संपादकीय, 07 मार्च 2022

8 मार्च 2022 को दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाएगा। इसे लेकर तैयारियां भी चल रही हैँ। महिला दिवस को लेकर भारत में उत्सुकता ज्यादा कुछ ज्यादा ही देखी जाती है। हिंदू धर्मशास्त्रों में कहा भी गया है कि #यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता:’ अर्थात जहां नारी की पूजा की जाती है, उसका सम्मान किया जाता है, वहां देवताओं का वास होता है। 

मैं बतौर पत्रकार और शिक्षक ये बात बड़े गर्व के साथ कह सकता हूं कि इसी तथ्य को अगर आप लोकतंत्र में लागू करते हैं तो आपको बहुत सम्मान मिलता है। वर्ष 2022 में उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों में 40 फीसदी महिला उम्मीदवारों को टिकट देकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने महिला सशक्तीकरण की दिशा में एक बहुत महत्वपूर्ण कदम पहले ही उठा लिया है। भारतीय संस्कृति में रचे बसे लोकतंत्र की खूबसूरती भी महिलाओं की कीर्ति, यश और उनके गौरव को ऊपर उठाने में है।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में रायपुर के शंकर नगर स्थित बीटीआई ग्राउंड में महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से महिला मड़ई का आयोजन इस बात का द्योतक है कि महिलाएं अब उद्यमी बनने को अग्रसर हैं, स्वावलंबी है और आत्मनिर्भर  भारत को आगे बढ़ाने को तैयार हैं।

लेकिन यहां बात में सिर्फ इतनी भर नहीं करूंगा यहां बात इस बात की भी होगी कि आखिर नक्सलवाद, कुपोषण से ग्रस्त प्रदेश में महिलाओं के होठों पर मुस्कान आखिर आई तो आई कैसे, और इसके पीछे किसका हाथ है। इस सवाल की गहराई में जाकर विश्लेषण करें तो आप पाएंगे कि पूर्व मुख्यमंत्री ड़ॉ रमन सिंह के 15 साल के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ की महिलाएं जितना खुद को सुरक्षित, स्वावलंबी और खुशहाल नहीं पाती थीं, उससे कहीं ज्यादा वो खुद को भूपेश बघेल सरकार के 3 साल के कार्यकाल में पाती हैं।

17 दिसंबर 2018 को कांग्रेस पार्टी के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण करने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सबसे पहला फोकस गांव और गांव की महिलाओं पर ही किया था। सुराजी गांव योजना के तहत नरवा, घुरवा, गरुवा और बाड़ी, गोधन न्याय योजना, तेंदूपत्ता संग्रहणकर्ताओं का मानक दरें बढ़ाकर, आंगनबाड़ी, मितानिन, भोजन माताओं की तनख्वाह और मानदेय बढ़ाकर भूपेश बघेल ने महिलाओं के चेहरों पर चमक ला दी।

छत्तीसगढ़ की महिलाओं को सबसे ज्यादा सहूलियत तब लगी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हरेली, हरितालिका-तीज, कर्मा जयंती, विश्व आदिवासी दिवस, छठ पूजा और छेरछेरा पर सार्वजनिक अवकाश (Public Holiday) घोषित कर दिया। इतना ही नहीं पुरुष अपने परिवार को ज्यादा समय दे पाएँ। इसके लिए पहले पुलिस विभाग में पुलिसकर्मियों को साप्ताहिक अवकाश देना शुरु किया गया। उसके बाद सभी विभागों में हफ्ते में पांच दिन काम औऱ दो दिन आराम यानि फाइव डे वीक सिस्टम को लागू करके प्रदेश का लाखों महिलाओं को सौगाद दे डाली।

मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल के इन फैसलों ने प्रदेश के लाखों महिलाओं का दिल जीत लिया। इतना ही नहीं प्रदेश भर में चल रहे गौठानों में महिला स्व-सहायता समूहों के लिए धनउपार्जन की व्यवस्था भी कर डाली। आज महिलाएं गौठानों में गोबर से वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट तैयार कर रही हैँ। गौठानों में रूरल इंडस्ट्रियल पार्क स्थापित कर वहां दाल मिल, आटा चक्की, सरसों, तिली, सोया तेल मिल डाले जाने की तैयारी चल रही है। गोबर से बने दीया, गणेश, चप्पल, हर्बल उत्पाद, औरवनोपज से तैयार होने वाली औषधीय सामग्रियों को बनाकर आज प्रदेश की महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैँ।

छत्तीसगढ़ की महिलाएं भूपेश सरकार की संजीदगी और संवेदनशीलता से कितनी खुश हैं इसके दो उदाहरणों से आप समझ सकते हैं। 15 साल तक छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री का आवास कभी आम लोगों के लिए नहीं खुला वहां लाखों की संख्या में पहुंचकर महिलाओं ने न सिर्फ तीजा मनाया बल्कि महिला मड़ई का आयोजन भी प्रदेश में पहली बार किया गया। महिला मड़ई में महिला स्व-सहायता समूहों, के  बनाए उत्पादों की प्रदर्शनी, स्टॉल लगे हैं। जिनको देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग उमड़ पड़े हैं।

महिला कोष की ऋण योजना के तहत महिला समूहों के कालातीत कर्जों को माफ करके भूपेश बघेल प्रदेश की महिलाओं का दिल पहले ही जीत चुके हैं। महिला समूहों को महिला कोष से  हर साल दिये जाने वाले कर्ज के बजट में 5 गुना वृद्धि की घोषणा सीएम ने की है। महिला समूहों को महिला सहायता कोष से दो लाख का ऋण देने की सुविधा भी सरकार ने मुहैया कराई है।

महिला कोष के बजट की राशि दो करोड़ रूपए से बढ़ाकर 10 करोड़ रूपए करने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने किसानों और मजदूरों के बाद अब महिलाओं के लिए न्याय की पहल करते हुए घोषणा पत्र का अपना एक और वादा पूरा कर दिया है।

राजीव गांधी किसान न्याय योजना, गोधन न्याय योजना, राजीव गांधी ग्रामीण कृषि भूमिहीन मजदूर न्याय योजना, महिला सहायता कोष, चिरायु परियोजना,  कौशल्या मातृत्व योजना, नोनी सशक्तिकरण सहायता योजना, मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान, मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक योजना, पौनी पसारी योजना जैसी करीब 18 योजनाएं हैं जो सीधे तौर पर महिलाओंं से जुड़ी हैं और उनके जीवन स्तर को उन्नत बनाती हैँ।

महिला समूहों पर बकाया कालातीत ऋण की माफी से समूहों से जुड़ी लगभग एक लाख महिलाएं नये सिरे से अपनी आर्थिक गतिविधियां संचालित करने के योग्य हो जाएंगी और उन्हें इसके लिए सहजता से ऋण की उपलब्ध हो सकेगा। महिला समूहों को अब दो लाख रूपए की ऋण की पात्रता होने से वह स्व-रोजगार एवं स्वावलंबन की गतिविधियों और अधिक विस्तार देने में सक्षम होंगी। इससे उनके आय में वृद्धि होगी और वह आर्थिक रूप से सशक्त होंगी।

छत्तीसगढ़ सरकार की न्याय योजना का लाभ किसानों, पशुपालकों, भूमिहीनों, महिलाओं के साथ-साथ राज्य के वनवासियों एवं वनोपज संग्राहकों को मिला है। इनको न्याय देने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ सरकार ने तेंदूपत्ता संग्रहण दर 2500 रूपए से बढ़ाकर 4000 रूपए प्रति मानक बोरा किया है। लघु वनोपजों के समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी के साथ-साथ 52 लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी की व्यवस्था की है। इसका सीधा लाभ वनांचल के लोगों और वनोपज संग्राहक परिवारों को मिला है और उनकी आय में वृद्धि हुई है।
स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल खोलकर प्रदेश सरकार ने बेटियों को अंग्रेजी शिक्षा हासिल करने का बड़ा तोहफा पहले ही दे दिया है। महिलाओं और गांवों को ध्यान में रखकर बनाई गईं प्रदेश सरकार की योजनाएं मुख्यमंत्री को महिलाओं का लाड़ला सीएम बना रही हैं। यही वजह है कि विपक्ष के तमाम विरोध और प्रदर्शनों के बावजूद सरकार के काम विपक्ष के वारों पर भारी पड़ रहे हैँ।

 

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