रायपुर, 10 मार्च 2021
ये खबर उन नाली गैस के प्रणेताओं को आईना दिखाने सरीखी है। एक तरफ देश के प्रधान सेवक जहां बेरोजगारी दूर करने के सवाल पर पकौड़े तलने को रोजगार बताते हैं और दूसरी तरफ नाले की गैस से चाय उबालने की नुस्खे बताते हैं। ऐसे नाली गैस के प्रणेताओं के लिए छत्तीसगढ़ से आई ये खबर कुछ सीख लेने को कहती है। खबर ये है कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार की लाई गोधन न्याय योजना आज ग्रामीण महिलाओं के लिए आमदनी का बड़ा जरिया बन गई है। गोधन न्याय योजना की देश-दुनिया में जमकर तारीफ की जा रही है। ताजा आंकड़े बताते हैं की ग्रामीण महिलाओं को गोधन न्याय योजना की वजह से स्थायी रोजगार मिल गया है। अब ग्रामीण महिलाएं वर्मी कम्पोस्ट बेचकर 2 लाख रुपये तक की कमाई कर रही हैँ।
बलरामपुर-रामानुजगंज जिले की लाडली महिला स्व सहायता समूह विकासखण्ड वाड्रफनगर के बसंतपुर गौठान में गोधन न्याय योजनांतर्गत खरीदे गये गोबर से वर्मी खाद तैयार करने का कार्य कर रही हैं। गौठान में 2 रूपये प्रति किलो की दर से गोबर खरीदी तथा उससे वर्मी खाद तैयार कर 10 रूपये प्रति किलो की दर से बेचा जा रहा है। महिलाओं के कुशल प्रबंधन तथा व्यावसायिक दृष्टिकोण के परिणाम स्वरूप लाडली समूह की महिलाओं ने 226.52 क्विंटल खाद तैयार कर उद्यानिकी तथा वन विभाग को विक्रय किया है, जिससे उन्हें 2 लाख से अधिक की आमदनी प्राप्त हुई है। आजीविका के नये अवसर प्रदान कर गौठान स्वावलम्बी तथा आर्थिक समृद्धि के पर्याय बन चुके हैं, जिससे महिलाओं का आत्मविश्वास भी बढ़ा है।
समूह में कार्यरत 13 महिलाएं गौठान से जुड़कर आर्थिक उन्नति के नये सोपान चढ़ रही हैं। प्रशासन के सहयोग व मार्गदर्शन ने माना कि महिलाओं के हौसलों को नये पंख दे दिये हैं और उन्होंने गौठान को स्वावलंबी बनाने की शासन की मंशा को पूरा करके दिखाया है। लाडली समूह की अध्यक्ष प्रीति सिंह ने बताया कि ग्रामीण जीवनशैली में विविध कार्यों में गोबर का उपयोग होता आ रहा है, लेकिन गोधन न्याय योजना के माध्यम से शासन ने इसके व्यावसायिक महत्व से अवगत कराया और पशुपालकों की आय बढ़ाई तथा महिलाओं के लिए रोजगार सृजित कर उन्हें लाभान्वित किया। उन्होंने कहा कि प्रशासन के सतत् सहयोग ने हमें इस रोजगार से जोड़े रखा और इसी का ही परिणाम है कि खाद बेचकर हमें दो लाख से अधिक की आमदनी हुई है। गौठान से ही समूह की 13 महिलाओं को स्थायी रोजगार का साधन उपलब्ध हो पाया तथा उन्हें आजीविका के लिए अन्यत्र जाने की जरूरत नहीं पड़ी। गौठान में वर्मी खाद तैयार करने के साथ-साथ समूह की महिलाएं बाड़ी विकास का कार्य भी कर रही हैं। समूह के अन्य सदस्यों ने इस दौरान बताया कि गौठान में रोजगार मिलने से उनकी आर्थिक दिक्कतें दूर हुई हैं तथा वे परिवार के भरण-पोषण में अपना योगदान दें पा रही हैं।
जनपद पंचायत वाड्रफनगर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी वेदप्रकाश पाण्डेय का कहना है कि गोधन न्याय योजना पशुपालकों एवं महिला समूहों के अतिरिक्त आमदनी का साधन हो गया है। वाड्रफनगर के 21 गौठानों के 21 महिला समूहों की 200 से भी अधिक महिलाओं को वर्मी खाद बनाने के रोजगार से जोड़ा गया है। विकासखण्ड वाड्रफनगर के 21 गौठानों में कुल 16 हजार 290.56 क्विंटल गोबर की खरीदी हो चुकी है तथा 1 हजार 889 क्विंटल वर्मी खाद तैयार कर विक्रय किया जा चुका है, जिससे 18 लाख रूपये से अधिक की आमदनी भी हो चुकी है। गोधन न्याय योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती तो दे ही रही है, साथ ही बड़े तबके को रोजगार भी प्राप्त हो रहा है। गौठानों ने आजीविका के केन्द्र के रूप में उभरकर विकास की एक नई राह दिखाई है, जिसमें महिलाओं ने बड़ी भूमिका निभाते हुए उसे और आगे बढ़ाया है।