नई दिल्ली, 19 अगस्त 2020

देश में कोविड-19 महामारी के कारण 41 लाख युवाओं को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।  इसमें निर्माण और कृषि क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारी सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं।  अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) और एशियाई विकास बैंक (ADB) की संयुक्त रिपोर्ट में ये चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। ‘एशिया और प्रशांत क्षेत्र में कोविड-19 युवा रोजगार संकट से निपटना’ शीर्षक से आईएलओ-एडीबी की मंगलवार (18 अगस्त) को जारी रिपोर्ट में कहा गया है, कि ‘‘भारत में 41 लाख युवाओं के रोजगार जाने का अनुमान है. सात प्रमुख क्षेत्रों में से निर्माण और कृषि क्षेत्र में सर्वाधिक लोगों के रोजगार गए हैं.’’

रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के कारण युवाओं के लिए रोजगार की संभावनाओं को भी कड़ा झटका लगा है. संकट के कारण तत्काल 15 से 24 साल के युवा 25 और उसे अधिक उम्र के लोगों के मुकाबले ज्यादा प्रभावित होंगे. इतना ही नहीं आर्थिक और सामाजिक लागत के हिसाब से जोखिम दीर्घकालिक और व्यापक है.

आईएलओ-एडीबी रिपोर्ट ‘युवा और कोविड-19 पर वैश्विक सर्वे’ के क्षेत्रीय आकलन पर आधारित है. अनुमान विभिन्न देशों में उपलब्ध बेरोजगारी के आंकड़े के आधार लगाया गया है. इसमें कहा गया है कि भारत में महामारी के दौरान कंपनी के स्तर पर दो तिहाई प्रशिक्षण (एप्रेन्टिसशिप) पर असर पड़ा. वहीं तीन चौथई ‘इंटर्नशिप’ पूरी तरह से बाधित हुए हैं.

66 करोड़ युवाओं के लिए उठाने होंगे बड़े कदम

रिपोर्ट में सरकारों से युवाओं के लिए रोजगार सृजित करने, शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को पटरी पर लाने और 66 करोड़ युवा आबादी के भविष्य को लेकर निराशा को कम करने के लिए तत्काल, बड़े पैमाने पर लक्षित कदम उठाने का आह्वान किया गया है. कोविड-19 संकट से पहले ही एशिया और प्रशांत क्षेत्र में युवाओं के समक्ष रोजगार को लेकर चुनौतियां थी. इसके कारण बेरोजगारी दर ऊंची थी और बड़ी संख्या में युवा स्कूल तथा काम दोनों से बाहर थे.

वर्ष 2019 में क्षेत्रीय युवा बेरोजगारी दर 13.8 फीसदी थी. वहीं वयस्कों (25 साल और उससे अधिक उम्र) में यह 3 फीसदी थी. 16 करोड़ से अधिक युवा (आबादी का 24 फीसदी) न तो रोजगार में थे और न ही शिक्षा या प्रशिक्षण में.

‘लॉकडाउन जेनरेशन’ तैयार होने का खतरा

रिपोर्ट के अनुसार, क्षेत्र में हर पांच युवा कामगारों में चार असंगठित क्षेत्र में है और चार युवा कर्मचारियों में एक गरीबी में रहने को मजबूर है. रिपोर्ट की प्रमुख लेखिका और आईएलओ क्षेत्रीय आर्थिक एवं सामाजिक विश्लेषण इकाई प्रमुख सारा एल्डर ने कहा, ‘‘कोविड-19 संकट के बाद से जो चुनौतियां युवाओं के लिये थी, वह और बढ़ गई हैं. अगर इस ओर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया, एक ‘लॉकडाउन जेनरेशन’ तैयार होने का खतरा है, जिसे इस संकट का भार कई साल तक महसूस करना पड़ सकता है.’’

0Shares
loading...

You missed