जयपुर, 4 जून 2020

कोविड-19 (कोरोना वायरस) महामारी के दौर में लोगों से पीएम केयर फंड में दानस्वरूप ली गई राशि सवालों के कठघरे में घिर गई है। पीएम केयर के नाम पर हजारों करोड़ रुपये का घपला किये जाने की आशंकाएं जताई जा रही हैँ। हालांकि अभी तक घोटाले से संबंधित कोई तथ्य सामने नहीं आया है, लेकिन विपक्षी दलों के अलावा भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करने वाले संगठन भी पीएम केयर फण्ड की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर रहे हैँ।

इन सवालों पर मोदी सरकार के मंत्री और भाजपा प्रवक्ता विपक्ष को खिसियानी बिल्ली कहकर चिढ़ा दे रहे हैं। लेकिन सवाल ये है कि आखिर पीएम केयर फंड को लेकर मोदी सरकार इतनी बच क्यों रही है। राशि को लेकर सरकार अपना स्पष्ट तरीके से पारदर्शिता क्यों नहीं दिखा रही है। सरकार ने अभी तक ये नहीं बताया है कि पीएम केयर फंड में कितनी राशि जमा हुई, कितनी खर्च हुई। इस फंड का न तो केन्द्र सरकार ने कोई आधिकारिक ब्यौरा दिया है और न ही इस फंड की कोई वेबसाइट है। जहां कोई भी इसे देख और समझ सके। आरोप है कि कोरोना के नाम से उगाही अरबों रुपये की राशि में से काफी धन भाजपा सरकार डकार गई है ।

आरोप लगाने वालों का कहना है कि देश मेंपहले से ही कानूनी रूप से पीएम रिलीफ फंड अस्तित्व में है । बावजूद इसके भाजपा सरकार ने कोविड-19 के लिए एकाएक 28 मार्च को “सिटिजंस असिस्टेंस रिलीफ इमरजेंसी सिचुएशन” (केयर) फंड ट्रस्ट के अधीन गठित कर हजारों करोड़ रुपये समेट लिए । इस फंड में सेलिब्रेटिज ने जमकर इसलिये पैसा जमा कराया, क्योकि इनकम टैक्स में छूट का प्रावधन है । प्रधानमंत्री इस केयर के अध्यक्ष तथा वित्त मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और गृह मंत्री अमित शाह इसके सदस्य है । केयर अभी तक कानूनी इसलिये नही है, क्योकि इस ट्रस्ट का अभी तक पंजीयन ही नही हुआ है । अगर हुआ है तो कहीं भी पंजीयन उपलब्ध नही है ।

सवाल यह भी हैकि जब पहले से ही पीएम रिलीफ फंड अस्तित्व में है तो नए गैर कानूनी फंड गठित करने की आवश्यकता क्यो हुई ? विपक्षी पार्टियों और अन्य लोगों का आरोप है कि भाजपा द्वारा धन हड़पने का यह सुगम जरिया है । क्योंकि यह ट्रस्ट चीफ ऑडिटर जनरल (सीएजी) और आरटीआई के अधीन नही है । इसलिए इसके घपले की जांच ना तो सीएजी कर सकता है और न ही इससे संबंधित किसी प्रकार की सूचना आरटीआई के अधीन प्राप्त की जा सकती है ।

फोरम अगेंस्ट करप्शन एन्ड एक्सप्लॉइटेशन (फेस) के संयोजक महेश झालानी ने इसे देश का सबसे बड़ा घोटाला करार देते हुए मांग की है कि ट्रस्ट में अन्य सदस्यों के अलावा विपक्षी दलों के प्रतिनिधि एवं प्रबुद्ध लोगों को शरीक किया जाए ताकि पारदर्शिता बनी रहे । इसके अतिरिक्त इस ट्रस्ट में अब तक कितनी राशि जमा हुई है तथा कितनी राशि किस मद में व्यय हुई, इसको अविलम्ब सार्वजनिक करें भाजपा अपनी ईमानदारी का सबूत पेश करें ।

इस सब के बीच बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने पीएम केयर फंड को लेकर दाखिल याचिका पर फंड के ट्रस्टियों को नोटिस जारी कर 14 दिनों के भीतर जवाब देने को कहा है। याचिकाकर्ता का कहना था कि केन्द्र सरकार ने पीएम केयर्स फंड को लेकर जब आरटीआई के तहत जानकारी मांगी तो केन्द्र सरकार ने आरटीआई के आवेदन को ये कहकर खारिज कर दिया कि पीएम केयर फंड आरटीआई एक्ट 2005 के तहत ये फंड पब्लिक अथॉरिटी नहीं हैँ।

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