नई दिल्ली, 29 सितंबर 2020

कृषि संबंधित तीन बिल पास होकर अब कानून  बन चुके हैं, लेकिन इसका विरोध खत्म नहीं हुआ है. विपक्षी पार्टियां खासकर कांग्रेस जमकर इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रही है. इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को इन कानूनों  को लागू नहीं करने की सलाह दी है. कहा है कि आर्टिकल 254 (2) की मदद ली जाए.

आखिर यह आर्टिकल 254 (2) क्या है. क्या सही में इसकी मदद लेकर कोई राज्य संसद से पास किसी कानून को अपने यहां लागू होने से रोक सकता है? ऐसा करने में राज्य के सामने क्या बाधाएं होंगी इस सबके बारे में यहां जानिए

क्या है आर्टिकल 254 (2)

अगर राज्य सरकार को पहले से मौजूद किसी कानून या संसद द्वारा पास किसी कानून से कोई आपत्ति है तो वह आर्टिकल 254 (2) का इस्तेमाल कर सकता है. इससे राज्य समवर्ती सूची में पड़नेवाली चीजों से संबंधित कानून, नियम को अपने हिसाब से बिल पास करवाकर बदल सकते हैं. मुख्य तौर पर यह ऐसा प्रावधान है जिसके तहत राज्य सरकार को इस बात की छूट मिलती है कि वह अपने राज्य के लिए संसद से पास किसी कानून से अलग नियम बना सके.

समवर्ती सूची में क्या-क्या शामिल होता है?

समवर्ती सूची में वे चीजें होती हैं जिनसे संबंधित नियम राज्य सरकार चाहे तो बदल सकती है. जैसे क्राइम, शादी, तलाक, दत्तक ग्रहण (गोद लेना), दिवालियापन, सामाजिक सुरक्षा, शिक्षा, बिजली. कृषि भी इसके अंदर आता है.

राष्ट्रपति की मंजूरी यहां जरूरी

किसी कानून पर आपत्ति की स्थिति में राज्य सरकार चाहें तो अपने खुद के बिल ला सकती हैं, जिसके बाद संसद में पास बिल के उनके राज्य में मायने नहीं होंगे. लेकिन ऐसा तब ही मुमकिन है जब राज्य के बिल को राष्ट्रपति अपनी सहमति दे दें. कानूनी जानकारों के मुताबिक, यह राष्ट्रपति का विशेषाधिकार है कि वह राज्यों के बिलों पर साइन करें या नहीं. ज्यादातर चांस ना के ही होते हैं.

खासकर ऐसे मामलों में जब केंद्र भी जुड़ा हो तो मंजूरी मिलना मुश्किल है. ऐसा इसलिए क्योंकि कई मामलों में राष्ट्रपति सरकार के मंत्रियों की सलाह और मदद पर काम करते हैं.

बिलों के खिलाफ क्या सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं राज्य?

राज्य सरकार चाहें तो आर्टिकल 131 के तहत सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकती हैं. इसमें कानून की संवैधानिकता देखी जाएगी. फिलहाल कृषि बिलों (Agriculture Laws) को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी भी जा चुकी है. केरल से कांग्रेस सांसद ने बिलों के खिलाफ याचिका दायर करके उन्हें वापस लेने की गुजारिश की है.

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