जांजगीर-चांपा, 5 जुलाई 2021

गांव और जोहड़ (तालाब) जिसे स्थानीय भाषा में कहीं-कहीं पोखर भी कहा जाता है, का गहरा रिश्ता है। आज यही तालाब छत्तीसगढ़ में युवाओं के लिए सेहत और तंदरुस्ती के साथ-साथ तैराकी की पाठशाला बन गए हैं। मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) के तहत प्रदेश में तालाबों को गहरीकरण किया गया है। मानसून आने पर बारिश के पानी से ये तालाब अब लबालब हो चुके हैं। 

इऩ तालाबों में अब युवाओं की टोलियां अठखेलियां करती दिखाई दे रही हैं। ये तालाब नहीं बल्कि ग्रामीण युवाओं के स्वीमिंग पूल हैं। युवा सुबह शाम इन तालाबों में तैराकी करके अच्छा तैराक बन रहे हैं साथ ही अपनी सेहत भी दुरस्त कर रहे हैं।

जांजगीर-चांपा जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर बोकरामुड़ा गांव के तालाब को मनरेगा से नया जीवन मिला है। अब वापस तैराकी की पाठशाला बन चुका बलौदा विकासखंड के इस गांव का तालाब गंदगी और गाद से लगभग पट चुका था। इस साल की गर्मी में यह करीब-करीब सूख ही गया था। कभी गांव में निस्तारी, खेती-किसानी और बच्चों की जल-क्रीड़ा का केन्द्र रहे इस तालाब की हालत ने गांववालों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी थीं। सरपंच जगजीवन ने ग्रामीणों के साथ मिलकर इसका समाधान निकाला और ग्रामसभा में इसके गहरीकरण का प्रस्ताव स्वीकृत कराकर इस साल फरवरी में काम शुरू करवाया।

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मनरेगा श्रमिकों की तीन महीनों की मेहनत से अप्रैल-2021 में तालाब के गहरीकरण व पचरी निर्माण का काम पूरा होने के बाद अब यह अपने पुराने समृद्ध स्वरुप में नजर आने लगा है। लॉक-डाउन के बीच मार्च-अप्रैल में मनरेगा के अंतर्गत तालाब गहरीकरण का काम चला। इसमें गांव के 155 परिवारों को 4232 मानव दिवसों का सीधा रोजगार प्राप्त हुआ। इसके एवज में ग्रामीणों को सात लाख 52 हजार रूपए की मजदूरी का भुगतान किया गया।

तैराकी के प्रति रुझान बढ़ा, निस्तारी के साथ खेती के लिए मिला पानी

बोकरामुड़ा के इस तालाब में जल-क्रीड़ा करने आने वाले बच्चे आयुष, आर्यन, ध्रुव, सुरेन्द्र और साहिल कहते हैं कि गहरीकरण के पहले यह इतना स्वच्छ एवं सुंदर नहीं था। अब तालाब का पानी साफ-सुथरा हो गया है। हमें यहां रोज तैराकी करने में बहुत मजा आता है। किसान सुकदेव रजक, नाथूराम रजक, संतोष दास, मोहनलाल एवं रामाधार बताते हैं कि तालाब के गहरीकरण के बाद अब गांव में निस्तारी के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध है। तालाब में बारिश का पानी भरने लगा है। इससे खेती के लिए पानी मिलेगा और आसपास के जलस्रोतों का भूजल स्तर भी बढ़ेगा।

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