने 3,500 रुपये की एसआईपी की जरूरत होती है. यहां सालाना ब्याज 12 फीसदी माना गया है. वहीं, अगर वह 36 साल की उम्र यानी 10 साल बाद अपना इक्विटी फंड SIP शुरू करता है, तो उसी आकार का रिटायरमेंट कॉर्पस बनाने के लिए, समान ब्याज दर पर उसे 12,000 रुपये के मासिक SIP योगदान की आवश्यकता होगी.
3. इक्विटी फंड में करें निवेश
एक वित्त वर्ष में 1 लाख रुपये और उससे अधिक के इक्विटी लाभ पर LTCG कर 10 फीसदी
होने के बावजूद, इक्विटी अभी भी 5 साल और उससे अधिक समय तक के निवेश के लिए सबसे अच्छा एसेट क्लास है. शॉर्ट टर्म में इसमें वोलेटिलिटी देखी जा सकती है, लेकिन लंबी अवधि में यह ज्यादातर फिक्स्ड इनकम रिटर्न क्लास से बेहतर प्रदर्शन करता है.
इक्विटी से लाभ के लिए रिटेल निवेशकों के पास सबसे बेहतर विकल्प इक्विटी म्यूचुअल फंड है. इक्विटी फंड अपने निवेशकों को बहुत कम लागत पर पेशेवर फंड प्रबंधन, पर्याप्त डाइवर्सिफिकेशन और निवेश सुविधा का लाभ देते हैं. यहां आप टैक्स बेनेफिट देने वाले ईएलएसएस फंड्स में भी निवेश कर सकते हैं, जिन्हें टैक्स-सेविंग म्यूचुअल फंड के रूप में जाना जाता है. इसमें धारा 80 सी के तहत टैक्स सेविंग का लाभ मिलता है.
4. निवेश के लिए चुनें SIP
जरूरी नहीं है कि हर निवेशक को इक्विटी फंडों में निवेश का भरपूर अनुभव हो. ऐसे में एसआईपी बेहतर विकल्प है. एसआईपी का विकल्प चुनने से नियमित निवेश सुनिश्चित करने में मदद मिलती है. एसआईपी से बाजार में करेक्शन के दौरान एवरेजिंग और वित्तीय अनुशासन का फायदा मिलता है. अधिकांश इक्विटी फंडों के टिकट साइज 1,000 रुपये से (ईएलएसएस फंडों के मामले में 500 रुपये) कम है. यहां तक कि सीमित मासिक अधिभार वाले निवेशक इक्विटी म्यूचुअल फंड के माध्यम से इक्विटी परिसंपत्ति वर्ग में निवेश के लाभ प्राप्त कर सकते हैं.
निवेशकों को इसमें एसआईपी टॉप अप कराने का भी मौका मिलता है, जहां वे ज्यादा यूनिट पा सकते हैं. ऐसा करके वे अपने वित्तीय लक्ष्य को कम समय में पा सकते हैं.
5. इमरजेंसी फंड
जब आप लंबी अवधि के लिए निवेश जारी रखते हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप कम से कम 6 महीने के अपने अनिवार्य मासिक खर्चों को पूरा करने के लिए एक इमरजेंसी फंड का निर्माण करें. इन अनिवार्य खर्चों में आपके दैनिक जीवन का खर्च, यूटिलिटी बिल, बीमा प्रीमियम, आपके बच्चों की ट्यूशन फीस, ईएमआई, किराया, आपके महत्वपूर्ण वित्तीय लक्ष्यों में योगदान आदि शामिल होना चाहिए. ऐसा करके आप किसी भी वित्तीय इमरजेंसी की चुनौतियों से निपट सकेंगे. ऐसा न करने से आपके वित्तीय लक्ष्य प्रभावित हो सकते हैं. मसलन जरूरत पर आपको अपने निवेश को बेचना पड़ सकता है.
6. समय समय पर निवेश का आंकलन करें
आपको इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश के रूप में अपने फंड के प्रदर्शन की नियमित समीक्षा करनी जरूरी है. कई बार हो सकता है कि पहले शानदार रिटर्न वाले स्टार फंड भविष्य में लंबे समय तक पिछड़े रह सकते हैं. अगर आपको लगे कि आपका कोई फंड बेहतर नहीं कर रहा तो उसके जरूरी कारणों की जानकारी लेकर उसे पोर्टफोलियो से हटा सकते हैं. उाकी जगह दूसरी स्कीम शामिल कर सकते हैं.