जोधपुर:- एम्स जोधपुर आदिवासी समुदाय की विभिन्न स्वास्थ्य आवश्यकताओं और समस्याओं काे दूर करने की पहल कर रहा है। आदिवासी समुदाय के कल्याण में रुचि, प्रतिबद्धता और प्रयासों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार के जनजातीय मामलात मंत्रालय ने आदिवासी स्वास्थ्य और अनुसंधान के लिए एम्स जोधपुर को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में मान्यता दी है। इसके तहत एम्स जोधपुर ने आदिवासी बहुल सिरोही जिले को चुनकर यहां काम भी शुरु कर दिया है। नीति आयाेग ने सिरोही को एस्पिरेशन जिला घोषित किया है।

आदिवासियाें में भाेपाओं का बहुत सम्मान और प्रभाव हाेता है। यहां तक कि लाेग स्वास्थ्य एवं अन्य संबंध में भी भोपाओं से सलाह-मशविरा करते हैं। इन्हीं बातों को मद्देनजर रखते हुए एम्स भी आदिवासियों से संबंधित योजनाओं को भोपाओं के माध्यम से अवगत करवाएगा । हालांकि इसके लिए एम्स भोपाओं को प्रशिक्षण भी देगा। इसमें बताया जाएगा कि वे क्या चीज सही कर रहे हैं और क्या गलत। एम्स में संचालित विभिन्न सरकारी (केंद्रीय और राज्य) कार्यक्रमों में आदिवासियों को शरीक करने के लिए भोपाओं को माध्यम बनाया जाएगा। इस कार्यक्रम का नेतृत्व एम्स एकेडमिक डीन और शिशुरोग विभागाध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह कर रहे हैं।

200 भोपाओं से संपर्क कर जुटाई आदिवासियों संबंधी जानकारी:-
सिंह ने बताया कि 2 जून से आदिवासी जनजाति के लोगों के लिए यह प्रोजेक्ट शुरू किया है। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की टीम ने 200 से अधिक भोपों से मुलाकात की है। उनसे विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं पर चर्चा की एवं उनके द्वारा विभिन्न रोगों के उपचार के संबंध में जानकारी इकट्ठा की। इन स्वास्थ्य प्रथाओं का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अध्ययन व विश्लेषण किया जाएगा।

सिंह ने कहा कि भोपाओं में कुछ अच्छी प्रथाएं भी हैं, इन्हें वैज्ञानिक रूप से मान्य किया जाएगा और जनजातीय मामलों के मंत्रालय के स्वास्थ्य प्रथाओं के वेबसाइट पोर्टल (स्वास्थ्य और पोषण पोर्टल) में शामिल किया जाएगा। आदिवासियों को भी कोरोना वायरस के बारे में जागरूक किया। टीम ने आदिवासी लड़कियों व महिलाओं को मासिक धर्म स्वच्छता और प्रजनन स्वास्थ्य के महत्व के बारे में भी जागरूक किया।

डाॅ. सिंह ने बताया कि उनकी टीम में 14 अन्य लोग हैं। इनमें अनुसंधान अधिकारी डॉ. राखी द्विवेदी, तीन मेडिकल को-ऑर्डिनेटर, आठ मेडिकल सोशल वर्कर, एक डेटा एंट्री ऑपरेटर और एक टेलीमेडिसिनकर्मी शामिल है। आदिवासी जनजाति की शिक्षा के लिए भी डीन एकेडमिक शाखा के कुछ फैकल्टी मेंबर्स सहयोग कर रहे हैं। डॉ. प्रदीप द्विवेदी बच्चों की एजुकेशन को सरल भाषा के लिए पाठ्यक्रम बनाने में सहयोग कर रहे हैं।

रिपोर्ट:- दयाल सिंह

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