रायपुर, 21 मई, 2019
सी-वोटर, चाणक्य, ओआरजी, नील्सन जैसे 14 एक्जिट पोल में से 12 सर्वे एजेंसियों के एक्जिट पोल्स में एनडीए को मिल रहे बम्फर बहुमत के बावजूद भारतीय जनता पार्टी के नेताओं में खुशी की लहर नहीं दौड़ रही है। ऐसा क्यों..? इसका पता करने पर नाम और पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर रायपुर के एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने वजह बताते हुए जवाब दिया कि “एक्जिट पोल के परिणाम हमेशा सच साबित नहीं होते हैं। उन्होंने कहा कि 2004 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान जब पूरा देश इंडिया शाइनिंग और प्रमोद महाजन के मीडिया मैनेजमेंट के चलते एक्जिट पोल्स में एनडीए को पूर्ण बहुमत की सरकार बनाते हुए दिखा रहा था, तब भाजपा मुख्यालय पर पटाखे और लड्डुओं की पूरी व्यवस्था कर ली गई थी, लेकिन हुआ क्या, जब मतगणना हुई तो नतीजे एक्जिट पोल्स के एकदम विपरीत आए। इसलिये इस बार अति उत्साह में पार्टी नेता कुछ भी कहने और करने से बच रहे हैं। भाजपा नेता ने स्वीकारा कि छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में जिस तरह से विधानसभा चुनाव में सत्ता का उलटफेर हुआ है, उसे ज्यादा दिन नहीं हुए और इतने कम समय में किसी राज्य के लोगों का पूरा विचार किसी पार्टी को लेकर बदल जाए, ऐसा होना मुमकिन नहीं है।”
भाजपा नेता की इन बातों से समझा जा सकता है कि जैसा एक्जिट पोल में दिखाया जा रहा है, वो सच हो भी सकता है और नहीं भी हो सकता है। क्योंकि विधानसभा चुनाव से पूर्व भी एक्जिट पोल तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा की सरकारें बनाते नजर आ रहे थे, लेकिन नतीजा इसका उलटा हुआ। लोकसभा चुनावों में भाजपा 435 सीटों पर चुनाव लड़ी है, जबकि बाकी सीटों पर उसने अन्य गठबंधन सहयोगियों से समझौता किया है। क्या ये कहीं से लाजिमी हो सकता है कि भाजपा 435 सीटों पर चुनाव लड़े और सारी की सारी जीत जाए,,,,ये असंभव है, कांग्रेस पार्टी ने कुल 420 सीटों पर चुनाव लड़ा है, लेकिन कांग्रेस भी पूरी 420 सीटें जीत जाए,,,ये भी मुमकिन नहीं है, फिर एग्जिट पोल के नतीजे किस आधार पर बहुमत दिला रहे हैँ। एनडीए के सहयोगी छिट भी सकते हैं, पूर्व में एनडीए से ही सबसे ज्यादा दलों के छिटने की बातें सामने आती रही हैं।
उत्तर प्रदेश में माया और अखिलेश के गठबंधन के आगे क्या भाजपा 50 सीटें भी जीत पाएगी। इधर नागपुर में जिस तरह से नितिन गडकरी के आवास पर बीते दो दिनों से भाजपा के अलग-अलग नेताओं का आना-जाना लगा हुआ है,,,उससे संकेत कुछ और भी मिल रहे हैं।
आज शाम दिल्ली में भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक है जिसमें सीटों और जीत को लेकर प्रधानमंत्री मोदी के सामने मंथन होना है। भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में सिर्फ भाजपा नेता ही नहीं बल्कि एनडीए के सहयोगियों को भी बुलाया गया है, लेकिन शिवसेना की तरफ से कोई नहीं जा रहा है।
14 एग्जिट पोल में से 12 ने NDA को 282 से लेकर 365 मिलने का अनुमान जताया है जबकि 6 एक्जिट पोल ने अपने पूर्वानुमान में कहा है कि अन्य दलों को UPA से ज्यादा सीटें मिलेंगी।
12 एक्जिट पोल में एनडीए को मिल रहे पूर्ण बहुमत के बावजूद पार्टी नेताओं के चेहरे से खुशी की चमक के गायब होने के पीछे की दूसरी वजह जो सामने आई वो ये रही कि 23 मई को लोकसभा चुनाव की मतगणना के बाद अगर एक्जिट पोल के मुताबिक भाजपा को सीटें मिलती हैं तो पार्टी में मोदी और अमित शाह की जोड़ी और मजबूत बनकर उभरेगी। जिसके बाद इस जोड़ी का चाबुक कई राज्यों में नेतृत्व संभाल रहे नेताओं पर पड़ने वाला है। जिन -जिन राज्यों में पार्टी की स्थिति कमजोर और सहयोगी दल की स्थिति मजबूत दिखेगा वहां-वहां अमित शाह अध्यक्ष से लेकर पार्टी संगठन को बदलने की तैयारी में है। इसका होमवर्क भी अमित शाह ने तैयार कर के रख लिया है। अमित शाह के होमवर्क में सबसे पहला राज्य छत्तीसगढ़, उसके बाद राजस्थान और फिर मध्यप्रदेश हैं..जहां पार्टी अगर उम्मीद के मुताबिक सीट नहीं ला पाई तो संगठन से लेकर पार्टी प्रदेशाध्यक्ष तक सुई घूमेगी। उसके बाद महाराष्ट्र, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश का नंबर आएगा। दिल्ली में उम्मीद के मुताबिक भाजपा को जीत नहीं मिली तो मनोज तिवारी को बिहार की ट्रेन को टिकट काट कर पकड़ाया जा सकता है और बिहार में ही संगठन स्तर पर कोई जिम्मेदारी दी जा सकती है।