सड़क दुर्घटना का एक प्रमुख कारण बिना फ़िटनेस के चलने वाली हैवी गाड़ियां हैं । अनफिट गाड़ियो से होने वाली सड़क दुर्घटना कम करने के लिए प्रदेश में परिवहन विभाग की पहल पर राष्ट्रीय राजमार्गों में ई-डिटेक्शन सिस्टम शुरू किए जा रहे है , जो बिना फिटनेस के वाहनों को डिटेक्ट कर ऑटोमैटिक चालानी कार्यवाही करेगा।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा अनुरूप परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर ने प्रदेश में परिवहन सुविधाओं का सुचारू रूप से क्रियान्वयन करने के निर्देश बीते दिनों जारी किये थे। मुख्यमंत्री ने सड़क दुर्घटना में होने वाले मृत्यु के आँकड़ो को देख कर प्रदेश में रोड एक्सीडेंट कम करने हेतु कार्यवाही करने के निर्देश दिये थे ।
परिवहन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय राजमार्गों पर चलने वाले ऐसे वाहनों का पता लगाने के लिए परिवहन विभाग ने एनआईसी उड़ीसा के सहयोग से ई-डिटेक्शन पोर्टल विकसित किया है।
ई-डिटेक्शन पोर्टल का उद्देश्य राष्ट्रीय राजमार्गों पर विभिन्न टोल नाकों से गुजरने वाले वाहनों का डेटा एकत्र करना है। पहले चरण में एनएच पर टोल गेट्स को ई डिटेक्शन पोर्टल से जोड़ा गया है। बाद में खनन और औद्योगिक क्षेत्रों से भी एएनपीआर कैमरे के मदद से डेटा एकत्र किया जाएगा। इस हेतु भी कार्यवाही शुरू कर दी गई है ।
गाड़ियों की जानकारी को फास्टैग के माध्यम से प्राप्त किए गए डेटा से एकत्र किया जाएगा और जब कोई वाहन टोल गेट से गुजरेगा तो उसकी तस्वीरें ली जाएंगी। जिस वाहन के पास कानूनी रूप से आवश्यक वैध दस्तावेज नहीं होंगे उसका ई-डिटेक्शन पोर्टल द्वारा स्वचालित रूप से चालान किया जाएगा। चालान एसएमएस के माध्यम से वाहन स्वामी के मोबाइल में भेज दिया जाएगा और जब तक वाहन स्वामी के द्वारा उस चालान का भुगतान नहीं कर दिया जायेगा तब तक उस गाड़ी से संबंधित समस्त कार्य सभी आरटीओ में प्रतिबंधित रहेंगे।
परिवहन आयुक्त दीपांशु काबरा ने वाहन स्वामियों से अपील की है कि वे फिटनेस, टैक्स, बीमा और पीयूसी के जुर्माने से बचने के लिए वाहन के दस्तावेज अप-टू-डेट रखें। छत्तीसगढ़ के ई-डिटेक्शन पोर्टल विकसित करने में एनआईसी उड़ीसा के वरिष्ठ तकनीकी निदेशक प्रशांत कुमार नायक, एनआईसी छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ तकनीकी निदेशक श्रीनिवास राव और साइंटिस्ट अमित देवांगन का विशेष योगदान रहा है।
सड़क सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट की समिति (एससीसीओआरएस) की सिफारिश के बाद सरकार ने ई डिटेक्शन के क्रियान्वयन का नीतिगत निर्णय लिया है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट समिति के सचिव संजय मित्तल ने कुछ जिलों का दौरा किया था और राज्य में सड़क हादसों को कम करने के लिए शुरू किए गए सुधारात्मक उपायों की समीक्षा की थी। उन्होंने बिना फिटनेस और इंश्योरेंस के चल रहे वाहनों पर लगाम लगाने के लिए निर्देश दिये थे।
ज्ञात हो कि किसी वाहन को सड़क पर चलाने के लिए टैक्स पटाना , पंजीकरण प्रमाण पत्र, फिटनेस प्रमाण पत्र, परमिट (यदि परिवहन वाहन है तो), बीमा और सभी वाहनों के लिए प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (पीयूसीसी) जैसे वैध दस्तावेज होने अनिवार्य है तथा सभी वाहन चालकों के लिए ड्राइविंग लाइसेंस अनिवार्य है। पर्सनल वाहनों के लिए फिटनेस और परमिट की आवश्यकता नहीं होती है।
राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल गेटों से एकत्र किए गए नमूना आंकड़ों के अनुसार, यह देखा गया है कि बहुत से वाहन बिना वैध दस्तावेजों के चल रहे हैं। खासतौर से हेवी माल यान जिसमें फिटनेस अनिवार्य है, ऐसे वाहन भी बिना फिटनेस और बिना टैक्स के चलते पाये जाते है। ऐसे वाहनो से सड़क दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है और इंश्योरेंस क्लेम में भी समस्या उत्पन्न होती है ।