संपादकीय, 19 दिसंबर 2020

समाजसेवी और राजनीतिक विश्लेषक प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने छत्तीसगढ़ सरकार के बारे में लिखा है कि सन 2018 में 15 सालों के इंतजार के बाद छत्तीसगढ़ में काँग्रेस की सरकार बनी। इस सरकार के बनने में जितना सहयोग काँग्रेस पार्टी के ज़मीनी स्तर के कार्यकर्ताओं का था, उससे कहीं ज्यादा योगदान छत्तीसगढ़ की जनता का रहा जोकि भारतीय जनता पार्टी की तत्कालीन 15 साल की सरकार से ऊब कर प्रदेश में परिवर्तन चाह रही थी। केंद्र में मोदी सरकार होने के बावजूद छत्तीसगढ़ की जनता ने प्रदेश में काँग्रेस पार्टी पर विश्वास जताया जिसके फलस्वरूप काँग्रेस पार्टी को 90 में से 68 सीटों पर जीत मिली जो आंकड़े उपचुनावों के बाद 70 हो गए। ये ऐतिहासिक आंकड़े हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ में शुरुआत से मुख्यमंत्री पद के लिए खींचतान दिखाई दिया क्योंकि काँग्रेस पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी की पहली पसंद थे छत्तीसगढ़ के मौजूदा गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू। काँग्रेस की जीत का एक और महत्वपूर्ण कारण था 2018 विधानसभा चुनाव का घोषणापत्र जिसका श्रेय मौजूदा स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंह देव को जाता है क्योंकि वे चुनाव के वक्त घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष थे। जीत का श्रेय तो वैसे मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत को भी जाता है क्योंकि वे तो चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष थे। परंतु जैसे किसी क्रिकेट टीम में सभी खिलाड़ी अपना बेहतरीन प्रदर्शन करते हैं, को ज्यादा विकेट चटकाता है तो को शतक लगाता है लेकिन जीत या हार का श्रेय कप्तान को ही जाता है, ठीक उसी प्रकार तत्कालीन काँग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी छत्तीसगढ़ के 2018 विधानसभा चुनाव में जीत का श्रेय छत्तीसगढ़ काँग्रेस कमेटी के तत्कालीन अध्यक्ष भूपेश बघेल को देते हुए मुख्यमंत्री पद से नवाजा। इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए था लेकिन काँग्रेस पार्टी की आपसी गुटबाज़ी का फायदा उठाकर कुछ असामाजिक तत्वों ने एक ऐसा शिगूफा छोड़ा कि काँग्रेस पार्टी में मुख्यमंत्री पद के लिए खींचतान दिखाई देते हुए देखकर काँग्रेस पार्टी के आला-कमान ने छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई के लिए मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया है। वैसे तो छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 में काँग्रेस की जीत का श्रेय, पार्टी के एक एक कार्यकर्ता को जाता है लेकिन सभी को मुख्यमंत्री बनाना संभव नहीं है।

प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने आगे अपने लेख में लिखा है कि काँग्रेस पार्टी की स्थिति राष्ट्रीय स्तर पर ठीक नहीं है और छत्तीसगढ़ में 15 सालों बाद सत्ता में आने का मौका मिला है ऐसी स्थिति में उसे चाहिए कि आपसी मतभेदों को दूर कर छत्तीसगढ़ में विकास का एक ऐसा मॉडल तैयार करें कि जनता उसे आनेवाले 20 सालों तक सत्ता में आने का मौका दे। लेकिन जैसे कि क्रिकेट में जीत का श्रेय कप्तान को जाता है तो टीम में आपसी सामंजस्य स्थापित करने की ज़िम्मेदारी भी कप्तान की ही होती है। उसी तरह से छत्तीसगढ़ में भी सरकार में आपसी विश्वास और सामंजस्यपूर्ण स्थिति बनाने की ज़िम्मेदारी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की ही है और छत्तीसगढ़ काँग्रेस कमेटी में आपसी विश्वास व सामंजस्य बनाने की स्थिति मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम की ही है।

प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने अंत में लिखा है कि काँग्रेस पार्टी के संगठन और सरकार में अगर आपसी समन्वय व तालमेल रहे तो वाकई छत्तीसगढ़ की जनता का जीवन सुखमय होगा और छत्तीसगढ़ प्रगति और विकास के पथ पर अग्रसर होता चला जाएगा। छत्तीसगढ़ काँग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मोहन मरकाम को मेरा सुझाव है कि संगठन में अमूलचूल परिवर्तन करें, नए लोगों को मौका दें, अनुभवी नेताओं को प्रभार दें और संगठन की आपसी गुटबाज़ी को खत्म करें। साथ ही छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को मेरा सुझाव है कि समय समय पर मंत्रीमंडल में फेरबदल करते रहें और प्रदेश में प्रत्येक वर्ग के हितों की रक्षा के लिए प्रयत्नशील रहें। हो सके तो रायशुमारी करें, परिणाम सर्वोत्तम होंगे। याद रहे कि इस ब्रह्मांड में कुछ भी शाश्वत नहीं है।

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