रायपुर, 20 सितंबर 2020

छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस के कुल 84 हजार 234 संक्रमित मरीज और 37 हजार 489 एक्टिव केस होने के बाद राज्य के कई जिलों में लॉकडाउन लगाने की तैयारी की जा रही है। लॉकडाउन अलग-अलग जिलों में अलग-अलग तारीखों पर लगाया जाएगा। राजधानी रायपुर में 21 सितंबर की रात्रि 9 बजे से 28 सितंबर तक सम्पूर्ण और सख्त लॉकडाउन रहेगा। जबकि दुर्ग जिले में 20 सितंबर से 30 सितंबर तक पूर्ण लॉकडाउन लगाया गया है।

इसी तरह बेमेतरा, मुंगेली, अंबिकापुर जिलों में भी अलग-अलग तारीखों पर अलग-अलग अवधि के लिए सम्पूर्ण लॉकडाउन लगाया गया है। लॉकडाउन लगाने के पीछे का मकसद कोरोना वायरस के संक्रमण की चेन को तोड़ना है। लेकिन संक्रमण की ये चेन क्या सिर्फ लॉकडाउन लगा देने और सड़कों पर पुलिस को उतार देने भर से टूट जाएगी। इसका जवाब है नहीं।

वैश्विक स्तर पर दुनिया को परेशान कर रहे कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन समेत तमाम स्वास्थ्य संस्थानों ने जो दिशा निर्देश तय किये हैं। जब तक उन दिशा निर्देशों का सही तरीके से पालन नहीं किया जाएगा तब तक कोरोना वायरस के संक्रमण को रोक पाना संभव नहीं हो पाएगा।

वायरस के संक्रमण की रोकथाम और उसकी चेन तोड़ने की जिम्मेदारी हम सब पर है। आप पर है, मुझ पर है। जब तक राज्य का हर व्यक्ति समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को नहीं समझेगा तब तक कोई भी लॉकडाउन कोरोना वायरस का संक्रमण नहीं रोक पाएगा।

कोरोना को हराने की जिम्मेदारी असल में जनता की ही है। लोगों को ये समझना होगा कि मास्क पहनने, सोशल डिस्टेंसिग अपनाने और अनावश्यक घर से बाहर निकलने से ही कोरोना की चपेट में आने से बचा जा सकता है। शासन और प्रशासन के स्तर पर तमाम तरह के अवेयरनेस कैंपेन, विज्ञापन, ऑडियो-वीडियो संदेश प्रचारित-प्रसारित किये जा रहे हैं। लेकिन जनता है कि इनमें कही गई बातों पर ध्यान कम ही दे रही है।

इस हिसाब से ये मान लिया जाना चाहिए कि लोगों की जान बचाने में अब जनता की ही बारी है, नहीं तो कोरोना हम सब की जान पर भारी है। रायपुर जिले में लॉकडाउन लगने से पहले सड़कों औऱ बाजारों में जिस तरह से लोगों की भीड़ उमड़ी हुई है। उसे देखकर लगता है कि लोगों को कोरोना का भय नहीं है। बल्कि उन्हें अपने घूमने-फिरने और बेवजह घर से निकलने में ज्याद आनंद आता है। सड़कों पर ऐसे सैकड़ों लोग दिखाई दे रहे हैं जो बिना मास्क लगाए..बिना डिस्टेंसिंग को अपनाए अपनी धुन में चले जा रहे हैँ। इन लोगों को अगर समाज और राष्ट्र का दुश्मन कहा जाए तो कतई गलत नहीं होगा। क्योंकि बीते दिनों मार्च से लेकर सितंबर तक अलग-अलग टुकड़ों में कई बार लग चुके लॉकडाउन के दौरान ऐसे समाज के दुश्मन बिना वजह सड़कों पर उतरे और पुलिसवालों के हाथों जमकर पीटे भी गए।

कोरोना वायरस देश में घुसे हुए 6 महीने से ज्यादा का वक्त हो चुका है। लेकिन संक्रमण कम होने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है। मरीजों का इलाज करते-करते डॉक्टर, नर्स, लोगों को रोकते-समझाते हुए पुलिस और प्रशासन के लोग थक चुके हैं। लेकिन लोग हैं कि मानते ही नहीं है। लॉकडाउन में घर से क्यों निकले इस सवाल पर कई लोगों के ऐसे जवाब सुनने को मिलते हैं कि आप अपना माथा पीट लें। देखना होगा कि 21 सितंबर से रायपुर और प्रदेश के अन्य जिलों में लगने जा रहे लॉकडाउन को सफल बनाने में आमलोग कितना सहयोग करते हैँ। शासन प्रशासन की अपील और स्वास्थ्य विभाग के दिशा निर्देशों का कितना पालन करते हैं।

 

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