रायपुर, 10 मार्च 2021
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम यानि मनरेगा के तहत जॉबकार्डधारियों को 100 दिनों का रोजगार मुहैया कराने में छत्तीसगढ़ ने देशभर में 5वीं पोजीशन हासिल कर कांग्रेस सरकार को गदगद कर दिया है। मनरेगा के तहत छत्तीसगढ़ में 29.81 लाख परिवारों को औसत 52 दिनों का रोजगार उपलब्ध कराया गया है। जिनमें से 4.17 लराख परिवारों को 100 दिनों से अधिक का काम मिला है।
मनरेगा के तहत रोजगार पाने के मामले में राष्ट्रीय औसत 48 दिनों का रहा है। जबकि छत्तीसगढ़ मे मनरेगा कार्यों में इस वर्ष भागीदारी करने वाले परिवारों को प्रति परिवार औसत रोजगार देने में ज्यादा आबादी वाले कई बड़े राज्यों उत्तरप्रदेश (40 दिन), तेलंगाना (48 दिन), तमिलनाडु (46 दिन), आंध्रप्रदेश (50 दिन), बिहार (42 दिन), गुजरात (41 दिन), झारखण्ड (44 दिन), कर्नाटक (46 दिन) और महाराष्ट्र (38 दिन) से आगे है।
चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 में प्रदेश में चार लाख 16 हजार 956 परिवारों को 100 दिनों से अधिक का काम मुहैया कराया गया है। इस मामले में छत्तीसगढ़ पूरे देश में पांचवें स्थान पर है। इसमें केवल राजस्थान, पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश और आंध्रप्रदेश ही छत्तीसगढ़ से आगे है। देशभर में 100 दिनों का रोजगार प्राप्त परिवारों में अकेले छत्तीसगढ़ की भागीदारी आठ प्रतिशत से अधिक है।
प्रदेश में मनरेगा के अंतर्गत काम करने वाले प्रत्येक परिवार को इस वर्ष बीजापुर जिले में औसत 70 दिन, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में 69 दिन, दंतेवाड़ा में 65, कांकेर में 62, जशपुर में 60, गरियाबंद और सुकमा में 59-59 दिन, बिलासपुर और कोरिया में 58-58, राजनांदगांव में 57, बलरामपुर-रामानुजगंज में 56, कबीरधाम और नारायणपुर में 55-55, बालोद और धमतरी में 53-53, मुंगेली में 52, दुर्ग में 51 तथा रायपुर और कोंडागांव में 50-50 दिनों का काम उपलब्ध कराया गया है।