आजकल भाग दौड़ भरी जिंदगी में मनुष्य सुख की चाह लेकर दिन भर परिश्रम करता है लेकिन उसे परिश्रम का फल नही मिल पाता मिलता भी है तो ना के बराबर इसका कारण जन्म कुंडली के ग्रह दोष अथवा किसी शत्रु द्वारा आपकी तरक्की में बाधा पहुचाने के लिये मैली क्रिया भी हो सकता है या कई बार हम अनजाने में कुछ ऐसा कार्य कर जाते है जिससे देवी देवता, कुलदेव अथवा वास्तु दोष लग जाता है। व्यापारी एवं कारोबारियों के समक्ष यह समस्या आजकल आम होती जा रही है प्रतिस्पर्धी अपना हित साधने के लिये किसी भी प्रकार का निम्नतर कार्य कर आपको हानि पहुचाने का प्रयास करता है। इन सभी बाधाओं से मुक्ति के आसान उपाय नीचे दिये जा रहे है आशा है आप इनका प्रयोग कर अवश्य ही लाभ पाएंगे।

किसी भी दुकान अथवा कारखाने का बंधन खोलने के लिये नागफनी-कील (ये मोटी चपटी कील होती है जिसका ऊपरी हिस्सा सांप के फन जैसे मुडा रहता है) की आवश्यकता होती है। ऐसी 4 कीले लेकर उसे देशी गाय के मूत्र में डुबोकर 3 दिनों तक रखें, इसके पश्चात उन कीलो को निकाल लें तथा गौ मूत्र किसी वृक्ष की जड़ो में डाल दें। नागफनी की इन कीलो को किसी पीपल के वृक्ष के नीचे छोटा गड्डा खोदकर गाड़ दें सात दिन इन्हें ऐसे ही गड़ा रहने दें, इसके पश्चात उन कीलो को वापस निकाल लाये। इनमे से एक-एक कील को दुकान के चारो कौनो पर इस प्रकार गाड़ दें कि उनके फन दुकान के बाहर की तरफ हों प्रत्येक कील पर थोड़ा कुमकुम अक्षत चढ़ा दें। ऐसा करने से बंधी दुकान व्यवसाय खुल जाता है।

बंधा हुआ व्यवसाय खोलने के लिये अन्य विधि के अंतर्गत एक नारियल (जटा वाला) एक तांबे का सिक्का और एक नींबू लें। इन तीनो का कुमकुम अक्षत से पूजन कर धूप दीप दिखाकर दुकान की दहलीज के बीच गड्डा खोदकर तीनो को गाड़ दें यदि इस प्रकार से गाड़ा जाना संभव ना हो तो इन वस्तुओं को लाल या काले कपड़े में लपेट कर दुकान में 3 बार घुमाकर बहते जल में प्रवाहित कर दें। इस कार्य को मुख्यतः मंगल या शनिवार को ही करें शुल्क पक्ष उत्तम है।

जिस व्यक्ति की नौकरी किसी बंधन के कारण नही लग पा रही हो उसे निम्न 7 वृक्षो की जड़ो को एकत्रित करना चाहिये
अपामार्ग, चंदन, मौलश्री, अशोक, बरगद की लटकती जड़, पीपल तथा गुलतुर्रा। इस सभी जड़ो को किसी नायलोन की महीन जालीदार थैली में रख लें, इस थैली को स्नानागार में किसी खूंटी पर लटका दें रोजाना जब भी स्नान करने जाए तब इस पोटली को स्नान के जल में 5 मिनट तक पड़ा रहने दें। इसके बाद अगले दिन प्रयोग के लिये वापस सुरक्षित टांग दें तथा इस जल से स्नान करें। इसप्रकार से सप्तमूल स्नान 40 दिन लगातार करने से बंधन समाप्त होता है तथा संबंधित व्यक्ति को सुपरिणाम मिलने लगते हैं। इन जड़ो को शुभ मुहूर्त जैसे सर्वार्थसिद्धि योग अथवा अमृत सिद्धियोगः या रवि-गुरु पुष्य में निकाले तो ज्यादा लाभ होता हैं।

बंधा हुआ व्यवसाय खोलने हेतु नीचे दी वस्तुओ को एकत्रित करें।
बिछुआ नामक पौधे की जड़ का टुकड़ा, और बीज यह बीज इसके फल में पक्षी की खोपड़ी जैसे दिखता है, कोई भी तीन नदियों की मिट्टी थोड़ी मात्रा में , बरगद की जटा का टुकड़ा यह टुकड़ा जमीन पर स्पर्श कर रही जटा का हो लेकिन जमीन में धंसी ना हो, बिल्व की जड़ का टुकड़ा, सुखी लाल मिर्च के कुछ बीज, (लाल, सफेद, काली गुंजा) के दो दो बीज।
इन वस्तुओं को किसी कोरे वस्त्र में सुरक्षित बांध कर उस पोटली को दोबारा एक लाल कपड़े में सतरंगी धागे की सहायता से बांधकर दुकान के मुख्य द्वार में अंदर की तरफ लटका दें इसके प्रभाव से बंधन खुल जाता है। इस पोटली को दैनिक पूजा के समय धूप दीप अवश्य दिखा दें।

बंधी हुई दुकान या व्यवसाय स्थल का बंधन खोलने के लिये प्रतिदिन जब दुकान खोलें तो एक प्लेट में थोड़ा सा कपूर लेकर दुकान के अंदर कही भी जलाये। जब कर्पूर जले तो उसके धुए से एक नींबू को मन मे प्रार्थना करते हुए की दुकान में जो भी बंधन है वह धुएं के साथ उड़ जाए अथवा नींबू में प्रवेश कर जाए ऐसा कर धूपित करें। जब कर्पूर पूरा जल जाए तो इस नींबू को दुकान की दहलीज के मध्य रख कर हाथ की चोट से फोड़ दें फोड़ने वाले का मुख बाहर की तरफ रहे। फूटे नींबू को बाहर सुविधाजनक दिशा में फेंक दें। इस प्रयोग को भी 41 दिन लगातार करने से बंधन मुक्ति होती है।

पं. चंद्र नारायण शुक्‍ल

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By Admin

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