रायपुर, 11 अगस्त 2020
आय से अधिक संपत्ति के मामले को लेकर छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और उनके परिवार को आरोपों के कठघरे में खड़ा किया है। कांग्रेस ने रमन सिंह उनकी पत्नी वीणा सिंह और उनके बेटे अभिषेक सिंह की संपत्ति की जांच की मांग की है।
कांग्रेस ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिंदुवार सवाल उठाते हुए कहा कि डॉ. रमन सिंह घोटालों के महानायक हैं। रमन सिंह की सरकार के कार्यकाल में हुए घोटालों और कमीशनखोरी के चलते आज डॉ. रमन करोड़ों रुपये के मालिक बने बैठे हैं। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि हम सवाल पूछना चाहते हैं कि रमन सिंह की संपत्तियां 2008 से 2018 के तीन चुनावों के बीच कैसे दस गुना से अधिक बढ़ गयी?
उन्होंने ऐसा क्या जादू किया कि उनकी संपत्तियां इस तरह बढ़ती चली गईं। उनकी पत्नी के पास इतना पैसा कहां से आया।
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी ने कहा कि पूरा छत्तीसगढ़ जानता है कि डॉ. रमन सिंह साधारण परिवार से आते हैं। उनका न कोई कारोबार है न कोई उद्योग धँधा है। न ही उनके पास कोई ज्यादा जमीन जायदाद रही है। पुश्तैनी धंधे के नाम पर उनके पास कुछ नहीं है। उनके पिता ठाकुर विध्नहरण सिंह एक सामान्य वकील थे। खुद रमन सिंह ने आयुर्वेद में डिग्री ली है। कवर्धा में वे एक असफल डॉक्टर रहे हैं। फिर उनके पास इतना पैसा कहां से आ गया कि उन पर आश्रित बच्चों ने मोटी रकम खर्च करके प्रोफेशनल डिग्रियां हासिल कर लीं।
उनके तीन चुनावों के शपथ पत्रों में साफ-साफ दिखाई दे रहा है कि उनकी संपत्ति में दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ोत्तरी हुई है। आखिर ये पैसा कहां से आया।
कहां से आया पैसा?
शैलेष नितिन त्रिवेदी ने कहा कि चुनाव लड़ते वक़्त चुनाव आयोग के निर्देशानुसार संपत्तियों, कमाई और खर्च का जो विवरण डॉ रमन सिंह ने जमा किया है, यह सिर्फ़ उसका आंकलन है।
इस आकलन के अनुसार वर्ष 2008 में रमन सिंह के पास एक करोड़, चार लाख की संपत्ति थी।
उस समय तक रमन सिंह मुख्यमंत्री के रूप में एक कार्यकाल पूरा कर चुके थे। लेकिन अपने दूसरे कार्यकाल में उन्होंने ऐसा कुछ उल्लेखनीय करना शुरु किया जिससे कि उनकी संपत्ति अगले चुनाव तक यानी वर्ष 2013 तक बढ़कर पांच करोड़ 61 लाख हो चुकी थी।
वर्ष 2008 से वर्ष 2013 तक रमन सिंह की संपत्ति पांच गुने से अधिक बढ़ गई। मुख्यमंत्री के रूप में तीसरे कार्यकाल के समाप्त होने तक यानी वर्ष 2018 में उन्होंने चुनाव आयोग को बताया कि उनकी संपत्ति दो गुना होकर 10 करोड़ 72 लाख हो चुकी थी। यह स्थिति तब है जब उनकी आय अत्यंत सीमित थी.
वर्ष 2012-13 में उन्होंने जो आयकर रिटर्न भरा था उसके अनुसार उनकी आय 14 लाख 60 हज़ार के क़रीब थी। इसी दौरान उनकी पत्नी की आय 12 लाख 52 हज़ार के क़रीब थी। वर्ष 2013 में रमन सिंह पर 28 लाख से अधिक का कर्ज़ था। लेकिन वह भी उन्होंने पांच साल के भीतर चुका दिया था क्योंकि वर्ष 2018 के चुनाव में उन्होंने बताया है कि उन पर कुल देनदारी तीन हज़ार रुपए ही बची थी।
कांग्रेस ने सवाल उठाये कि इतना बड़ा कर्ज़ उन्होंने कैसे चुकाया?
इतनी कम आय में संपत्तियाँ दस गुना कैसे बढ़ी यह जांच का विषय है?
क्या मुख्यमंत्री की कुर्सी ने उगला सोना चांदी?
वर्ष 2008 से 2018 तक के विवरण को यदि आप सरसरी तौर पर भी देखें तो रमन सिंह और उनकी पत्नी को ऐसा कौन सा पारस पत्थर मिल गया था कि उनके पास सोना और चांदी की मात्रा बेतहाशा बढ़ती रही। 2008 के चुनाव के वक्त रमन सिंह के पास 23 तोला सोना था जो वर्ष 2013 के चुनाव तक बढ़कर 55 तोला हो चुका था। इसकी क़ीमत भी बढ़कर पांच लाख से 26.40 लाख हो चुकी थी।
इसी अवधि में रमन सिंह की पत्नी श्रीमती वीणा सिंह के पास सोना चार गुना बढ़ चुका था। चुनावी शपथ पत्र के अनुसार श्रीमती वीणा सिंह के पास सोना 55 तोले से बढ़कर 217 तोला हो गया था । यानी 2013 के चुनाव तक श्रीमती सिंह के पास दो किलो से अधिक सोना हो चुका था। क़ीमत के अनुसार देखें तो 7.5 लाख रुपए के सोने से वे 80.80 लाख के सोने तक पहुंच चुकी थीं। पति पत्नी दोनों की आय लगभग 27 लाख रुपए सालाना थी लेकिन उनकी संपत्ति पांच गुना बढ़कर एक करोड़ से पांच करोड़ हो चुकी थी।
2008 से 2013 के बीच श्रीमती वीणा सिंह के पास सिर्फ़ सोना ही नहीं बढ़ा चांदी भी आठ किलो से बढ़कर 18 किलो हो चुका था। वैसे सोना तो श्रीमती सिंह के पास 2013 से 2018 तक भी बढ़ता रहा और जब रमन सिंह की पार्टी का छत्तीसगढ़ से सफ़ाया हुआ तो उनके पास 235 तोला सोना था. यानी दो किलो 350 ग्राम सोना. इसकी क़ीमत उस वक़्त 90 लाख रुपए आंकी गई है।
बैंक में पैसा बढ़ता गया
वर्ष 2008 से 2018 तक का आकलन करें तो सीमित आय और पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के बावजूद रमन सिंह और उनकी पत्नी के बैंक खातों में जमा धन राशि भी दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती रही।
मुख्यमंत्री के रूप में पहला कार्यकाल पूरा करने के बाद यानी वर्ष 2008 में सिंह दंपत्ति के पास बैंक खातों में कुल पांच लाख 43 हज़ार रुपए थे। लेकिन मुख्यमंत्री के रूप में पहला कार्यकाल पूरा होते होते तक उनके खातों में 61 लाख 61 हज़ार रुपए जमा हो चुके थे। तीसरा कार्यकाल पूरा करते तक उनके खातों में लगभग 1.40 करोड़ रुपए जमा हो चुके थे।
कहां से आए करोड़ों अभिषेक सिंह के पास
रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह ने 33 वर्ष की उम्र में पहली बार चुनाव लड़ा। उन्होंने अपने चुनावी शपथ पत्र में लिखा है कि उनकी वार्षिक आय उस समय 19.89 लाख रुपए थी जबकि उनकी कुल परिसंपत्तियां तीन करोड़ से अधिक की हैं। डॉ. रमन सिंह को छत्तीसगढ़ की जनता को बताना चाहिए कि अभिषेक सिंह ऐसे किस काम से जुड़े हुए थे जिसकी वजह से उनकी आय इस तरह बढ़ रही थी और वे करोड़ों के मालिक बन चुके थे।
अविभाजित हिंदू परिवार भी समृद्ध
इन दस वर्षों में सिर्फ़ रमन सिंह और वीणा सिंह ही नहीं अविभाजित हिंदू परिवार (एचयुएफ) की संपत्ति भी दनादन लगातार बढ़ती रही। जब रमन सिंह की परिसंपत्तियों की जांच हो तो उनके एचयुएफ खातों और आय के साधनों की भी जांच होनी चाहिए।
आय से अधिक संपत्ति की जांच होनी चाहिए
कांग्रेस नेता शैलेष त्रिवेदी ने कहा कि रमन सिंह की घोषित संपत्ति जिस तरह से बढ़ी है वह आय से अधिक संपत्ति का मामला है। दस साल में एक करोड़ से दस करोड़ की संपत्ति का होना साबित करता है कि घोटालों के जो आरोप अब तक रमन सिंह पर लगे हैं वे एकदम सही आरोप हैं और इन्हीं घोटालों से रमन सिंह और उनके परिवार ने जमकर पैसे बनाए हैं। वर्ष 2008 से 2013 के बीच यानी रमन सिंह जी के दूसरे कार्यकाल में सबसे अधिक घोटाले हुए और इसी बीच रमन सिंह की संपत्ति भी बेतहाशा बढ़ी। घोटालों और संपत्ति में बढ़ोत्तरी का समीकरण सीधा है और इसकी जांच होनी चाहिए।
इस पूरे मामले की शिकायत ईओडब्लू और प्रधानमंत्री कार्यालय से की जा चुकी है। कांग्रेस पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से अनुरोध करती है कि वे ‘न खाउंगा न खाने दूंगा’ के अपने वादे पर अमल करें और बहुत कुछ खाकर सत्ता खो चुके रमन सिंह के खिलाफ जांच के आदेश दें। कांग्रेस डॉ रमन सिंह से मांग करती है कि वे भी अपनी और अपनी पत्नी की संपत्ति में बेहिसाब बढ़ोत्तरी का हिसाब राज्य की जनता को दें।