जयपुर:- करीब 1 महीने से अधिक समय तक राजस्थान में चला सियासी ड्रामा आखिरकार खत्म हो गया है। जानकार सूत्रों के हवाले से खबर है कि सचिन पायलट की कांग्रेस में ससम्मान वापसी हो गई है। लेकिन फिलहाल उपमुख्यमंत्री पद पर तैनाती पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है। 12 जुलाई को पायलट खेमे ने अपने पास 30 विधायकों के समर्थन का दावा किया था और इसके बाद एक के बाद एक विधायकों और भाजपा तक के नेताओं द्वारा पायलट के भाजपा में शामिल होने तक की बातें कही जा रही थीं। वहीं दूसरी ओर सचिन पायलट के अलग पार्टी बना लेने तक की चर्चा का बाजार गर्म था।
बहरहाल पायलट ग्रुप के विधायक भंवर लाल शर्मा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से आज जयपुर आकर मुलाकात की और गहलोत को अपना नेता बताया। इससे पहले सचिन पायलट की सोनिया – राहुल -प्रियंका गांधी से मुलाकात दिल्ली में हुई। इस बातचीत के बाद कांग्रेस में बिना शर्त पायलट की वापसी हुई है । जानकार सूत्रों के अनुसार सचिन पायलट को फिलहाल केंद्र में कोई बड़ी जिम्मेदारी के आश्वासन के बाद उनकी वापसी कांग्रेस में हुई है। हालांकि पायलट ने खुद को कभी कांग्रेस से अलग होने की घोषणा नहीं की थी लेकिन उनकी नाराजगी और विधायकों के समर्थन के साथ-साथ गहलोत से नाराजगी के मायने निकाले जा रहे थे कि पायलट कांग्रेस की प्रदेश में सरकार को गिराना चाहते हैं लेकिन बावजूद इस सब के 1 महीने से भी अधिक समय चले इस सियासी ड्रामे के बाद सचिन पायलट गुट ने कभी अलग दल बनाने या भाजपा में शामिल होने की बात नहीं की, शायद यही कारण रहा कि कांग्रेस को पूरी उम्मीद थी कि प्रदेश में कांग्रेस का खेल नहीं बिगड़ेगा।
हालांकि भाजपा ने यहां हर तरह से कोशिश की थी कि राजस्थान में गहलोत की सरकार गिर जाए और सचिन पायलट भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाएं लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा के सारे मंसूबों पर पानी फेर दिया और अपनी “जादुई तिलिस्म” की जो बात हमेशा कही जाती है उसे कायम रखा, यानी गहलोत ने फिर से अपनी “जादूगरी” साबित कर दी है और अपनी लीडरशिप भी साबित कर दी कि प्रदेश में वही एक ऐसे लीडर है जो कांग्रेस को साथ लेकर चल सकते हैं। वहीं गहलोत ने भाजपा और बसपा प्रमुख मायावती को भी बता दिया है कि राजस्थान मध्यप्रदेश नहीं बन सकता, यहां कोई गहलोत को कमलनाथ समझने की कोशिश ना करे।
हालांकि हमने इस पूरे सियासी ड्रामे के शुरुआत में ही यह बता दिया था कि गहलोत कभी राजस्थान को एमपी नहीं बनने देंगे और गहलोत की सरकार राजस्थान में बरकरार रहेगी साथ ही ऐसी कोई सोच भी नहीं रखे कि गहलोत सरकार को वह राजस्थान में गिरा पाएगा। राजनीतिक गलियारों में फिलहाल चर्चा है कि भाजपा में अब गुटबाजी हावी हो गई है जिसके चलते भाजपा विधायकों के गुजरात में बाड़े बंदी की खबर है हालांकि एक यह भी चर्चा सामने आ रही है कि भाजपा के कुछ विधायक कांग्रेस के संपर्क में होने के चलते भाजपा विधायकों की बाड़ेबंदी गुजरात में की गई थी। अब भाजपा के विधायक यह बयान दे रहे हैं कि भाजपा में कोई बड़े बंदी नहीं की गई है लेकिन अगर भाजपा के विधायकों को गुजरात भेजा गया है तो वह बाड़ेबंदी नहीं तो और क्या है?
पायलट को उप मुख्यमंत्री पद पर संशय:-
इधर अब राजनीतिक हलकों में यह चर्चा है कि सचिन पायलट और उनके विधायकों की किसी भी मांग को अभी तक नहीं माना गया है, यानी राजस्थान में मुख्यमंत्री बदलने की पायलट की मांग को स्वीकार नहीं किया गया है और बिना शर्त पायलट और उनके समर्थक विधायक कांग्रेस में लौट रहे हैं। सूत्रों के हवाले से खबर है कि आने वाले कुछ समय के बाद पायलट की मांगों को मानने का आश्वासन उन्हें दिया गया है। वहीं फिलहाल पायलट को फिर से उपमुख्यमंत्री पद दिए जाने पर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है। शायद अगले 48 घंटों में इस पूरे घटनाक्रम पर कोई संज्ञान लेते हुए निर्णय लिया जाए
इधर भाजपा की गुटबाजी भी सामने आ गई है। भाजपा को राजस्थान में वसुंधरा के पीछे माना जाता है तो क्या सचिन पायलट प्रकरण बिना वसुंधरा राजे की जानकारी के रचा गया? राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार राजस्थान में वसुंधरा राजे लंबे समय से निष्क्रिय थीं, शायद इसी का फायदा उठाकर भाजपा में दूसरे गुट ने सचिन पायलट प्रकरण की रचना कर डाली। सूत्रों के अनुसार हाल ही में वसुंधरा राजे की आलाकमान से मुलाकात तथा सक्रियता के बाद सचिन पायलट प्रकरण पूरी तरह पलट गया और पायलट प्रकरण पूरी तरह से निष्फल साबित हुआ। बरहाल इस पूरे सियासी घटनाक्रम के बाद एक बात तो तय हो गई है कि गहलोत के “जादूई तिलिस्म” को कोई नहीं तोड़ सकता और वसुंधरा राजे की आज भी भाजपा में उतनी ही पकड़ बरकरार है वहीं सचिन पायलट को कांग्रेस में अभी कुछ और सीखना बाकी है यानी उनकी राजनीतिक शिक्षा अभी पूरी नहीं हुई है।
By:- भूपेंद्र शर्मा, संपादक, राजस्थान