रायपुर, 16 सितंबर 2020

रायपुर पश्चिम विधानसभा से विधायक और संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने केन्द्र सरकार पर बड़ा हमला बोला है। विकास उपाध्याय ने कहा कि संसद में पूछे गए विपक्ष के सवाल के जवाब में मोदी सरकार ने लॉकडाउन के दौरान हुई मजदूरों की मौतों का आंकड़ा होने से इंकार करके अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने का सबूत दे दिया है। विकास उपाध्याय ने कहा कि जब मोदी सरकार को ये पता ही नहीं है कि उनके लगाए लॉकडाउन की वजह से कितने मजदूरों की रास्ते में मौत हुई और कितने लोगों की नौकरियां चली गईं तो फिर सरकार को पता किस बात का है।

विधायक विकास उपाध्याय ने आंकड़ों की फेहरिस्त जारी करते हुए कहा कि 24 मार्च से 4 जुलाई के बीच देशभर में 971 मजदूरों की मौत हुई थी। उनके पास हर दिन हुई मौतों का आंकड़ा मौजूद है। मोदी सरकार चाहे तो वो उनको 971 मृतक मजदूरों की सूची उनके पते सहित देने को तैयार हैं ताकि मोदी सरकार मृतकों के परिवारजनों को उचित मुआवजे की घोषणा कर सके।

अपने सरकारी निवास पर एक प्रेसवार्ता का आयोजन करके विधायक विकास उपाध्याय ने कहा कि विपक्ष ने मॉनसून सत्र में श्रम मंत्रालय से पाँच सवाल पूछे थे। उन्हीं में एक सवाल लॉकडाउन में हुई मजदूरों की मौत का भी था। उन्होंने केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार के जवाब को गैर जिम्मेदाराना करार दिया है।

विकास उपाध्याय ने कहा कि जब देश भर में लॉकडाउन लागू किया गया, तब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लॉकडाउन के तौर.तरीक़ों पर सवाल उठा कर मोदी सरकार को आगाह किया था। लेकिन मोदी सरकार ने कोरोना से लड़ने के लिए डिजास्टर एक्ट का सहारा लिया और फिर बाद में एपीडेमिक एक्ट लगाया, जो बहुत ही पुराना था। वो एक्ट नए दौर के लिए बना ही नहीं है बावजूद मोदी सरकार इसके सहारे नैया पार करने की सोची नतीजन आज प्रतिदिन 90 हजार से भी ज्यादा संक्रमण के मामले आ रहे हैं। उन्होंने कहा 24 मार्च से 4 जुलाई तक 971 मजदूरों की मौतें हुईं। जिसमे 216 लोग भूख से, 209 लोग अपने घरों को जाते हुए रास्ते में दुर्घटनावश, 23 मजदूर रेल हादसे से, 33 थकान की वजह से, 80 मजदूर श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में और 133 लोगों ने आत्महत्या की तो 277 मजदूरों की अन्य कारणों से मौंतें हुईं। वहीं इस बीच 12 करोड़ लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी जिसके चलते ये पूरी तरह से बेरोजगार हो गए।

विकास उपाध्याय ने कहा कि वे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से इस बात को लेकर भी बात करेंगे कि कोरोना महामारी के चलते जिस तरह से पूरे देश में करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए हैं। निश्चित तौर पर छत्तीसगढ़ की लोग भी प्रभावित हुए हैं इसलिए छत्तीसगढ़ में नया कानून बनाया जाए कि प्रदेश में जितने भी सरकारी नौकरियां निर्मित होंगी विश्वविद्यालय से लेकर महाविद्यालय व स्कूलों तक, कलेक्ट्रेट से लेकर मंत्रालय तक सभी छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों के लिए ही आरक्षित हो, देश के अन्य राज्य के युवाओं को इसमें शामिल न किया जाए। इससे स्थानीय बेरोजगारी को समाप्त करने व आत्मनिर्भर बनने प्रदेश व यहाँ के युवाओं को बल मिलेगा।

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